कोरोना की दूसरी लहर पर भारत सरकार मौन क्यों ? / विजय केसरी
देशवासियों को उम्मीद थी कि 2021 में कोरोना संक्रमण से मुक्ति मिल जाएगी , लेकिन इसके विपरीत स्थितियां उत्पन्न हो गई है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अति भयावह होती चली जा रही है। जिस तेजी के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या देशभर में बढ़ती चली जा रही है, बेहद चिंताजनक है । गत वर्ष 22 मार्च को संपूर्ण देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी । लॉकडाउन की घोषणा के बाद भी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती गई थी । विचारणीय यह है कि अगर भारत सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा नहीं की जाती तब देश की स्थिति क्या होती ? सिर्फ स्मरण कर मन सिहर जाता है।
गत वर्ष कोरोना की स्पीड आज के मुकाबले 25% कम थी। आज कोरोना संक्रमण की गति गत वर्ष की तुलना में 75% अधिक है । फिर भारत सरकार मौन क्यों है ? यह बड़ा अहम सवाल है । आखिर भारत सरकार देश में बढ़ते कोरोना संक्रमितों पर गंभीर क्यों नहीं ? देशभर में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में दिन-ब-दिन इजाफा होता चला जा रहा है । जबकि 2020 में कोरोना के प्रारंभिक लक्षण आने के बाद ही वायु सेवा बंद कर दी गई थी । लंबी दूरी की ट्रेनें बंद कर दी गई थी । बसों का संचालन बंद कर दिया गया था । एक राज्य से दूसरे राज्य में आने जाने में रोक लगा दी गई थी । सिर्फ जरूरी सामानों के आने-जाने पर रोक नहीं थी । इतनी सख्ति के बाद भी लाखों की संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित हुए थे। असंख्य जाने गई थीं।
आज गत वर्ष के मुकाबले कोरोना संक्रमण की स्पीड ज्यादा है । बीते बीस दिनों में ही संपूर्ण देश कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गया है । महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, इंदौर, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश , पंजाब, चंडीगढ़ आदि राज्यों में कोरोना बहुत तेजी के साथ फैलता चला जा रहा है । महाराष्ट्र ,पंजाब और चंडीगढ़ जैसे राज्य कोरोना संक्रमण से बेहाल है । देश के बहुत से राज्यों में नाइट कर्फ्यू लगा दी गई है । मास्क पहनना जरूरी है । दो गज की दूरी जरूरी है । साबुन से हाथ धोने और सेनीटाइजर के इस्तेमाल जैसे राज्यादेश भी लागू है । इन तमाम उपायों और कोशिशों के बावजूद भी देश के लगभग सभी प्रांतों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता चला जा रहा है । महाराष्ट्र जैसे प्रांत में एक दिन में पच्चास हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज पाए जा गए हैं । प्रतिदिन एक सौ से अधिक जाने जा रही हैं । पंजाब ,चंडीगढ़ , दिल्ली में भी हजारों की संख्या में प्रति दिन मरीज निकल रहे हैं । इन राज्यों की स्थिति यह हो गई है कि कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल में दाखिल करने के लिए बेड कम पड़ रहे हैं । संपूर्ण देशवासी त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे हैं ।
भारत सरकार कहती है । सबका साथ और सबका विकास । यह कैसा साथ है ? यह कैसा विकास है ? गत वर्ष आज की तुलना में परिस्थिति कमतर थी । इसके बावजूद भारत सरकार की मुस्तैदी देखते बनती थी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बार-बार जनता के नाम संदेश देना । जनता को जागरूक करना । देश की जनता कैसे कोरोना संक्रमण से बचें ? भारत सरकार बार-बार जनता को जागरूक कर रही थी । देश की जनता का मनोबल टूटे नहीं, भारत सरकार अपनी बातें पूरी मजबूती के साथ रख रही थी। देश की 136 करोड़ जनता भारत सरकार के आदेश का पूरी ईमानदारी से पालन किया था ।
आज गत वर्ष के मुकाबले स्थिति ज्यादा गंभीर हैं । फिर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी मौन क्यों है ? देश की करोड़ों जनता को किसके हवाले छोड़ दिया गया है ? आज वह मुस्तैदी क्यों नहीं है ? आज कोरोना प्रति दिन सैकड़ों की संख्या में जाने जा रही हैं । क्या इंसानों की जानों की कोई कीमत है ? जिन परिवारों से ये जाने जा रही हैं , उन परिवारों पर क्या बीत रहे होंगे ? इस पर क्या भारत सरकार को विचार करने की फुर्सत नहीं है ?
लाखों की संख्या में प्रति दिन देश के विभिन्न अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीज भरती हो रहे हैं । हजारों की संख्या लोगों की जाने जा रही हैं । भारत सरकार की मुस्तैदी कहां गुम हो गई है ? यह सवाल मुझे इसलिए करना पड़ रहा है कि भारत सरकार की 2020 के मुकाबले 2021 में कार्रवाई में इतना फर्क क्यों ? भारत सरकार की इस चुप्पी के पीछे कौन सी बात छुपी हुई है ? यह भी देश की जनता को जानना चाहती है ।
भारत सरकार की मुस्तैदी सिर्फ देश के पांच राज्यों में दिख रही है । चूंकि इन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। इन पांच राज्यों में एक के बाद एक जनसभाएं हो रही हैं । इन जनसभाओं में लाखों की संख्या में उक्त राज्यों की जनता जुट रही हैं । सरकार अपनी बातें रख रही हैैं । क्या जनता की जान से भी कीमती चुनाव हो गया है ? मेरी दृष्टि में भारत सरकार का यह कर्तव्य बनता है कि चुनाव के परिणामों को दरकिनार करते हुए देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना संक्रमण पर बातचीत करनी चाहिए। जैसा कि 2020 में किया गया था । प्रत्येक राज्यों में कोरोना संक्रमित मरीजों की स्थिति क्या है ? इस विषय पर गंभीरता से विचार विमर्श किया जाना चाहिए । कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कैसा चल रहा है ? इन राज्यों को केंद्र से क्या सहायता की जरूरत है ? भारत सरकार इन राज्यों के लिए क्या कर सकती है ? मेरी दृष्टि में भारत सरकार की पहली प्राथमिकता यही होनी चाहिए ।
भारत सरकार के सबसे बड़े नेता माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, गृहमंत्री अमित शाह जी एवं अन्य केंद्रीय मंत्री गण सिर्फ चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं । जबकि दिन-ब-दिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती चली जा रही है । यह कैसा सबका साथ है ? यह कैसा सबका विकास है ? जब मैं यह लेख लिख रहा हूं, देश भर में एक दिन में 168000 कोरोना संक्रमित मरीज पाए गए हैं। महाराष्ट्र से संपूर्ण लॉकडाउन की खबरें आ रही हैं । देशभर के अखबारों में कोरोना वायरस से संबंधित खबरें प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित हो रही हैैं । देश के लगभग सभी टीवी चैनलों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की खबरें प्रमुखता के साथ दिखाई जा रही हैं । भारत सरकार क्यों अनजान बनी हुई है ? यह बेहद चिंता की बात है । भारत सरकार अपनी पूरी शक्ति इन पांच राज्यों में चुनाव जीतने में लगा दी है । मेरी दृष्टि में भारत सरकार का यह चुनावी कदम जनहित में नहीं है।
देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री जो जनसभाएं कर रहे हैं, लाखों की संख्या में इन जनसभाओं में जनता जुट रही है । आधे से ज्यादे लोग बिना मास्क के जुटते हैं । भारत सरकार चाहती तो जनसभाओं के बिना ही टीवी के माध्यम से अपनी बातों को रख सकती । लेकिन ऐसा नहीं कर भारत सरकार ने एक बड़ी भूल की है। भारत सरकार को जनता की तकलिफों को प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले देखनी चाहिए। भारत सरकार का पहला कर्तव्य बनता है कि देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना के बढ़ते प्रभाव पर बातचीत करनी चाहिए । कोरोना से संक्रमित मरीजों की स्थिति का जायजा लें , जो संभव कदम हो उठाएं । संपूर्ण देश लॉकडाउन की ओर बढ़ रहा है।
विजय केसरी
(कथाकार / स्तंभकार)
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