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गांधी, संसद, प्रतिमाएंऔर चित्र विवेक शुक्ला

 संसद का बजट सत्र चालू हुआ तो संसद भवन में आने वालों को यहां पर स्थापित महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा को ना देखकर हैरानी हुई। कहां गई? इसे देश संसद सत्र के समय बार-बार देखता रहा है। इसके आगे विपक्षी दलों के नेता धरना दे रहे होते थे या किसी मसले पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए नारेबाजी कर रहे होते थे।


चूंकि नई संसद के निर्माण का काम गति पकड़ रहा है, इसलिए बापू की मूर्ति को सुरक्षित स्थान पर रख दिया गया है। अब उसे नई संसद भवन परिसर के किसी उपयुक्त स्थान पर लगाया जाएगा। ध्यान की मुद्रा में बनी यह मूर्ति 17 फीट ऊंची है। इसका तत्कालीन राष्ट्रपति डा.शंकर दयाल शर्मा ने 2 अक्तूबर1993 को अनावरण किया था।


 इसके साथ ही संसद भवन के बाहर और रेल भवन के आगे स्वाधीनता सेनानी गोविन्द वल्लभ पंत की आदमकद मूर्ति  को भी फिलहाल हटा दिया गया है। वजह वही नई संसद भवन के निर्माण का काम है। नई दिल्ली में आजादी के बाद लगी किसी शख्यिसत की यह पहली प्रतिमा थी। पंत जी के 7 मार्च 1961 को निधन के बाद इसे 1963 में स्थापित किया गया था। इसमें गति व भाव का शानदार समन्वय है। इसके पास खड़े होकर देखें तो लगता है कि मानो पंत जी राजधानी पर पैनी नजर रख रहे हैं।


संसद भवन परिसर के भीतर देश की लगभग 50 आदरणीय शख्सियतों की आदमकद या ध़ड़ प्रतिमाएं अलग-अलग स्थानों पर स्थापित हैं। इनमें महाराणा प्रताप,महाराजा रणजीत सिंह,महात्मा ज्योतिराव फुले,रविन्द्र नाथ टेगौर, जवाहर लाल नेहरु,बिरसा मुंडा,शहीद भगत सिंह वगैरह शामिल हैं।


 इन्हें राम  सुतार,जी.के.महात्रे, देवव्रत चक्रवर्ती, बी.वी.वाघ,फकीर चंद परीदा जैसे चोटी के मूर्तिशिल्पियों ने बनाया है।ये सब मूर्तियां भी नए संसद भवन में स्थापित की जाएगी। कोशिश ये होनी चाहिए कि ये उन स्थानों पर लगें ताकि इनके लोग दर्शन कर पाएं। अभी गेट नंबर 12 पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित है। यह 18 फुट ऊँची कांस्य प्रतिमा है। इसे यहां आने वाले कायदे से देख नहीं पाते क्योंकि इस तरफ से ही उपराष्ट्रपति का आना-जाना होता है।

 लिहाजा सुरक्षा बल इस ओर लोगों को  आने- जाने नहीं देते हैं। संसद भवन परिसर में 107 महापुरुषों के चित्र भी लगे हैं। इन्हें  बहुमुखी प्रतिभा के धनी निकलाय रोरिक, के.के.हेब्बार, चिंतामणी कार, वसीम कपूर वगैरह ने तैयार किया  है।संसद भवन में पहला चित्र गांधी जी का सेंट्रल हॉल में 28 अगस्त 1947 को लग गया था। मतलब उनके जीवनकाल में ही उनका चित्र संसद भवन में लगा दिया गया था। इसे  ओस्वर्ड बिरली ने तैयार किया था। 


गांधी जी के बाद बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय,बल्लभभाई पटेल  वगैरह के भी चित्र  संसद भवन में लगते रहे। लाला लाजपत राय का चित्र बनाया था सतीश गुजराल ने। इसका पंडित जवाहरलाल नेहरु ने 17 नवबंर 1956 को अनावरण किया था। इसे देखकर लगता है कि लाला लाजपत राय कभी भी बोलने लगेंगे। अदभुत है यह।  कहते हैं, इस चित्र को देखकर नेहरु जी ने सतीश गुजराल को तीन मूर्ति भवन में चायपान के लिए बुलाया था।


सतीश जी के साथ तीन मूर्ति भवन उनके अग्रज आई.के.गुजराल भी गए। नेहरु जी के साथ उस बैठक के बाद आई.के.गुजराल बार-बार तीन मूर्ति भवन जाने लगे। अनुज की बदौलत उनकी किस्मत के सितारे खुल गए। इधर एम.एफ.हुसैन का कोई चित्र ना होना हैरान करता है। बहरहाल,संसद भवन में लगे चित्र नई संसद को भी सुशोभित करेंगे।


नवभारत टाइम्स में पिछली 18 फरवरी,2021 को छपे  लेख के अंश।


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