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सुशील शर्मा होने का मतलब 🙏🙏 / विवेक शुक्ला

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🙏🙏 सुशील शर्मा होने का मतलब/ विवेक शुक्ला



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यह नामुमकिन था कि आप सुशील शर्मा से मिलें और उनकी शानदार पर्सनेल्टी, ज्ञान और किस्सागोई से प्रभावित ना हों। वे पहली मुलाकात के बाद आपके जीवनभर के दोस्त बन जाते थे। धारा प्रवाह हिन्दी, उड़िया, मारवाड़ी, अंग्रेजी और गुजारे लायक हरियाणवी और पंजाबी बोलने वाले सुशील शर्मा थोड़ी देर से मीडिया की नौकरी करने लगे थे। वे हिन्दुस्तान अखबार से 1986 में जुड़े थे। पर इससे पहले वे आकाशवाणी में समाचारवाचक बन चुके थे। वे तब फरीदाबाद की आयशर कंपनी में काम करते थे।


हिन्दुस्तान टाइम्स हाउस आते ही वे मालकिन शोभना भरतिया और ईपी नरेश मोहन जी के करीबी हो गए थे। दरअसल सुशील शर्मा को हिन्दुस्तान टाइम्स की तरफ से आयोजित एक संगीत संध्या के कार्यक्रम के संचालन का मौका मिला। जिस शख्स को उसे संचालित करना था वह अंतिम समय में नहीं आया तो यह जिम्मेदारी सुशील को मिल गई। उस मौके को उसने छोड़ा नहीं। उसके पास शब्दों का भंडार था। वह उस्ताद जाकिर हुसैन का कार्यक्रम था। पहली बार में ही सुशील ने अपनी छाप छोड़ दी। फिर तो वे लगातार इन संगीत आयोजनों का संचालन करने लगे। यह 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक के शुरू की बातें हैं।


इसके साथ ही सुशील डेस्क पर बेहतरीन काम करके सबको अपनी तरफ आकर्षित कर ही रहे थे। सिद्दातों पर वे किसी से भी  पंगा ले लेते थे। उनकी सारी शख्सियत कॉफिडेंस से लबरेज थी। डेस्क पर कई वर्षों तक रहने के बाद वे ब्यूरो में आए। यहां पर उन्हें डिफेंस बीट भी मिली। इसने उनके जीवन की धारा ही बदल दी। फिर तो वे सुबह-शाम भारत की रक्षा और समर नीति का गहन अध्ययन करने लगे। इन विषयों की किताबें वे खरीद कर पढ़ते। उनकी निजी लाइब्रेयरी में इन विषयों की सैकडों किताबें हैं। 

सेना के दर्जनों आला अफसर उनके करीबी हो गए। यूपीए दौर के रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी बिना सुशील शर्मा के कोई संवाददाता  सम्मेलन नहीं करते। संवाददाता सम्मेल में वे दो-तीन सवाल अवश्य पूछते । उनके सवालों की गहराई स पता चलता था कि सवाल पूछने वाला इंसान गंभीर पत्रकार है। उसे खारिज करना सही नहीं होगा।


हिन्दुस्तान की नौकरी से मुक्त हुए तो उन्होंने  रक्षा मामलों की एक स्तरीय पत्रिका निकालनी शुरू कर दी। उसमें उनके दो-तीन पुराने संपादक भी नौकरी करते थे। वे अनेक मित्रों को काम देते. पत्रिका के कंटेट की खूब चर्चा होने लगी। उसे भरपूर एड भी मिलता।  Sushil Sharma का अब इरादा था डिफेंस सेक्टर का एक टीवी चैनल शुरू करने का। पर इससे पहले कि वे अपना चैनल शुरू कर पाते वे बीते दिनों संसार से विदा हो गए। उनके जैसे जिंदा दिल इंसान अब कहाँ मिलेंगे!


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