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कोरोना कुण्डलियां / दिनेश श्रीवास्तव




कोरोना महामारी तथा तद्जनित प्रभाव पर आधारित कुछ कुण्डलिया -

                    चिकित्सा-सेवक
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                        ( १)

मानव सेवा में लगे,करते हो तुम काम।
तुमको करता हूँ यहाँ,शत शत बार प्रणाम।।
शत शत बार प्रणाम,चिकित्सा सेवा करते।
अहर्निशं तैयार,हमेशा ही तुम रहते।।
कहता सत्य दिनेश,सभी खाते हैं मेवा।
 तुम करते हो वीर,हमेशा मानव सेवा।।

                           (२)

करना होगा अब हमें,उनका भी सम्मान।
इस विपदा के काल मे,लगे हुए जी जान।।
लगे हुए जी जान,हमेशा तत्पर रहते।
करें चिकित्सा कर्म,नहीं हैं फिर वे डरते।।
झोली उनकी आज,प्यार से भरना होगा।
मान और सम्मान,हमेशा करना होगा।।

                    (३)

करते सेवा रात दिन, सभी चिकित्सक नर्स।
बजा तालियाँ दीजिए,उनको भी कुछ हर्ष।।
उनको भी कुछ हर्ष,दीजिए!वह मुस्काएँ।
पाकर कुछ सम्मान,आज हर्षित हो जाएँ।।
कहता सत्य दिनेश,सभी के दुख को हरते।
बने ईश-अवतार,हमारी सेवा करते।।


           मजदूर/गरीब
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                       (४)

कोरोना ने विश्व को,किया आज है त्रस्त।
विपदा भारी आ पड़ी,अब गरीब हैं पस्त।
अब गरीब हैं पस्त, उन्हें अब कौन बचाए।
मजदूरी है बंद, कहाँ से भोजन पाए।।
कहता सत्य दिनेश,भाग्य में उनके रोना।
सबसे दुखी गरीब,बनाया है कोरोना।।

                       (५)

आती विपदा जब कभी,पहले पड़ती मार।
उस गरीब के पेट पर,जाता है वह हार।।
जाता है वह हार, टूटकर सदा बिखरता।
उसका जाता फूट, भाग्य,फिर नहीं सँवरता।।
होता दुखी दिनेश,देखकर फटती छाती।
मजदूरों के भाग्य,सदा विपदा ही आती।।

             जागरूकता/हिदायत
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                              (६)

शिक्षा देकर आज फिर,जागृत करें समाज।
विपदा के इस काल मे,यही जरूरत आज।।
यही जरूरत आज,करें मत लापरवाही।
कुछ दिन की है बात,बंद हो आवाजाही।।
करता विनय दिनेश,माँगता है वह भिक्षा।
सुधरें खुद भी आप,और को भी दे शिक्षा।।

                       (७)

यही हिदायत आपको,घर में रहकर आप।
बैठ वहीं पर कीजिए, माँ गायत्री जाप।।
माँ गायत्री जाप,सुखद जीवन बीतेगा।
आया जो संताप,मनुज इसको जीतेगा।।
मानो मेरी बात,करो मत कहीं शिकायत।
घर मे रहना आप,आपको यही हिदायत।।

                     ( 8)

तोड़ दीजिए चेन को,हो जाएँगे मुक्त।
घातक है जो वायरस,हो जाएगा सुस्त।।
हो जाएगा सुस्त,तभी फैलाव रुकेगा।
जाएगा ये हार, और फिर यहाँ झुकेगा।।
कोई आये पास,हाथ को जोड़ लीजिए।
यही वायरस चेन,इसे अब तोड़ दीजिए।।

                   (९)

कोरोना ने विश्व का,छीन लिया है शांति।
चेहरे सबके मलिन हैं,मुख पर दिखती क्लांति।
मुख पर दिखती क्लांति,और मुरझाया लगता।
मानव से ही दूर,आज मानव है भगता।।
करता विनय दिनेश, धैर्यता कभी न खोना।
मन मे रखना आस,नष्ट होगा कोरोना।।

                      ( १०)

सहयोगी बन कीजिए, सबका ही सहयोग।
विपदा के इस काल ने,सबसे सुंदर योग।।
सबसे सुंदर योग, अभी बाहर मत निकालें।
सरकारी अनुदेश, सभी का पालन कर लें।
करता विनय दिनेश,यहाँ पर जो हैं रोगी।
विपदा के इस काल,बने उनके सहयोगी।।


                     दिनेश श्रीवास्तव

                    ग़ाज़ियाबाद


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