कुलदीप तलवार साहब से मिलना हमेशा ही यादगार होता है।हर बार उनसे कुछ नया सीखने को मिलता है।यह भी सीखने को मिलता है कि यदि मनुष्य ठान ले तो फिर वृद्धावस्था, शारीरिक कष्ट आदि सब बेमानी हो जाते हैं। 16 नवम्बर,1934 को खुशाब (अब पाकिस्तान ) में जन्मे तलवार साहब 86 वर्ष के होने वाले हैं।पर इस आयु में भी उनकी सक्रियता देखने योग्य है।
वह पिछले 40 सालों से राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित रूप से लिख रहे हैं । अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक विषयों के विशेषज्ञ तलवार साहब खासकर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश,पाक अधिकृत कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं । धर्मयुग ,साप्ताहिक हिंदुस्तान,सारिका से लेकर कादम्बिनी, नवभारत टाइम्स,हिंदुस्तान आदि सभी पत्रिकाओं में उनकी सार्थक उपस्थिति दर्ज होती रही है।इसके अतिरिक्त उन्होंने कादम्बिनी के शायरी पर केन्द्रित स्तंभ 'इनके भी बयां जुदा जुदा 'का 15 वर्षों तक संयोजन किया है । उनकी दो बच्चो की किताबें हंसो हंसो और नाना नानी की कहानियां और एक व्यंग्य संग्रह गुस्ताखी माफ़ भी प्रकाशित हुआ है(व्यंग्य संग्रह की भूमिका लिखने का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ है )।उनकी हास्य व्यंग्य की रचनाएं भी स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में स्थान पाती रही हैं।
इन दिनों उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है।लेकिन फिर भी वह अपनी योजनाओं को लेकर बहुत उत्साहित हैं ।जल्दी ही उनकी दो किताबें भी आने वाली हैं ।इनमे एक शिगूफे (साहित्यकारों /पत्रकारों से जुड़े लतीफों पर ) और दूसरी उर्दू शायरी पर केन्द्रित किताब उर्दू 'शायरी के भटकते अशआर 'है ।
ईश्वर से प्रार्थना है कि वह उन्हें स्वस्थ और सक्रिय बनाए रहे ।