भारत-चीन सीमा विवाद अब बड़े तनाव में तब्दील होता जा रहा है। सोमवार रात लद्दाख की गालवन वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इसमें भारत के एक कर्नल और दो जवान शहीद हो गए। भारतीय जवानों की जवाबी कार्रवाई में चीन के 5 सैनिक मारे गए हैं और 11 जवान घायल हुए हैं। हमारी सेना ने सिर्फ यही कहा है कि दोनों तरफ जवानों की जान गई है।
जो कर्नल शहीद हुए, वे इन्फैंट्री बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर थे।
45 साल यानी 1975 के बाद भारत-चीन सीमा पर ऐसे हालात बने हैं, जब भारत के जवानों की शहादत हुई है। इस बार कोई गोली नहीं चली। सैनिकों के बीच पथराव हुआ। डंडों से एकदूसरे पर हमला किया गया।
ताजा तनाव के बाद चीन ने खुद पहल की और मंगलवार सुबह 7:30 बजे से ही मीटिंग की मांग की। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के मेजर जनरल के बीच मीटिंग शुरू हुई, जो अब तक जारी है। चीन ने खुद मीटिंग तो बुलाई, लेकिन धमकाने का अपना सुर नहीं छोड़ा। सुबह मीटिंग शुरू होने के 6 घंटे बाद यानी दोपहर करीब डेढ़ बजे चीन ने भारत के बारे में बयान जारी किया।
चीन ने कहा- भारत अब एकतरफा कार्रवाई न करे
चीन के सरकारी अखबार द ग्लोबल टाइम्स ने मंगलवार को अपने विदेश मंत्री वांग यी के हवाले से कहा- भारतीय सैनिकों ने सोमवार को गालवन घाटी में दो बार घुसपैठ की। चीनी सैनिकों पर हमला किया। इसके बाद गंभीर हिंसक झड़प हुई। हमने भारत से अपना विरोध दर्ज कराया है। भारत अब कोई एकतरफा कार्रवाई न करे जिससे कि बॉर्डर पर हालात और बिगड़ जाएं। दोनों देशों को बातचीत से मसला हल करना चाहिए।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने इस मुद्दे पर कहा, 'हमें चीन के साथ जो भी बात करनी है, वह द्विपक्षीय होनी चाहिए। रूस भी इसमें शामिल होना चाहता है लेकिन हमें इससे साफ इनकार कर देना चाहिए। हमें अपनी सेना की तारीफ करनी चाहिए, जो कि मुश्किल हालात में भी चीन से नेगोशिएशन कर रही है जबकि शुरुआत में चीन ने एलओसी के आगे भी कब्जा कर लिया था। कब्जा किया गया ज्यादातर हिस्सा खाली हो चुका है।'