वे हिन्दुस्तान टाइम्स-Central Secretariat Library के गूगल
यूं तो बहुत सी लाइब्रेयरी में गया और वहां पर बैठकर पढ़ाई की। पर दो लाइब्रेयरी बाकी से बेहतर लगीं इनके स्टाफ के सहयोग के कारण। इस लिहाज से हिन्दुस्तान टाइम्स लाइब्रेयरी और शास्त्री भवन की Central Secretariat Library का नाम लेना चाहंगा।
अखबारों के दफ्तरों की लाइब्रेयरी में किताबें कम और सामयिक और महत्वपूर्ण सवालों की क्लिपिंग फाइलों होती हैं। HT लाइब्रेयरी में लगभग 500 विषयों की फाइलें बनती और अपडेट होती थीं। राजनीति, बैंकिग, फाइनेंस, धर्म, पेट्रोलियम, पावर, विदेश, चीन, अमेरिका, पाकिस्तान पर अलग-अलग कोणों से फाइलें बनती। उन्हें बनाने का काम करते थे सुनील बत्रा,आरती मल्होत्रा, केवीएस मनियन, विजय कोहली और सत्या। मनियन गंभीर इंसान थे। वे बाद में इंडिया टूडे चल गए थे। लाइब्रेयरी के इंचार्ज हरिओम थे।
हिन्दुस्तान टाइम्स ग्रुप के कई पत्रकार मीडिया की दुनिया के सितारे बने। उन्हें उस म्यार पर पहुंचाने में सुनील और आरती का सहयोग गजब का रहा करता था। ये रिपोर्टर-संपादकों को उनके लेख- खबर के लिए जरूरी मैटर उपलब्ध करवाते। कह सकता हूं कि अगर इस तरह के निस्वार्थ पेशेवर HT लाइब्रेयरी में अपने साथियों का साथ ना दे रहे होते तो बहुत से बड़े पत्रकारों को आज वह सम्मान ना मिला होता। HT में 2005 के बाद दुनिया बदल गई। जिनके हाथ में नया निजाम आया, उसने लाइब्रेयरी को ग्राउंड फ्लोर से फर्स्ट फ्लोर तो कभी सेकिंड फ्लोर में शिफ्टकरना शुरू कर दिया। इसके बाद सुनील और आरती ने नौकरी छोड़ दी। लाइबेयरी के बाकी साथी रिटायर होने लगे। अब लाइब्रेयरी किन हालातों में है, उसकी जानकारी नहीं है। उम्मीद करता हूं कि वह आबाद होगी।
मैंने लाइब्रेयरी के उन दिन-रात मेहनत करने वाले साथियों पर 2008 में HT की इन हाउस पत्रिका Between-Us में एक लेख भी लिखा था। तब मैं उसकी तीन सदस्यीय संपादकीय टीम में था। कह सकता हूं कि वे साथी गूगल के दौर से पहले के गूगल थे। दुनिया इनकी मुट्ठी में होती थी।
Central Secretariat Library का मिजाज दूसरा है। ये विशुद्ध लाइब्रेयरी है। इधर रक्षा, कूटनीति, इतिहास, फिल्म, खेल, धर्म, साहित्य, कला आदि की हजारों किताबों के अलावा भारत सरकार की अहम रिपोर्टें पाठकों के लिए उपलब्ध हैं। शास्त्री भवन में स्थित इस लाइब्रेयरी को कोलकाता की नेशनल लाइब्रेयरी के बाद सबसे बड़ी लाइब्रेयरी माना जाता है। इधर आपको मिलेंगे राजीव रंजन पांडे, बिष्ट जी और बहुत से नौजवान साथी। आप किसी भी किताब की मांग कीजिए और ये पांच मिनट में आपको उसे उपलब्ध करवा देंगे। अगर वह किताब किसी मेबर ने ली हुई हैं, तो ये सुनिश्चित करते हैं कि वह आपको जल्दी से जल्दी मिल जाए। इधर का इतिहास और फिल्मी किताबों का सेक्शन सच में बहुत समृद्ध है।
आप भी इसके मेंबर बन जाइये ना। फायदे में रहेंगे।