अनंगताल बावली_अनंग पाल द्वितीय
दिल्ली की सबसे पुरानी बावली अनंगताल बावली कुतुब मीनार के पास बनी हुई है। दसवीं शताब्दी में तोमर वंश के राजपूत राजा अनंग पाल द्वितीय ने इसे बनवाया था। महरौली स्थित लौह स्तंभ शिलालेख से पता चलता है कि अनंग पाल द्वितीय ने दिल्ली को बसाया और लालकोट को वर्ष 1052-1060 के बीच बनवाया। अंग्रेज़ इतिहासकार ए. कनिंघम के अनुसार, अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) के समय अलाई मीनार के निर्माण के दौरान मोर्टार के लिए पानी अनंगताल से मंगवाया जाता था।
यही कारण लगता है कि परवर्ती शासकों ने भी महरौली में और उसके आसपास अनगढ़े पत्थरों से अनेक सीढ़ीयुक्त बावलियां बनवाई गईं।
उपिन्दर सिंह की पुस्तक “दिल्लीः प्राचीन इतिहास” के अनुसार, अनंगताल के ऊपरी हिस्से का आंशिक रूप से दक्षिण-पश्चिमी कोना ही दिखलाई पड़ता है। इस खुले भाग को देखने से यह लगता है कि यहां किसी प्रकार की सीढ़ीनुमा सरंचना थी या घेरनेवाली दीवार, जो कुंड के चैड़े और लंबे चबूतरे से जुड़ी थी। इस संरचना से यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि इसके मूल प्रारूप में अनंगपाल द्वितीय ने कालांतर में परिवर्तन किया था।