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Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
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स्क्रिप्ट का एक नमूना

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फ़िल्म - आपदा में अवसर

दृश्य
 3, समय - दिन के 3 बजे, स्थान - खगेन्द्र मोदी के घर का बरामदा। 
(खगेन्द्र और सुल्तान शाह कुर्सी पर आमने सामने बैठे हैं। दोनों भूजा के साथ चाय पी और बातें कर रहे हैं।)
खगेन्द्र- सुल्तान, सब अच्छा चल रहा है न?।
सुल्तान- हां, कोरोना टॉप स्केल पर है ही, बाढ़ भी चरम पर है। उसमें बारिश ने और मजा ला दिया है। लोग मुसीबतों में उलझे हैं। राहत का काम जारी है। अपना बोनस जल्द आ जायेगा।
खगेन्द्र- सो तो ठीक है। बिहार का चुनाव में क्या लगता है?
सुल्तान- अभी तक तो सहिये है। जनता हमें नहीं छोड़ सकती। हमारा जीत तय है...
खगेन्द्र- हां, अब तो राम मंदिर भी हमारे काम में जुड़ गया। रफैल और शिक्षा नीति भी है, ई सब उपलब्धि है न। इसे गिनावाओ सब जगह।
सुल्तान- लेकिन लोग चीन वाला मुद्दा उठाते रहते हैं। शिक्षा नीति का भी एक्सरे हो रहा है। लोग समझ गया है कि प्राइवेट स्कूल वाला एडवांस बोनस दिया है।
खगेन्द्र - लेकिन मीडिया से तो डील है। कौन बदमाशी कर रहा है?
सुल्तान-  द टेलीग्राफ है कलकत्ता वाला, उ चाइना वाला मसला उठाये हुए है। बाकी मसला को लेकर सोशल मीडिया पर तो आधा हिंदुस्तानी, आधा चीनी- पाकिस्तानी हो ही गया है। 
खगेन्द्र- फिर तो सही नहीं है। इससे त फर्क पड़ेगा? ठीक है, उसको देखते हैं...
सुल्तान - हां, अब जनता का मूड खराब हो रहा है।
खगेन्द्र-  जनता को फिलहाल राम मंदिर, रफैल, शिक्षा नीति का गोला दिलाते रहो। बाकी नया कुछ करना होगा। चलो नीति आयोग, वहीं रणनीति बनाते हैं।
सुल्तान- लेकिन एक बात ...
खगेन्द्र- क्या? 
सुल्तान- चाइना से मत भिडियेगा। सही कह रहे हैं। अगर ऐसा किया, तो आपको भी चाइना नेहरू बना देगा। फिर लोग 70 साल...
खगेन्द्र- ठीक है। चलो...
सुल्तान- बिल्कुल...
(खगेन्द्र हाथ झाड़ता है और आगे बढ़ता है। सुल्तान भी साथ हो लेता है...)
अगला दृश्य फिर कभी...

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