$ 0 0 InhaltNavigationWeitere InhalteMetanavigationSucheChoose from 30 LanguagesWrong language? Change it here.DW.DE has chosen हिन्दी as your language setting. DW.DE IN 30 LANGUAGESDW अकादमीDW के बारे मेंDeutsche Welle खबरेंदुनियाखेलविज्ञानमनोरंजनफोकसब्लॉगभारत चीन: 50 साल बादजर्मनी को जानिएजर्मनी में पढ़िए विरासत की खोज मेंसिने सदीमल्टीमीडियालाइवलाइव टीवीतस्वीरेंसभी स्लाइड शोवीडियोसभी टीवी शो और वीडियोप्रोग्राम (अंग्रेजी)जर्मन सीखियेजर्मन पाठमालाजर्मन पाठमालाDeutsch InteraktivMission EuropeRadio DDeutsch - warum nicht?Wieso nicht?MarktplatzAudiotrainerजर्मन XXLजर्मन XXLDeutsch AktuellDeutsch im FokusTelenovelaLandeskundeCommunity DCommunity DDas PorträtFacebook & Co.Podcasts & NewsletterServiceजर्मन सिखानाजर्मन सिखानाDW im UnterrichtUnterrichtsreihenDeutschlehrer-Infoदुनियाखेलविज्ञानमनोरंजनजर्मनी को जानिएसिने सदीखबरें / सिने सदी सिने सदीसौ साल की खलनायकी इसे दुर्लभ संयोग कह लीजिए कि जब भारतीय सिनेमा सौ साल पूरे कर रहा है तो सिने जगत का सबसे बड़ा सम्मान- दादा साहेब फाल्के पुरस्कार चरित्र अभिनेता और अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ खलनायक प्राण को देने का एलान किया गया है.तस्वीर नहीं ख्वाब है सिनेमाअबला नारी से नहीं छूटा नाताबॉलीवुड के अहम पड़ावआधी अधूरी सिनेमा की सदी भारतीय फिल्मों ने भले 100 साल का सफर तय कर लिया हो लेकिन ऐसा प्रदर्शन नहीं कर पाया है कि दर्शक खड़े होकर तालियां बजाएं. सपने और रोमांस में भटकता बॉलीवुड कभी हकीकत के पास भी पहुंचता है लेकिन फिर छिटक जाता है.हिन्दी सिनेमा मतलब शाहरुख बर्लिन में फरवरी की सर्दी में बारिश ने ठंडक घोल दी थी. सालाना फिल्म समारोह में आज कोई बड़ा हॉलीवुड सितारा नहीं आने वाला था. लेकिन सैकड़ों युवतियां बेसब्री से किसी का इंतजार कर रही थीं..कैसे जर्मन बोलते हैं शाहरुख टीवी पर जर्मन बोलते हुए शाहरुख और अमिताभ झगड़ रहे थे. जया रो रही थी. परिवार बिखर चुका था. कहानी ऐसे मोड़ ले रही थी कि संवेदनाओं के मामले में रूखे जर्मन भी रो पड़े. यहीं से भारतीय फिल्म जर्मनी में प्रवेश कर गई.अनुराग कश्यप से इंटरव्यूबदलता रहा संगीत भारतीय सिनेमा के संगीत ने हर दशक में प्रयोग किए है. इनमें कुछ प्रयोगों ने 'प्यार हुआ इकरार हुआ' जैसे गाने दिए तो कुछ ने 'जुम्मा चुम्मा' जैसे आइटम नंबरों को जन्म दिया.तमाशे में तब्दील होते लोकगीत हिन्दी फिल्मों का अभिन्न अंग उसके लोकगीत और लोकधुनें. चाहे "चढ़ गयो पापी बिछुआ" हो या फिर "पिंजरे वाली मुनिया". उत्तर प्रदेश से राजस्थानी, गढ़वाली, बंगाली लोकगीतों के आधार पर कई गाने बने. ये सफलता की चाबी साबित हुए.जर्मनी में धड़कता बॉलीवुडः वीडियोअप्रैल माह की पहेली बॉलीवुड या भारतीय सिनेमा के 100 साल. इस साल की चौथी मासिक पहेली इसी से जुड़ी है. दीजिए जवाब और जीतिए आइपॉड और कलाई घड़ी जैसे शानदार इनाम.चोर के भेस में जादूगर राज कपूर ने श्री 420 में एक गरीब बेघर इनसान का किरदार निभाया. गाना गाते हुए लोगों के बीच नाचते गाते दिखे, भूखे प्यासे लोगों की तरह वह भी भूखे प्यासे थे, गरीबी की मजबूरी और बेबसी अकसर उनसे जेल के चक्कर कटवाती.हैपी एंड की तलाश में दर्शक "यह फिल्म नहीं, असल जिंदगी है. यहां ऐसा ही होता है", यह असल जिंदगी का हिट डायलॉग है. फिल्मों का हैपी एंड जिंदगी पर लागू नहीं होता. लेकिन अगर ऐसा है तो फिर क्यों कहा जाता है कि फिल्में समाज का आईना होती हैं?सिनेमा ने खो दिए वो फनकार! चेहरा हीरोइन का तो रंग गोरा, हीरो का उससे जरा गहरा, कॉमेडियन पर गुलाबी रंग का इस्तेमाल और खलनायक बैंगनी रंग में. भारतीय फिल्मों के 100 साल में बहुत कुछ पाने की होड़ में पता नहीं चला कब पीछे छूट गए वे रंग और रंगरेज."गाने हैं बॉलीवुड की जान" हमने अपने पाठकों से फेसबुक पर पूछा था कि उन्हें बॉलीवुड में क्या खास लगता है. इस पर कई लोगों ने हमें अपने विचार लिख भेजे हैं. देखिए कुछ चुनिंदा पोस्ट.