पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के बीच राजनैतिक कारणों से टकराव या आपसी मतभेद की बात समझी जा सकती है. लेकिन समझ में नही आया कि केंद्र ने बंगाल के मुख्य सचिव Alapan Bandopadyay पर क्यों गाज गिराई?
उनका क्या कसूर था? वैसे भी उनकी सेवा के महज़ तीन महीने बचे हैं और वह भी छह-सात दिनों पहले ही केद्र ने उनके तीन माह के सेवा विस्तार का प्रस्ताव मंजूर किया था. चलिये, ये सब तो प्रशासकीय और तकनीकी मसले हैं. लेकिन इस प्रकरण से कुछ मानवीय पहलू भी जुड़े हुए हैं.
इसी महीने मुख्य सचिव Alapan Bandopadyay के छोटे भाई Anjan Bandopadyay का कोविड-19 के संक्रमण के चलते दुखद निधन हुआ है. Anjan एक जाने-माने बांग्ला पत्रकार और टीवी एंकर थे. वह कुछ समय दिल्ली मे भी रहे. मुख्य सचिव का पूरा परिवार इस वक़्त शोक-संतप्त है.
यही नहीं, Mamta Banarjee के छोटे भाई असीम बनर्जी का भी इसी महीने निधन हो गया. पिछले महीने वह कोविड-19 से संक्रमित हुए थे. एक निजी अस्पताल में भर्ती थे. ममता बनर्जी और उनके परिवार के लिए भी बड़ा शोक है.
मुझे लगता है, महामारी और ऊपर से तूफान की मार झेलते बंगाल में ऐसे राजनीतिक टकराव की इस वक्त बिल्कुल जरुरत नहीं थी. इसके उलट पूरे सूबे के प्रति सदाशयता और राज्य की दोनों बड़ी शख्सियतो के प्रति इस वक़्त तनिक सहानुभूति की अपेक्षा थी.
केंद्र के मौजूदा राजनीतिक संचालकों को इस बारे में जरूर सोचना चाहिए. हर समय टकराव ठीक नहीं! चुनाव बीत गया, अब शासन-प्रशासन के मामलें में केंद्र और राज्य के बीच अच्छा समन्वय होना चाहिए न कि झगड़ा-रगड़ा!
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उर्मिलेश