Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

कदमताल करें और रहे खुशहाल

Next: महान शायर इकबाल सुहैल ने 'आजमगढ़ के ज़र्रे को नैय्यर-ए-आज़म बना दिया'.. @ अरविंद सिंह आजमगढ़ एक खोज.. "इस खित्ताए आज़मगढ़ पे फैज़ाने तजल्ली है यक्सर/ जो ज़र्रा यहाँ से उठता है, वो नैय्यर-ए- आज़म होता है.''आजमगढ़ की तार्रूफ़ में लिखे इकबाल सुहैल की ये शेर आजमगढ़ की एक तरह से पहचान बन गयें. शायर, अधिवक्ता और शिक्षाविद के रूप में सुहैल साहब ने आज़मियों की प्रतिभा को देश और परदेस तक पहुँचाया. इकबाल अहमद खान का जन्म 1884 (11 रबी 'अल-थानी, 1303 हिजरी) को आजमगढ़ के बड़हरिया गाँव में हुआ तथा 7 नवंबर 1955 को उनका निधन हुआ.वह एक प्रसिद्ध उर्दू के शायर थे। उनका तखल्लुस उपनाम "सुहैल"था. वे इस्लामी विद्वान, वकील, शिक्षाविद और एक राजनीतिज्ञ के रूप में जाने गयें.वह आज़मगढ़ मुस्लिम एजुकेशन सोसाइटी की कार्यकारी समिति के सदस्य थे, जो उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में शिब्ली नेशनल पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज और अन्य संस्थानों का प्रबंधन करता है। आजमगढ़ के बारे में कई लेखों में उनकी शेरों का उल्लेख किया गया है। उनके काम को उर्दू साहित्य के विश्वकोश शब्दकोश में चित्रित किया गया है. राजनीतिक कैरियर : इकबाल सुहैल 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे। इस विधानसभा का गठन 1935 के अधिनियम द्वारा किया गया था। उन्होंने मुस्लिम लीग के उम्मीदवार के रूप में सैयद अली ज़हीर को हराया था। इकबाल सुहैल देश के विभाजन के खिलाफ थे और मातृभूमि के दो-राष्ट्र सिद्धांत का विरोध करते थे। वे जाकिर हुसैन के अच्छे दोस्त थे। शिक्षा :- इकबाल सुहैल की शुरुआती स्कूलिंग मौलाना मोहम्मद शफी के अधीन थी, जो मदरसातुल इस्लाह, सरायमीर, आजमगढ़ के संस्थापकों में से एक थे। मौलाना शफी मशहूर उर्दू कवि खलीलुर-रहमान आज़मी के पिता थे। उन्होंने सन् 1918 - में M.A. किया. तथा LL.B. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से। अलीगढ़ से कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद, इकबाल सुहेल वकालत करने के लिए आजमगढ़ लौट आए। जहाँ वे अल्लामा शिब्ली नोमानी के साथ जुड़े, जिन्हें वह बहुत मानते थे। वह दारुल मुस्नीफ़ेन (शिबली अकादमी, अल्लामा शिबली द्वारा स्थापित संस्थान) के नियमित आगंतुक थे. अलीगढ़ में रहने के दौरान वह शेरों शायरी तथा कविता, भाषण-लेखन में अपने कौशल के लिए प्रसिद्ध हुए। डॉ० जाकिर हुसैन और प्रो.रशीद अहमद सिद्दीकी उनके सबसे करीबी दोस्त बन गए। उन्होंने डॉ० हुसैन के लिए कई भाषण भी लिखे। यह डॉ०हुसैन द्वारा उस प्रस्तावना में स्वीकार किया गया था, जो उन्होंने इकबाल सुहैल द्वारा लिखित कविता के संग्रह, ताबिश-ए-सुहैल के लिए लिखा था। 1914 - वाराणसी के क्वींस कॉलेज से स्नातक किया 1913 - इंटरमीडिएट पूरा हुआ 1907-8 - अरबी और फ़ारसी और इस्लामिक अध्ययन में अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए, वह मौलाना हमीदुद्दीन फ़राही के साथ रहे, जो कि MAO कॉलेज, अलीगढ़ में अरबी प्रोफेसर थे, जहाँ वे मौलाना हसरत मोहानी, मौलाना हाली और मौलाना वाहिदुद्दीन सलीम पानीपति के संपर्क में आए। ग्रंथ का संपादन :- पुस्तक कुलियात-ए-सुहैल का कवर कुलियात-ए-सुहैल (शिबली अकादमी, आज़मगढ़ द्वारा प्रकाशित आरिफ रफ़ी द्वारा संकलित) तबिश-ए-सुहैल (इफ़्तिखार आज़मी द्वारा संकलित) इफ़ाक-ए-सुहैल (शिब्ली नेशनल कॉलेज पत्रिका का विशेष संस्करण) मोहम्मद हसन कॉलेज, (जौनपुर) पत्रिका का विशेष संस्करण आर्मुघन-ए-हरम (नात का संग्रह) रिबा क्या है? फ़ारोस मीडिया प्रकाशन, दिल्ली (अरबी में उपलब्ध और उर्दू) द्वारा प्रकाशित हयात-ए-शिबली (अल-इस्लाह में प्रकाशित, मदरसतुल-इस्ला की मासिक पत्रिका) गज़ल:- अंजाम-ए-वफ़ा भी देख लिया अब किस लिए सर ख़म होता है नाज़ुक है मिज़ाज-ए-हुस्न बहुत सज्दे से भी बरहम होता है मिल-जुल के ब-रंग-ए-शीर-ओ-शकर दोनों के निखरते हैं जौहर दरियाओं के संगम से बढ़ कर तहज़ीब का संगम होता है कुछ मा-ओ-शुमा में फ़र्क़ नहीं कुछ शाह-ओ-गदा में भेद नहीं हम बादा-कशों की महफ़िल में हर जाम ब-कफ़ जम होता है दीवानों के जुब्बा-ओ-दामन का उड़ता है फ़ज़ा में जो टुकड़ा मुस्तक़बिल-ए-मिल्लत के हक़ में इक़बाल का परचम होता है मंसूर जो होता अहल-ए-नज़र तो दा'वा-ए-बातिल क्यूँ करताखुलती ही

 1. प्रतिदिन 10 से 30 मिनट टहलने की आदत बनायें. टहलते समय चेहरे पर मुस्कराहट रखें.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण ||꧂*


2. प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट चुप रहकर बैठें. 

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


3. पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा पुस्तकें पढ़ें.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


4. 70 साल की उम्र से अधिक आयु के बुजुर्गों और 6 साल से कम आयु के बच्चों के साथ भी कुछ समय व्यतीत करें.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण ||꧂*


5. प्रतिदिन खूब पानी पियें.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


6. प्रतिदिन कम से कम तीन लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करें.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


7. गपशप पर अपनी कीमती ऊर्जा बर्बाद न करें.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


8. अतीत के मुद्दों को भूल जायें, अतीत की गलतियों को अपने जीवनसाथी को याद न दिलायें.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


9. एहसास कीजिये कि जीवन एक स्कूल है और आप यहां सीखने के लिये आये हैं. जो समस्याएं आप यहाँ देखते हैं, वे पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं. 

               *꧁ ||जय श्रीकृष्ण ||꧂*


10. एक राजा की तरह नाश्ता, एक राजकुमार की तरह दोपहर का भोजन और एक भिखारी की तरह रात का खाना खायें.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण ||꧂*


11. दूसरों से नफरत करने में अपना समय व ऊर्जा बर्बाद न करें. नफरत के लिए ये जीवन बहुत छोटा है. 

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण ||꧂*


12. आपको हर बहस में जीतने की जरूरत नहीं है, असहमति पर भी अपनी सहमति दें.

               *꧁ ||जय श्रीकृष्ण ||꧂*


13. अपने जीवन की तुलना दूसरों से न करें.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण ||꧂*


 

14. गलती के लिये गलती करने वाले को माफ करना सीखें.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


15. ये सोचना आपका काम नहीं कि दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


16. समय ! सब घाव भर देता है. 

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


17. ईर्ष्या करना समय की बर्बादी है. जरूरत का सब कुछ आपके पास है. 

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण ||꧂*


18. प्रतिदिन दूसरों का कुछ भला करें. 

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


19. जब आप सुबह जगें तो अपने माता-पिता को धन्यवाद दें, क्योंकि माता-पिता की कुशल परवरिश के कारण आप इस दुनियां में हैं.

                *꧁ ||जय श्रीकृष्ण||꧂*


20. हर उस व्यक्ति को ये संदेश शेयर करें जिसकी आप परवाह करते हैं            *꧁ |







Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles