चलते चलते.../. ऐसे गिरा बरेली में झुमका रतन भूषण
आज के बच्चे जिसे न जाने क्या क्या बोलते हैं, हमारी दादी-नानी या उससे ऊपर की पीढियां उसे झुमका कहती आयी हैं। आज के बच्चे भी झुमका बोलते हैं, जिसे हमारे घरों की बहुत सी सासें अपनी बहुओं को मुंहदिखाई में झुमके देती आयी हैं। तमाम सासों ने तो कई पीढ़ी तक झुमके को खानदानी निशानी के रूप में अपनी बहुओं को दिया है और आज भी दे रही हैं। फिल्मों में भी ऐसा दिखा है। कई बार हीरो ने हीरोइन के झुमके चुराए या खो जाने पर ढूंढे। फिल्मी गीतों में भी झुमके ने अच्छी चर्चा पाई है। झुमकों पर खूब गाने लिखे गए, जैसे फ़िल्म दुश्मनी में सपना अवस्थी द्वारा गाया गया बन्नो तेरा झुमका लाख का रे..., फ़िल्म सावन भादो में रफ़ी साहब का गाया गीत कान में झुमका, चाल में ठुमका, कमर पे चोटी लटके..., जुगनू में भी किशोर कुमार और लता मंगेशकर का गाया युगल गीत गिर गया झुमका गिरने दो काहे का डर है... को आज भी लोग सुनते हैं। फिल्मों में झुमके को लेकर और भी बहुत से गीत होंगे, लेकिन प्रेमजी निर्मित फ़िल्म मेरा साया में आशा भोसले का गाया गीत झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में... तो ऐसा चर्चित हुआ, जिसका कोई जवाब नहीं। इसे तब के श्रोता भी सुनते थे, आज के भी सुनते हैं। क्या पता, इसका भी रीमिक्स वर्जन नए अंदाज में सुनने को मिल जाये!
मेरा साया फ़िल्म आयी थी 1966 में और इसने तब साढ़े तीन करोड़ की कमाई की थी। रहस्य में डूबी इस फिल्म की कहानी तब लोगों को खूब पसंद आई थी। पेशे से वकील राकेश सिंह की शादी गीता से होती है। वह उच्च शिक्षा के लिए लंदन जाता है और एक साल बाद उसे अपनी पत्नी की बीमारी की खबर मिलती है। वह आता है, गीता दुनिया से चली जाती है। पत्नी की मृत्यु के बाद राकेश उसकी याद में अपनी हवेली में एक छोटा स्मारक बनवाता है। वह हमेशा उस स्मारक पर बैठकर गीता द्वारा गाये और रिकॉर्ड किए गीतों को सुनकर शोक मनाता रहता है। इसी क्रम में पुलिस इंस्पेक्टर उससे मिलने आता है। वह उसे गीता की हमशक्ल डाकू रैना के बारे में बताता है जिसे उन्होंने पकड़ा है। रैना राकेश की पत्नी होने का दावा करती है। राकेश उससे मिलता है और चौंक जाता है क्योंकि वह बिल्कुल गीता की तरह दिखती है लेकिन उसने इस बात को खारिज कर दिया कि वह उसकी पत्नी थी, क्योंकि उसने अपनी पत्नी को मरते हुए देखा और उसे अपने हाथों से दफनाया था। पर रैना का कोर्ट में दावा है कि वह वास्तव में गीता है और वह कोर्ट को उनके द्वारा साझा किए गए अंतरंग क्षणों के बारे में बताती है। राकेश हैरान हो जाता है लेकिन उसे शक है कि कुछ रहस्य है।
मामला अदालत में आगे बढ़ता है और राकेश रैना से जिरह करना शुरू करता है। कुछ नाटक के बाद वह उससे डायरी के बारे में पूछता है, जिसे गीता हमेशा अपने पास रखती थी और वह जवाब देने में विफल रहती है। वह अदालत में उसे दोषी ठहराता है। इस के बाद रैना को एक मानसिक संस्थान में डाल दिया जाता है। फिर एक रात वह वहां से भाग जाती है और राकेश को बताती है राज़। फिर राकेश और गीता एक हो जाते हैं।
फ़िल्म मेरा साया का निर्देशन राज खोसला ने किया था और अभिनय किया था सुनील दत्त, साधना, जगदीश सेठी, के एन सिंह, अनवर हुसैन, रत्नमाला, मुकरी, मनमोहन, तिवारी, एस नज़ीर, धूमल, प्रेम चोपड़ा आदि ने। इसके गीतकार थे राजा मेंहदी अली खां और संगीतकार थे मदन मोहन। फ़िल्म के सभी गीत मधुर थे, जिन्हें लोग आज भी सुनते हैं। आप के पहलू में आकर रो दिए..., तू जहां जहां चलेगा मेरा साया साथ होगा..., नैनों में बदरा छाये बिजुरी सी चमके हाय, ऐसे में सजन मोहे गरवा लगा ले..., नयनों वाली ने हाय मेरा दिल लूटा... और झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में...।
कमाल तो यह हुआ कि फ़िल्म के सभी गीत लोगों को पसंद आये, लेकिन झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में... ने कई तरह की कहानियों को जन्म दे दिया। कोई बरेली को झुमके से जोड़े कि कौन सी बरेली? झुमके वाली? तो कोई कुछ और कहानी बनाये। अब चूंकि इस गीत को चर्चा में आये कई दशक हो चुके हैं और अभी तक इस बारे में कुछ हाथ नहीं आया। फिर यह हुआ कि बरेली जाने वाला हर शख्स यह जानने में लग गया कि झुमका गिरा कहां था? उन्हें झुमका तो मिलता नहीं था और न ही इस सवाल का जवाब। फिर अरसे बाद बरेली विकास प्राधिकरण ने परसाखेड़ा तिराहे पर लाखों की कीमत से एक विशाल झुमका लगाने की सोच बनाई। फरवरी 2017 में जब पीएम मोदी रैली में बरेली पहुंचे, तो बोले, हम बरेली तो पहले नहीं आए, लेकिन यह ज़रूर सुना है कि झुमका यहीं गिरा था।
अब बात यह आती है कि आखिर बरेली में
झुमका गिरा भी था या नहीं? अगर गिरा था, तो किसका गिरा था? आखिर यह गीत जन्मा कैसे? राजा मेंहदी अली खां ने यह गीत लिखा तो उनके मन में इस तरह के बोल चुनने की सोच कहां से आई? आख़िर बरेली में किसका झुमका गिरा था? हालांकि फिल्म में जब यह गीत ठुमकते और डफली बजाते हुए साधना गाती हैं तब उनके दोनों कान में झुमके तो नहीं, लेकिन बड़ी सी अलग डिजाइन वाली बाली होती है। फिर यह बोल क्यों, कि झुमका गिरा रे?
चलिए, अब इन बातों से अलग हम फिर से उसी मुद्दे पर आते हैं कि खां साहब ने गीत के बोल कहां से लिये? उनके मन में यह खयाल कैसे आया? झुमका गिरा किसका? तो आप जान लीजिए कि असल में झुमका गिरा था तेजी बच्चन का। जी वही, अमिताभ बच्चन की माता जी का। यह कहानी शुरू हुई हरिवंशराय बच्चन और तेजी बच्चन की नज़दीकियों से। ये दोनों तब बरेली में थे और एक शादी अटेंड करने आये थे। ये दोनों कई बार मिल चुके थे और दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे। इसलिए सब लोग चाहते थे कि ये दोनों भी जल्द शादी कर लें। खां साहब भी उस समारोह में थे जब यह बात तेजी बच्चन ने कहा कि मेरा झुमका तो बरेली के बाज़ार में गिर गया। दरअसल उन्होंने अपने दिल की बात कही थी कि वो राय साहब पर अपना झुमका रूपी दिल हार गई थीं। इस वाकये से चूंकि राजा मेंहदी अली खां भी वाक़िफ़ थे, तो जब वो मेरा साया के लिए गीत लिख रहे थे तब अचानक यह किस्सा उन्हें याद आ गया और उन्होंने साधना के झुमके को अपने गीत के जरिये बरेली में गिरा दिया। तभी से झुमका और बरेली एक रहस्यमयी कहानी के रूप में लोगों के बीच आ गया। आज भी है, शायद कल भी रहेगा...
-रतन