शिवराज की अदा पर फिदा पब्लिक
‘अपुन तो मूड में हैं’, ‘माफियाओं को जमीन में गाड़ दूंगा’ जैसे वाक्यों से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इन दिनों चर्चा में है. अलग-अलग ढंग से उनके बयानों की मीमांसा की जा रही है. इस मीमांसा में आलोचना का पक्ष ज्यादा है और आलोचकों को लगता है कि यह बयान मुख्यमंत्री के स्तर का नहीं है. लेकिन सच तो यह है कि शिवराजसिंह चौहान की इसी अदा पर, प्रदेश की पब्लिक फिदा हैं. ऐसे बयान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पहली बार नहीं दिया है बल्कि वे बीच-बीच में इस तरह के बयान देकर चर्चा में आ जाते हैं. आम आदमी को लगता है कि इस बार प्रदेश की जमीन पर गड़बड़ करने वालों की खैर नहीं और अचानक से शिवराजसिंह चौहान की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ जाता है. हालांकि शिक्षित वर्ग शिवराजसिंह चौहान के इन बयानों से असहमत दिखता है तो मध्यमवर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय लोगों में शिवराजसिंह एक बार फिर नायक बन कर खड़े हो जाते हैं.
सीहोर जिले के रेहटी से आए शिवभानुसिंह को इस बात की तसल्ली है कि मुख्यमंत्री के लिए यह तेवर जरूरी है. उन्हें लगता है कि शिवराजसिंह चौहान कहते ही नहीं, करते भी हैं. कुछ ऐसी ही राय मंडीदीप से भोपाल आ रहे विवेक की भी है. विवेक अभी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. वे कहते हैं कि मुख्यमंत्रीजी के बयानों से यह लग सकता है कि वे हल्की बातें कर रहे हैं लेकिन माफियाओं में डर पैदा हो जाता है. राज्य की बेहतरी के लिए यह जरूरी है. रामकिशन और उनके साथी भी कहते हैं कि मुख्यमंत्री के इन बातों से हम लोगों में उम्मीद बंधती है कि अब कुछ ठीक होगा. उनकी उम्मीद यह भी है कि बिना सूचना बस किराया या अन्य चीजों में जो मूल्य बढ़ाये जा रहे हैं, उस पर भी नकेल कसी जानी चाहिए. ऐसे और भी कई लोग हैं जो मुख्यमंत्री के तेवर से इत्तेफाक रखते हैं. मंत्रालय के आसपास मिले राजीव कुमार मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के तेवर से इत्तेफाक रखते हैं लेकिन कहते हैं कि यह उनकी तासीर नहीं है. महबूब मियां को लगता है कि जब तक डर पैदा नहीं किया जाएगा, भोपाल और प्रदेश को लूटने का सिलसिला जारी रहेगा. संजीवसिंह और अयूब खान कहते हैं कि शिवराजसिंह तो नायक हैं लेकिन भाषा में थोड़ा संयम बरत लें तो उनके व्यक्तित्व में चार चांद लग जाए. हालांकि उनके काम से ये सारे लोग खुशी जाहिर करते हैं.
मुख्यमंत्री आम जनता के नायक हैं, यह बात सब जानते हैं. वे आम आदमी के मुख्यमंत्री हैं. साल 18 के विधानसभा चुनाव में फकत सूत भर के अंतर से पराजित हो जाने के बाद शिवराजसिंह सत्ता से भले ही दूर हो गए थे लेकिन उनके तेवर वैसे ही रहे. ‘टाइगर अभी जिंदा’ है, जैसे बयान देकर वे चर्चा में बने रहे. भूतपूर्व से लेकर अभूतपूर्व (चौथी दफा) मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अपने पहले के सारे मुख्यमंत्रियों की लोकप्रियता का रिेकार्ड ध्वस्त कर दिया है. शहर से लेकर देहात तक का हर आदमी उन्हें अपने निकट का पाता है. चाय की गुमटी में चुस्की लगाना, किसानों के साथ जमीन पर बैठ कर उनके दुख-सुख में शामिल होना. भरी सभा में आम आदमी के सम्मान में घुटने पर खड़े होकर अभिवादन कर शिवराजसिंह चौहान ने अपनी अलहदा इमेज क्रिएट की है. कभी किसी की पीठ पर हाथ रखकर हौसला बढ़ाना तो कभी किसी को दिलासा देेने वाले शिवराजसिंह चौहान की ‘शिवराज मामा’ की छवि ऐसी बन गई है कि विरोधी तो क्या उनके अपनों के पास इस इमेज की कोई तोड़ नहीं है.
कोरोना के कपकपा देने वाले समय में शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री के रूप में नहीं बल्कि अभिभावक के रूप में लोगों के बीच जाते रहे. इंतजाम का जायजा लेते रहे और बहन बेटियों से कहा था कि फ्रिक ना करें, अपने घर पर बोल दें, मामा उनकी देख-रेख कर रहे हैं. भोपाल की गलियों की खाक छानते रहे तो प्रदेश के दूसरे हिस्सों की समीक्षा बैठकर करते रहे. इस जज्बे वाले शिवराजसिंह पर कोरोना ने हमला बोल दिया लेकिन आत्मबल के धनी शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री के रूप में अस्पताल से सरकार का काम करते रहे. कोरोना को मात देकर मुस्कराते हुए एक बार फिर प्रदेश की सेवा में लौट आए.
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपने आत्मबल पर ही विरोधियों को मात देेते हैं. संभवत: प्रदेश में पहली बार हुए सबसे बड़े उप-चुनाव में उन्हें पराजित करने की सारी कोशिशें नाकाम हो गई. सारे पैंतरे धरे रह गए. सच तो यह है कि शिवराजसिंह चौहान जनता को समझते हैं. उन्हें जानते हैं और उन्हें पता है कि उनकी बेहतरी के लिए क्या किया जाना चाहिए. पब्लिक भी इस बात से राजी है कि उनका ‘नायक’ उनके हक के बारे में बेहतर काम कर रहा है. यकिन ना हो तो एक नजर उनके पिछले और अब के कार्यकाल पर डाल लें तो मुख्यमंत्री को लेकर जिस तरह की नाराजगी पब्लिक में होती है, वह मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को छू भी नहीं पायी है.
पब्लिक के ‘हीरो’ या नायक बनने की शिवराजसिंह चौहान की कामयाबी की कहानी उनके पांव-पांव वाले भइया से शुरू होती है. लगातार 13 वर्ष मुख्यमंत्री रहने के बाद चौथी दफा जब प्रदेश में सत्तासीन होते हैं तो वही सादगी, वही सज्जनता और वही अपनापन प्रदेश के लोगों को मिलता है. उनकी तासीर और तेवर हमेशा से संयमित रहा है. वे समन्वयक की राजनीति करते हैं और विरोधियों को भी पूरा सम्मान देते हैं. ऐसे शालीन व्यक्तित्व के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जब कहते हैं कि अपुन तो मूड में हैं या माफियाओं को जमीन में गाड़ दूंगा तो लोगों को यह असहज लग सकता है. हालांकि सच तो यह है कि उनके इस तल्ख बयानों का विरोध एक खासवर्ग में देखा जा रहा है. मध्यप्रदेश की जिस पब्लिक के वे नायक हैं, उन्हें शिवराजसिंह का यही तेवर भाता है. शिवराजसिंह की इसी अदा पर फिदा है पब्लिक.