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बंदर नहीं वानर

 हनुमान जी बंदर नहीं वानर थे, बंदर और वानर में क्या अंतर होता है?



हनुमान जी बन्दर नही थे. वो वानर थे. वानर का अर्थ वनों में रहने वाले नर अर्थात मानव. कालांतर में बंदर के लिए वानर का प्रयोग होने लगा. इसलिये हम उन्हें बन्दर के रूप में पूजने लगे. ये मेंने आजतक चैनल पर एक प्रोग्राम में देखा था. उसमें इसे कई तर्को द्वारा सिद्ध किया गया था.


पर उसके बाद भी मैं हनुमानजी को एक बन्दर की छवि मे ही स्मरण कर पाता हूं. इसलिये आज इस प्रश्न का कोई महत्व नहीं है. पर हनुमान जी महा मानव या देवता ही थे वह बन्दर तो नहीं थे. पर हमारी आस्था में वह कौन हैं यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण है ।


मानवों से अलग थे वानर : वानर का शाब्दिक अर्थ होता है 'वन में रहने वाला नर।'लेकिन मानव से अलग। क्योंकि वन में ऐसे भी नर रहते थे जिनको पूछ निकली हुई थी। शोधकर्ता कहते हैं कि आज से 9 लाख वर्ष पूर्व एक ऐसी विलक्षण वानर जाति भारतवर्ष में विद्यमान थी, जो आज से 15 से 12 हजार वर्ष पूर्व लुप्त होने लगी थी और अंतत: लुप्त हो गई। इस जाति का नाम कपि था। हनुमान का जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था।


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