बेहद आकर्षक व्यक्तित्व के धनी और नई पीढ़ी के अग्रणी कलाकार, दिल्ली यूनिवर्सिटी में संगीत विभाग में प्रोफेसर.................... प्रतिष्ठित सितारवादक प्रतीक चौधरी करोना से जूझते हुए आज इस संसार से विदा हुए।
वे विख्यात सितारवादक पद्मविभूषण पंडित देबू चौधरी के पुत्र थे।
हमारे विश्वविद्यालय में वे अपनी पत्नी और बहुत ही लाडले बेटे अधिराज के साथ संगीत विभाग के निमंत्रण पर पधारे थे। मैं भी उस कार्यक्रम में शरीक था।
इस कार्यक्रम में पंडित प्रतीक चौधरी ने डेमो लेक्चर के जरिए कई रागों की अनुपम प्रस्तुति दी तो उनके बेटे अधिराज ने भी अपनी नन्हीं उंगलियों से सितार के माध्यम से सब को मंत्र मुग्ध कर दिया था। बेटे की भी क्या उम्र रही होगी यही कोई 14-15 साल।
बचपन की दहलीज पर खड़े अपने बेटे को निपुणता के साथ सितार बजाते हुए देखना...............एक पिता के लिए निश्चित रूप से बहुत ही गौरवमयी पल थे। जिन्हें मैंने भी बहुत करीब से महसूस किया।
सच में अधिराज के रूप में भविष्य का एक होनहार कलाकार हमारे समक्ष उपस्थित था।
कार्यक्रम के बाद उन्होंने ने और उनकी पत्नी ने मुझे चाव से बताया कि बेटे को क्रिकेट का बहुत शौक है लेकिन अपने दादा के साथ सितार का निरंतर और घंटों अभ्यास उस की दैनिंदिन चर्या है।
मेरे लिए वह क्या सुंदर दिन था और सोचने लगा कि वर्षों पूर्व आईआईएमसी दिल्ली में पढ़ते हुए स्पिकमेके के प्रोग्राम में प्रसिद्ध सितारवादक पद्मभूषण पं. देबू चौधरी के सितारवादन को सुना था तो आज उनके सुपुत्र पंडित प्रतीक चौधरी और पौत्र नन्हें अधिराज चौधरी को। सच में तीन पीढ़ियों को सुनने का ये मेरा सौभाग्य ही रहा और उस दिन मैंने प्रतीक जी को जब ये बात बताई तो वे बेहद खुश हुए।
इस कार्यक्रम के समापन पर उन्होंने ने दोहराया कि वृक्षों, फूलों और हरियाली से लदी हमारी यूनिवर्सिटी में वे बार बार आना चाहेंगे।
उनकी की भी क्या उम्र रही होगी यही कोई 47-48 साल? क्या ये उम्र ऐसे ही चले जाने की है?
महा वज्रपात ये है की हफ्ते पहले ही प्रो. प्रतीक जी के पिता प्रतिष्ठित सितारवादक पंडित देबू चौधरी भी करोना की वजह से काल के गाल में समा गए।
हे भगवान................कोई कहां तक और कब तक धीरज रखे!
पंडित प्रतीक चौधरी जैसा बिरला कलाकार और अध्यापक होना दुर्लभ है।
उनकी स्मृति को नमन !
विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🙏.