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श्री 420 का वो गीत जो फ़िल्म मे नहीं

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 आर के बैनर की १९५५ आयी फ़िल्म श्री ४२० के लिए कुल ८ गाने रिकॉर्ड हुए थे। पर फ़िल्म में सिर्फ ७ गाने ही रखे गए।


जो आठवां गीत फ़िल्म में नहीं था वो है 'शाम गई रात आई कि बलम आ जा'इसे हसरत जयपुरी जी ने लिखा और शंकर जयकिशन जी ने संगीत दिया था। गाया था लता जी ने। बाद में इस गीत का इस्तेमाल किसी अन्य फ़िल्म में भी नहीं हुआ।

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शाम गई रात आई, कि बलम आजा

तारों की बरात आई, कि बलम आजा

ओ बलम आजा, अब तो सनम आजा

शाम गई रात आई, कि बलम आजा

रात और दिन के मिलन की घड़ी में, ठण्डी-ठण्डी सावन की झड़ी में

दो दिलों ने जो बाँधे थे बँधन, उनमें खोई खड़ी मैं, खड़ी मैं

याद मुलाक़ात आई, कि बलम आजा

ओ बलम आजा, अब तो सनम आजा

शाम गई रात आई, कि बलम आजा


मीचूँ आँखें तो तेरी सुरतिया चम-चम-चमके जैसे बिजुरिया

प्यारभरे तेरे नैनों के रंग में भीगे मन की चुनरिया, चुनरिया

जैसे बरसात आई, कि बलम आजा

ओ बलम आजा, अब तो सनम आजा

शाम गई रात आई, कि बलम आजा

तारों की बरात आई, कि बलम आजा


https://m.youtube.com/watch?v=HlCG9wqu4XY&feature=youtu.be


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