अनामी शरण बबल
राजनीति में संबंधों का कोई भूगोल नहीं होता। कौन कब कहां कैसे और किस तरह संबंधोंं में क्यों लोचा मार दे यह भगवान भी नहीं जानते। राजनीति से अरूचि रखने वाले जिस नासमझ शरीफ बेटे को नेताजी ने अंगूली पकड़कर सांसदी से लेकर सीएम तक बना कर छोड़ा य़ा दम लिया। वहीं बेटा एकाएक ज्ञानी ,ध्यानी अंतरजामी बनकर बाप की सालों की मेहनत को पल भर में ही हथिया लिया। बाप को गद्दी से उतारकर नयी पार्टी और सपा के पुराने सिंबल समेत पूरी पार्टी को ही हथिया लिया। बाप की विरासत के हस्तांतरण का भी अपने नेताजी पिताजी मयस्सर नहीं किया। अपने बापू को पूरी तरह दरकिनार धकेल दिया़ा। अपनी नाक बचाने के लिए बापू नेताजी ने भी आत्मसमर्पण कर खामोशी की चादर ओढ़ ली। अरे बेटा है, क्या फांसी पर चढा दूं का एक बाप विलाप के साथ ही सपा के तुर्रम खान नेताजी ने अपनी गद्दी खाली कर कमान सौंप दी। करीब तीन माह के इस समाजवादी महाभारत से सबकी इज्जत धूमिल(? ) हुई। हालांकि पार्टी बिरासत के इस महाभारत में पूत समेत नेताजी की भी जीत ही हुई। सपा को गोतियों की पार्टी बनाने की अपेक्षा अपन खानदानी पार्टी बनाकर छोड़ा। इसे विवशता (माने) कहे या मिलीभगत किि दोदशक तक चले मुलायम अमर प्रेम कहानी का भी पुत्र के प्रेशरकुकर के चलते ही सार्वजनिक तौर पर पटाक्षेप हो (करना) गया या पड़ा। मगर इस खेल में नेताजी अपनी साख मतदाताओं के बाजार में गंवा बैठे।
उधर हंस हंस कर किसी को भी बेआबरू करने में माहिर और जल्लादों की तरह हमला करके उस पर पील पड़ने वाले नवजोत सिंह सिद्दू रिश्तों के मामले में एकदम भोला और ईमानदार निकले। गेदबाजों की कुटाई करने के लिए कुख्यात क्रिकेट बैकग्राउण्ड वाले महारथी आजकल टीवी संसार और क्रिकेट कॉमेंट्री में शेरो शायरी के लिए ज्यादामशहूर है। भाजपा से नाराज चल रहे ज्यादा बोलने में उस्ताद नवजोत ने एकाएक राज्यसभा सांसदी को उछाकर कमल के मुंह पर फेंकते हुए पल भर में ही पार्टी से नाता तोड लिया। आप के भरोसे ही शेर बनने वाले नवजोत को आप ही ने औंधे मुंह गिराकर चौराहे पर अकेले छोड़ दिया। मगर पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदरसिंह ने एक जलसे में नवजोत को बेटा कह कर संबोधितकिया। बेटे के संबोधन का मान रखते हुए अव क्रिकेटर नवजोत ने छक्का मारते हुए कहा कि जब उन्होने बेटा कहा है तो मैं भी एक बेटा का मान रखूंगा। अपने पिता पर किसी तरह की आंच आने से पहले मैं उनके सामने खड़ा रहूंगा। पुत्र की तरह ही अपने पिता के साथ हमेशा खड़ा रहूंगा। उनको बचाना और मिलकर काम करना ही मेरा फर्जहै। उन्होने तो अपनी पारी में मेरे विश्वास को जीता है, मगर अब बारी मेरी है। राजनीति में रहकर भी मैं रिश्तों को सार्थक बनाकरदिखाउंगा। लप्पेबाजी के लिए मशहूर नवजोत को अपने बयानों पर ही कुछ दिनों के बाद .संभवत यकीन हो या ना हो ? मगर फिलहाल 72 साला पूर्व सीएम को एक चहकता बेटा तो नसीब हो ही गया है, जो फिलहास अपने पिता के बारे में यह भी कह ही रहा हैं कि एक बेटा बाप से कभी बड़ा नहीं हो सकता। यानी नवजोत के इस चौके में दर्द है या उल्लास इसका फैसला तो समय नामक अंपायर ही करेगे जिसे सर्वमान्य भी माना जाएगा । फिलहाल तो नवजोतकी नॉट आउट की पारी से सबको यानी पंजे को भी बड़ी उम्मीदें है।