मीडिया जन सूमह तक सूचना, शिक्षा और मनोरंजन पहुंचाने का एक माध्यम है। यह संचार का सरल और सक्षम साधन है। जो अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में मुख्य भूमिका निभाता है। ऐसे युग में जहां ज्ञान और तथ्य आर्थिक राजनैतिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए औजार हैं, देश में सुदृढ़ और रचनात्मक मीडिया की मौजूदगी व्यष्टियों, सम्पूर्ण समाज, लघु और वृह्त व्यवसाय और उत्पादन गृहों, विभिन्न अनुसंधान संगठनों निजी क्षेत्रों तथा सरकारी क्षेत्रों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण है। मीडिया राष्ट्र के अंत:करण का रक्षक है और हमारे दिन प्रतिदिन के जीवन में उसे बहुत से कार्य करने है। यह सरकार को विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक लक्ष्य हासिल करने में सहायता करता है शहरी और ग्रामीण जल समूह को शिक्षित करने, लोगों के बीच उत्तरदायित्व की भावना जागृत करने और जरूरत मदों को न्याय प्रदान करने में सहायता करता है। इसमें मोटे तौर पर प्रिंट मीडिया जैसे समाचार पत्र पत्रिका, जर्नल और अन्य प्रकाशन होते हैं तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे रेडियो, टेलीविजन इंटरनेट आदि। विश्व के बदलते परिदृश्य के साथ इसने उद्योग का दर्जा प्राप्त कर लिया है। भारत में, मीडिया और मनोरंजन उद्योग में उल्लेखनीय परिवर्हन हो रहा है और यह एक सबसे तेज विकसित होता क्षेत्रक है। इसके लिए उत्तरदायी मुख्य कारक हैं प्रति व्यक्ति / राष्ट्रीय आय को बढ़ाना, उच्च आर्थिक वृद्धि और सशक्त मेक्रो-आर्थिक मूलभूत तत्व, और लोक तांत्रिक व्यवस्था, अच्छा शासन साथ ही देश में कानून और व्यवस्था की अच्छी स्थिति। विशिष्ट रूप से टेलीविजन उद्योग का उल्लेखनीय विकास, फिल्म निर्माण और वितरण के लिए नए प्रारूप निजीकरण और रेडियों का विकास, क्षेत्रक के प्रति सरकार की उदारीकृत मनोवृत्ति, अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए/से सरलता से पहुंच, अंकीय संचार का आगमन और इसके प्रौद्योगिकीय अभिनव परिवर्तन इस क्षेत्रक के विकास की अन्य विशेषताएं हैं। मीडिया उद्योग देश में मजबूत व्यापार माहौल का सृजन करने के अतिरिक्त सूचना और शिक्षा मुहैया कराने द्वारा राष्ट्रीय नीति ओर कार्यक्रमों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस प्रकार से यह राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में जनता को सक्रिय भागीदार बनने में सहायता करता है। सूचना और प्रसारण मंत्रालयभारत में मीडिया उद्योग से संबंधित नियमों, विनियमों और कानून के निर्माण एवं प्रशासन के लिए नोडल प्राधिकरण है। यह विभिन्न आयु वर्ग के लोगों की बौद्धि और मनोरंजनक आवश्यकताओं की पूर्ति करने में लगा हुआ है। और यह राष्ट्रीय अखंडता, पर्यावरणीय रक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और परिवार कल्याण निरक्षरता का उन्मूलन तथा महिला बच्चों और समाज के कमजोर वर्ग से संबंधित मुद्दों की ओर जन समूह का ध्यान आकर्षित करता है। यह सूचना के मुक्त प्रवाह का अभिगमन के लिए लोगों को सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह जन संचार, फिल्मों और प्रसारण के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए जिम्मेदार है और भारत सरकार की ओर से विदेशी पक्षों के साथ अन्योन्याय क्रिया करता है :-
लोगों के लिए आकाशवाणी (एआईआर) और दूरदर्शन (डीडी) के माध्यम से समाचार सेवा प्रदान करना
प्रसारण और टेलीविजन नेटवर्क का विकास करना तथा फिल्मों का निर्यात एवं आयात का संवर्धन करना
सरकार के विभिन्न विकासात्मक क्रियाकलापों और कार्यक्रमों में अधिकाधिक भागीदारी के लिए लोगों को शिक्षित करना और प्रेरणा देना।
सूचना औश्र प्रचार के क्षेत्र में राज्य सरकारों और उनके संगठनों के साथ संबंध बनाना
देश में फिल्मोत्सव और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का आयोजन करना
समाचार पत्रों के संबंध में प्रसे और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1968 को प्रवृत्त करना
राष्ट्रीय महत्व के विषयों को प्रकाशन के माध्यम से देश के भीतर और बाहर भारत के बारे में सूचना का प्रचार-प्रसार करना
लोक हित के मुद्दों पर सूचना प्रचार के अभियान के लिए अन्तर व्यैक्ति संचार और पारम्परिक लोक कला के रूपों का उपयोग करना
केन्द्र सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों से संबंधित सरकारी सूचना और मूलडाला का स्वीकृति केन्द्र के रूप में कार्य करने द्वारा सरकार और प्रेस के बीच सतत सम्पर्क के रूप में कार्य करना।
मंत्रालय को निम्नलिखित स्कंधों में विभाजित किया गया है, अर्थात:-
सूचना स्कंध– यह नीतिगत मामलों, प्रिंट मीडिया तथा सरकार की प्रेस और प्रचार संबंधी आवश्यकताओं पर कार्य करता है। इस स्कंध में मीडिया यूनिट निम्नलिखित हैं:-
प्रेस सूचना ब्यूरो
फोटो प्रभाग
अनुसंधान, अवलोकन और प्रशिक्षण प्रभाग
प्रकाशन विभाग
विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय
क्षेत्र प्रकाशन निदेशालय
संगीत और नाटक प्रभाग
भारत के लिए समाचारपत्र पंजीयक
भारतीय प्रेस परिषद
भारतीय जनसंचार संस्थान।
प्रसरण स्कंध– यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबंधित मामले पर कार्य करता है। यह इस क्षेत्र के लिए नीतियों और रूपरेखा नियमों तथा विनियमों का निर्धारण करता है, जिसमें लोक सेवा प्रसारण, केबल टेलीविजन का प्रचालन, निजी टेलीविजन चैनल, एफएम चैनल, उपग्रह रेडियो, सामुदायिक रेडियो, डीटीएच सेवा आदि का प्रसारण शामिल है। इस स्कंध के अंतर्गत संगठन में निम्नलिखित शामिल है:-
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया निगरानी केन्द्र
प्रसार भारती (भारतीय प्रसारण निगम) – इसकी स्थापना आयोजन करने और लोगों का मनोरंजन करने के लिए किया गया है और एजेंसियों जैसे:- (i) आकशवाणी और (ii) दूरदर्शन के माध्यम से रेडियों और टेलीविजन पर प्रसारण का संतुलित विकास सुनिश्चित करने लिए किया गया है।
फिल्म स्कंध– यह फिल्म क्षेत्रक से संबंधित मामलों पर कार्य करता है। अपने विभिन्न यूनिटों के माध्यम से यह डाक्युमेटरी फिल्मों के निर्माण और वितरण में रत है जिनकी आवश्यकता आंतरिक और बाहय प्रचार के लिए होती है, फिल्म उद्योग से संबंधित विकासात्मक और संवर्धनात्मक क्रियाकलाप, जिसमें प्रशिक्षण, अच्छी सिनेमा का संवर्धन, फिल्मोत्सव का आयोजन करना, विनियमों का आयात और निर्यात करना आदि शामिल है। इस स्कंध के निम्नलिखित मीडिया यूनिट हैं:
फिल्म प्रभाग
फिल्म प्रमाणन का सिनेमा बोर्ड
भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार
राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम
भारतीय फिल्म और टेलीविजन
सत्यजीत राय फिल्म और टेलीविजन संस्थान
फिल्मोत्सव निदेशालय
बाल फिल्म सोसाइटी
समेकित वित्त स्कंध– यह मंत्रालय के लेखा का रखरखाव और निगरानी का महत्वपूर्ण कार्य ''मुख्य लेखा नियंत्रक'' के अधीनस्थ कार्यालय के माध्यम से करता है।
मीडिया उद्योग ने देश में उदार निवेश क्षेत्र से उललेखनीय लाभ पहुंचाता है। इसके विभिन्न खंडों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी गई है। प्रिंट मीडिया के लिए गैर समाचार प्रकाशन सहित शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है और समाचार और ताजा मामलों को शामिल करने वाले प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए 26 प्रतिशत तक के एफडीआई (एफआईआई सहित) की अनुमति है। जबकि एफआईआई, एनआरआई और पीआईओ के लिए नए क्षेत्र भी खुले हैं। एफएम रेडियो प्रसारण क्षेत्र में एफडीआई (एफआईआई सहित) को 20 प्रतिशत की अनुमति दी गई है। जबकि एफडीआई और एफआईआई को केबल नेटवर्क, प्रत्यक्ष रूप से घर में (डीटीएच) के लिए 49 प्रतिशत तक की अनुमति है (इस सीमा के अंदर एफडीआई का घटक 20 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ना चाहिए), अपलिंकिंग, हब (टेलीपोर्ट) आदि जैसी हार्डवेयर सुविधाओं की स्थापना। वर्तमान में भारत में 110 मिलियन टेलीविजन रखने वाले घर हैं, जिनमें से लगभग 70 मिलियन घरों में केबल और सेटेलाइट है और शेष 40 मिलियन घरों को सार्वजनिक प्रसारक द्वारा सेवा प्रदान की जाती है अर्थात दूरदर्शन। इसी प्रकार देश में 132 मिलियन रेडियो सेट हैं। पुन: पिछले कुछ वर्षों में निजी उपग्रह टीवी चैनलों की संख्या बहु तेजी से 2000 में एक टीवी चैनल से बढ़कर 31 दिसम्बर 2007 तक 273 टीवी चैनल तक पहुंच गई है। समाचार और ताजा मामलों के टीवी चैनल 58 प्रतिशत और गैर समाचार तथा ताजा मामलों के टीवी चैनल कुल अनुमत 273 टीवी चैनलों का 42 प्रतिशत हैं। पूर्व चैनलों की संख्या 2000 में केवल 1 से बढ़ कर 31 दिसम्बर 2007 को 158 हो गई है, जबकि दूसरे की संख्या 0 से 115 तक पहुंच गई है। मंत्रालय द्वारा अनेक नीतिगत सिद्धांत बनाए जाने के साथ अनेक मार्गदर्शी सिद्धांत तैयार किए जाते हैं ताकि देश में विभिन्न जन संचार मीडिया के स्वस्थ विकास के लिए एक उपयुक्त परिवेश बनाया जा सके।
'टेलीविजन चैनलों के डाउनलिंकिंग के लिए नीतिगत दिशानिर्देश' जिसका निहितार्थ सभी उपग्रहण टेलीविजन चैनलों को डाउनलिंकिंग जिनका भारत में जनता के देखने के लिए डाउनलिंग किया गया/प्राप्त किया गया और पारेषण एवं पुन: पारेषण किया गया। इसके अधीन कोई व्यक्ति या कम्पनी चैनल डाउनलिंक नहीं करेगा जिसका पंजीकरण मंत्रालय द्वारा नहीं किया गया है। इसलिए टेलीविजन उपग्रह प्रसारण सेवा प्रदान करने वाले सभी व्यक्ति/कंपनी दूसरे देशों के दर्शकों के साथ भारत में अपलिंक होते हैं तथा कोई भी कंपनी जो ऐसी उपग्रह टेलीविज़न प्रसारण सेवा प्रदान करना चाहता है जो जनता के देखने के लिए भारत में प्राप्य हो उसे निर्धारित निबंधनों और शर्तों के अनुसार मंत्रालय से अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। नीतिगत दिशानिर्देश कुछ अर्हक मानदण्ड आवेदक कंपनी के लिए निर्धारित करता है, जो निम्नलिखित हैं:-
कंपनी (आवेदक कंपनी) चैनल डाउनलिंक करने की अनुमति के लिए आवेदन करता है, विदेशों से अपलिंक्ड होता है वह ऐसी कंपनी होगी जिसका पंजीकरण कंपनी अधिनियम 1956 के अधीन किया गया है इसमें इसका इक्विटी ढांचा, विदेशी स्वामित्व या प्रबंधन नियंत्रण चाहे जो भी हो।
आवेदक कंपनी का भारत में वाणिज्यिक मौजूदगी हो जिसका मुख्य व्यापार स्थान भारत में हो
यह या तो उस चैनल का मालिक हो जिसे वह जनता के देखने के लिए डाउनलिंक करना चाहता है या भारत के भूभाग के लिए उसके लिए उसके पास विशिष्ट विपणन/वितरण अधिकार हो जिसमें विज्ञापन और चैनल के लिए खरीद राजस्व हो और उसे आवेदन के समय पर्याप्त प्रमाण जमा करना होगा।
यदि आवेदक कंपनी के पास विशिष्ट विपणन/और वितरण अधिकार है तो इसके पास विज्ञापन के लिए, खरीद और कार्यक्रम विषय वस्तु के लिए चैनल की ओर से संविदा तय करने का भी अधिकार होना चाहिए।
आवेदक कंपनी के पास निर्धारित विवरण के अनुसार न्यूनतम निवल मूल्य होना चाहिए, अर्थात 1.5 करोड़ रु. का निवल मूल्य एक चैनल की डाउन लिंकिंग के लिए और प्रत्येक अतिरिक्त चैनल के लिए एक करोड़ रु. होने चाहिए।
इसे कंपनी के सभी निदेशकों के नाम और विवरण तथा मुख्य कार्यपालकों के जैसे कि सीईओ, सीएफओ और विपणन प्रमुख आदि की जानकारियां उनके राष्ट्रीय सुरक्षा समाशोधन प्राप्त करने के लिए देनी चाहिए।
इसे तकनीकी विवरण जैसे कि नामकरण, मेक, मॉडल, उपकरण / उपस्कर के विनिर्माता का नाम और पता, जिसका उपयोग डाउन लिकिंग और वितरण के लिए किया जाएगा, डाउन लिंकिंग तथा वितरण प्रणाली के ब्लॉक योजनाबद्ध आरेख और साथ ही इसे 90 दिनों के लिए निगरानी एवं भण्डारण अभिलेख क सुविधा का प्रदर्शन भी करना चाहिए।
इसी प्रकार 'भारत से अप लिंकिंग के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत', की अधिसूचना में, जहां आवेदक द्वारा एक अप लिंकिंग हब /टैली पोर्ट की स्थापना या एक टीवी चैनल को अपलिंक करने या एक समाचार एजेंसी द्वारा अपलिंक की सुविधा स्थापित करने हेतु अनुमति मांगी जाती है तो यह कंपनी भारत में कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत कंपनी होनी चाहिए। यह कंपनी केवल उन टीवी चैनलों को अपलिंक करेगी, जिन्हें मंत्रालय द्वारा विशिष्ट रूप से अनुमोदित या अनुमत किया गया है। आवेदक कंपनी के साथ अपलिंकिंग हब / टेली पोर्ट की स्थापना के लिए विदेशी इक्विटी धारिता एनआरआई / ओसीबी / पीआईओ सहित 49 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। निवल मूल्य आवश्यकता चैनल की एक से दस तक क्षमता के लिए 1 करोड़ से 3 करोड़ के बीच होती है। आवेदक कंपनी का स्वामी चाहे कोई भी हो, इसकी इक्विटी संरचना या प्रबंधन का नियंत्रण गैर समाचार और ताजा मामलों के टीवी चैनल की अपलिंकिंग के लिए अनुमति पाने का पात्र होगा। निवल मूल्य जो एकल टीवी चैनल के लिए आवश्यक है, इसकी राशि प्रत्येक अतिरिक्त चैनल के लिए 1.5 करोड़ रु. और 1 करोड़ रु. है जबकि एक समाचार और ताजा मामलों वाले टीवी चैनल की अपलिंकिंग के लिए एकल टीवी चैनल हेतु निवल मूल्य 3 करोड़ रु. और प्रत्येक अतिरिक्त टीवी चैनल के लिए 2 करोड़ रु. है।
आवेदक कंपनी भारतीय कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत के भारतीय कंपनी होनी चाहिए।
आवेदक कंपनी में एफडीआई / एनआरआई /ओसीबी / एफआईआई सहित कुल विदेशी इक्विटी धारिता 49 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। विदेशी इक्विटी के अंदर एफडीआई का घटक 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
आवेदक कंपनी में भारतीय प्रबंधन नियंत्रण के साथ मंडल में अधिकांश प्रतिनिधित्व तथा कंपनी के मुख्य कार्यकारी का भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है, आदि।
एक 'निजी एजेंसियों के माध्यम से एफएम रेडियो प्रसारण सेवाओं के विस्तार पर नीति (फेज-II)' की घोषणा ऑल इंडिया रेडियो के प्रयासों को पूरकता और पूर्ति प्रदान करने के लिए निजी एजेंसियों के माध्यम से एफएम रेडियो नेटवर्क के विस्तार हेतु की गई है। इसे ऐसे रेडियो स्टेशनों के प्रचालन द्वारा किया जाना है जो स्थानीय सामग्री और सार्थकता के साथ कार्यक्रम प्रस्तारित करते हैं, ग्राह्यता और उत्पादन में फीडेलिटी की गुणवत्ता में सुधार करते हैं, स्थानीय प्रतिभा की भागीदारी को प्रोत्साहन देते हैं और रोजगार उत्पादन करते हैं। ऐसे 21 चैनल प्रथम चरण में पहले से ही कार्यरत हैं। इन 337 चैनलों में से दूसरे चरण के दौरान आशय पत्र 245 चैनलों को प्रदान किया गया, इनमें से सभी चैनलों ने करार नामों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। कुल मिलाकर 178 निजी एफएम चैनल भारत में अब तक प्रचालनरत हैं, जिसमें प्रथम चरण के 21 चैनल शामिल है।
'सिनेमेटोग्राफ फिल्मों और अन्य फिल्मों के आयात', के लिए भी है जहां सिनेमेटोग्राफ फीचर फिल्मों और अन्य फिल्मों (जिसमें वीडियो टेप में फिल्म, कॉम्पैक्ट, वीडियो डिस्क, लेसर वीडियो डिस्क या डिजिटल वीडियो डिस्क शामिल हैं) को लाइसेंस के बगैर अनुमत किया गया है। फिल्म के आयातक फिल्मों के वितरण और प्रदर्शन को शासित बनने वाले सभी प्रयोज्य भारतीय कानूनों का अनुपालन करेंगे जिनमें सिनेमेटोग्राफी अधिनियम, 1952 के तहत निर्धारित सार्वजनिक प्रदर्शन प्रमाणपत्र प्राप्त करने की अपेक्षाएं शामिल हैं। इसके तहत किसी अनधिकृत नकली फिल्म का आयात प्रतिबद्धित है। भारतीय फिल्मों का विदेशी रिप्रिन्ट का आयात मंत्रालय में लिखित रूप में पूर्वानुमति के बिना अनुमत नहीं होगा।
'प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक प्रारूप, 2007' की घोषणा एक क्रमबद्ध रूप में प्रसारण के प्रबंधन और सामग्री को प्रोत्साहन, सुविधा और विकास प्रदान करने के लिए की गई है। इस प्रयोजन के लिए इसका लक्ष्य एक ऐसे स्वतंत्र प्राधिकरण की स्थापना है, जिसे भारतीय प्रसारण विनियामक प्राधिकरण कहा जाए और यह शैक्षिक, विकास संबंधी, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य जरूरतों के लिए उत्तरदायी रूप से प्रसारण सेवाओं को प्रोत्साहन दें तथा लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करें एवं उनके कार्यक्रमों में लोक सेवा संदेश तथा सामग्री आदि को शामिल किया जाए।
ऐसी सभी पहलों के परिणामस्वरूप भारत में मीडिया उद्योग ने वर्षों से उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाया है लगभग दो अंकीय वृद्धि हुई है। इसे 437 बिलियन रु. के आकलित आकार से वर्ष 2011 तक एक ट्रिलियन रु. तक बढ़ने का अनुमान है। अधिक पूंजी प्रवाह लाता है और प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष दोनों प्रकार के रोजगार के लिए महत्वपूर्ण मार्ग दर्शाता है। यह विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के बारे में लोगों का दृष्टिकोण और विचार बनाने में सहायता करता है इस प्रकार से योजनाओं के निर्माण, नीतियां और कार्यक्रम बनाने में सहायता करता है। यह मनोरंजन देने, सूचना का प्रचार-प्रसार करने, विभिन्न मतों का पोषण और विकास करने भारत के नागरिकों को जानकारी, नागरिक बनने में शिक्षित बनाने और सशक्त बनाने के लिए शक्तिशाली माध्यम है ताकि लोग प्रजातंत्रिक प्रक्रिया में प्रभावी रूप से भाग ले सकें तथा देश की विविध भारतीय संस्कृति और योग्यता का संरक्षण, संवर्धन और अभिकल्पना करने में सहायता करता है।