Image may be NSFW. Clik here to view.इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया द्वारा प्रसारित साक्षात्कारों को देखने से पता चलता है कि टी.वी. समाचार चैनल्स के एंकर शालीनता की सारी सीमायें तोड़ते हुये सम्बंधित साक्षात्कार देने वाले को बेइज्जत करते रहते हैं और वह व्यक्ति बेइज्जत होने के बाद भी इन एंकरों से पंगा नहीं लेता है। उसी तरह से आज प्रेस काउन्सिल ऑफ़ इण्डिया के चेयरमैन जस्टिस मार्कण्डेय काटजूका साक्षात्कार इंडिया न्यूज़ के एंकर दीपक चौरसिया ने टेलीकास्ट करना शुरू किया। साक्षात्कार पहले दौर में तो अच्छे तरीके से चला किन्तु दीपक चौरसिया की टिप्पणी पर जस्टिस मार्कण्डेय काटजू भारी पड़े।जस्टिस मार्कण्डेय काटजू से जैसे ही दीपक चौरसिया ने कहा कि आप अधूरा सच कहते हैं।जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि आरोप मत लगाइये। इंटरव्यू समाप्त। मिसबिहेव मत करिये। आप आधा सच और आधा झूठ, इस तरह की बेवकूफी की बातें कर रहे हैं। बिहेव करना सीखिये। आप मुझसे बहुत छोटे हैं। आपने आधा सच कहकर मेरे ऊपर आरोप लगाया है। मुझे माफ़ कर दीजिये और जाइये गेट आउट।तब से इंडिया न्यूज़ ने पद की गरिमा और भाषा की मर्यादा को लेकर हल्ला मचाना शुरू कर दिया है। एंकर होने का मतलब यह नहीं है कि आप जिस तरीके से चाहें आरोप-प्रत्यारोप करते रहें और सम्बंधित आदमी चुप रहे। जस्टिस
रणधीर सिंह सुमन, लेखक जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता, अधिवक्ता और हस्तक्षेप.कॉम के सह सम्पादक हैं
मार्कण्डेय काटजूने दीपक चौरसियाको सबक देते हुये इलेक्ट्रॉनिक चैनलकी असली हैसियत बता दी है। वास्तव में देखा जाये तो जब ये मल्टीनेशनल कम्पनियों के सीईओ, उद्योगपतियोंआदि से एंकर इंटरव्यू लेते हैं तो इनकी भाषा शैली बड़ी शालीन होती है क्योंकि सम्बंधित चैनल को उनसे कुछ न कुछ उम्मीद जरूर होती है लेकिन राजनेताओं, अधिकारियों से चाहे जिस तरीके से बात करो। उनसे हर तरीके की सुविधायें भी लो और गुर्राओ भी। इलेक्ट्रॉनिक चैनल्स समाज के प्रति जिम्मेदारी कम महसूस करते हैं और टीआरपी को बढ़ाने के प्रति ज्यादा उत्साहित रहते हैं। इलेक्ट्रॉनिक चैनल्स के छोटे-छोटे कर्मचारी गाँव-देहात से लेकर राजधानी तक गुर्राने के अतिरिक्त काम कम करते हैं।शालीनता, शिष्टाचार इन्हें छू नहीं गया है। इस घटना से सभी इलेक्ट्रॉनिक चैनल्स को सबक लेना चाहिये। जिसका वह साक्षात्कार ले रहे हैं। उस पर आरोप नहीं लगाना चाहिये बल्कि उसकी बात को का प्रेषण करना चाहिये।
Image may be NSFW. Clik here to view. Posted by hastakshep on 19/02/2013. Filed under लोकसंघर्ष. You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0. You can leave a response or trackback to this entry
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2 Responses to दीपक चौरसिया को सबक सिखाया काटजू ने
इसमें कोई दो-राय नहीं , कि, इलेक्ट्रौनिक मीडिया में दीपक चौरसिया बाजारू और बिकाऊ पत्रकार की श्रेणी में पहले नंबर पर है ! ये इंसान , पैसा लेकर किसी के भी पक्ष और विरोध में हवा बनाना शुरू कर देता है ! अफ़सोस इस बात कि , मीडिया हाउस वाले ऐसे बिकाऊ और बाजारू पत्रकार को खरीद लेते हैं और अपनी मर्जी के मुताबिक भाषा बुलवाते हैं ! दीपक जैसे पत्रकार , पैसा लेकर देश से ही गद्दारी ना कर बैठे , ईश्वर से बस यही प्रार्थना है ! आज दीपक जैसे पत्रकारों का हर तरफ से सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए , मगर अफ़सोस है कि बहिष्कृत होने की बजाय ऐसे एजेंट दिन-पर-दिन और ऊपर बढ़ते जा रहे हैं ! मीडिया हाउस चलाने वालों को अब आत्म-मंथन करना चाहिए कि लोकतंत्र का चौथा खम्बा माना जाने वाला मीडिया, दीपक जैसे बिकाऊ और बाजारू पत्रकारों की भेंट चढ़ जाएगा या बचा रहेगा ?
Image may be NSFW. Clik here to view.मुलायम ने दृढ़ता के साथ संसद भवन से नागपुर तक संदेश पहुँचाया है कि मोदी को पीछे और राजनाथ को आगे करो। इसका फायदा भाजपा और मुलायम दोनों को होगा। अगर भगवा चादर ओढ़कर भी सत्ता में किसी कोने में ही सही भागीदारी मिलती रहे तो बुरा क्या है। READ MORE
Image may be NSFW. Clik here to view.जब ये एंकर मल्टीनेशनल कम्पनियों के सीईओ, उद्योगपतियों आदि से एंकर इंटरव्यू लेते हैं तो इनकी भाषा शैली बड़ी शालीन होती है क्योंकि सम्बंधित चैनल को उनसे कुछ न कुछ उम्मीद जरूर होती है लेकिन राजनेताओं, अधिकारियों से चाहे जिस तरीके से बात करो। उनसे हर तरीके की सुविधायें भी लो और गुर्राओ भी। आगे पढ़ें
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