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विनोद सा कोई दूसरा नहीं / विजय केसरी

 जाने माने टीवी पत्रकार विनोद दुआ का जाना /विजय केसरी




देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ नहीं रहेआज देश में एक मजबूत, निर्भीक, ईमानदार और निष्ठावान पत्रकार को खो दिया है।विनोद दुआ का जाना संपूर्ण पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति  है। इनका संपूर्ण जीवन पत्रकारिता को समर्पित रहा । पत्रकारिता के अलावा इन्होंने इधर उधर कहीं भी झांका नहीं। पत्रकारिता को उन्होंने एक नया तेवर दिया। पत्रकारिता की साख को उन्होंने मजबूत किया।

विनोद दुआ भारत की  मीडिया के एक मजबूत हस्ती थे  वे 1974 से भारतीय टेलीविजन का चेहरा रहे हैं। विनोद दुआ , जिन्होंने ब्लैक एंड व्हाइट परदे वाले टीवी पर सरकारी नियंत्रित टीवी चैनेल (दूरदर्शन ) पर एंकरिंग करने से लेकर रंगीन एवं स्वतंत्र टीवी चैनेलो की एंकरिंग की दुनिया को बहुत करीब से देखा था । विनोद दुआ का निधन लंबी बीमारी के कारण चार दिसंबर हो गया । 

हजारों घंटे के प्रसारण के अनुभवी विनोद दुआ एक एंकर, राजनीतिक टिप्पणीकार, चुनाव विश्लेषक, निर्माता और निर्देशक रहे थे।


 वे भारत के एक प्रसिद्ध हिंदी टेलीविजन पत्रकार और कार्यक्रम निदेशक थे । उन्हें 2008 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। वे वर्तमान में नई दिल्ली टेलीविजन के समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया के प्रमुख प्रस्तुतकर्ता और समाचार वाचक थे । हजारों घंटे के प्रसारण के अनुभवी, विनोद दुआ एक एंकर, राजनीतिक टिप्पणीकार, चुनाव विश्लेषक, निर्माता और निर्देशक थे।

विनोद दुआ ने पद्मावती दुआ से शादी की थी  जिन्हें चिन्ना दुआ के नाम से भी जाना जाता है। दोनों के दो बच्चे हैं । जिनका नाम बकुल दुआ और मल्लिका दुआ है। मल्लिका दुआ एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री और हास्य कलाकार हैं। पत्नी चिन्ना दुआ, COVID-19 की जटिलताओं के साथ लंबी लड़ाई के बाद  मृत्यु हो गई थी। 

विनोद दुआ की शुरुआती परवरिश दिल्ली की रिफ्यूजी कॉलोनियों में हुई।  उन्होंने हंस राज कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में डिग्री प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय से साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी । अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में, विनोद दुआ ने कई गायन और वाद-विवाद कार्यक्रमों में भाग लिया था । 1980 के दशक के मध्य तक उन्होंने थिएटर भी किया।


1947 में भारत-पाक विभाजन से पहले, उनका परिवार दक्षिण वजीरिस्तान के सिरे पर एक शहर डेरा इस्माइल खान में रहता था, जो बाद में तालिबान के प्रभाव में आ गया। साल 1947 में, उनका परिवार मथुरा चला गया, जहां वे शुरू में एक धर्मशाला में एक साल के लिए रहते थे । भारत आने पर, उनके पिता ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के साथ एक क्लर्क के रूप में काम करना शुरू किया और एक शाखा प्रबंधक के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।


 1974 में विनोद दुआ ने युवा मंच में अपना पहला टेलीविजन प्रदर्शन किया, जो एक हिंदी भाषा का युवा कार्यक्रम था, जिसे दूरदर्शन (जिसे पहले दिल्ली टेलीविजन कहा जाता था) पर प्रसारित किया गया था ।


युवा जन, रायपुर, मुजफ्फरपुर और जयपुर के युवाओं के लिए सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीकास्ट एक्सपेरिमेंट (SITE) के लिए एक युवा शो, विनोद द्वारा 1975 में एंकर किया गया था।



उसी वर्ष, उन्होंने युवाओं के लिए एक कार्यक्रम ‘जवान तरंग’ की एंकरिंग शुरू की, जिसे नये नये शुरू किये गए टीवी चैनल अमृतसर टीवी पर प्रसारित किया गया था। उन्होंने 1980 तक अपनी नौकरी जारी रखी। एंकरिंग की शुरुआत 1981 से की थी। 1981 में, उन्होंने रविवार की सुबह की पारिवारिक पत्रिका ‘आप के लिए’ की एंकरिंग शुरू की, जो वे 1984 तक करते रहे।

विनोद, प्रणय रॉय के साथ , 1984 में दूरदर्शन पर चुनाव विश्लेषण के सह-एंकर थे। इससे उनके करियर को बढ़ावा मिला, क्योंकि इसने उन्हें कई अन्य टेलीविजन चैनलों के लिए चुनाव विश्लेषण कार्यक्रम को एंकर करने का मौका दिया।  उन्होंने 1985 में ‘जनवाणी’ (पीपुल्स वॉयस) शो की एंकरिंग की, जहां आम लोगों को सीधे मंत्रियों से सवाल करने का मौका मिला। यह शो अपनी तरह का पहला शो था। टीवी न्यूज़ चैनल इंडिया टुडे एवं ज़ी टीवी एवं अन्य न्यूज़ चैनलों के साथ काम किया।

विनोद 1987 में इसके मुख्य निर्माता के रूप में इंडिया टुडे समूह के एक उद्यम टीवी टुडे में शामिल हुए। करंट अफेयर्स, बजट विश्लेषण और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों पर आधारित शो का निर्माण करने के लिए, उन्होंने 1988 में अपनी प्रोडक्शन कंपनी ‘द कम्युनिकेशन ग्रुप’ लॉन्च किया। विनोद ने 1992 में ज़ी टीवी चैनल ‘चक्रव्यूह’ शो की एंकरिंग की। साल 1992 और 1996 के बीच, वे एक साप्ताहिक करेंट अफेयर्स पत्रिका ‘पारख’ के निर्माता थे, जिसका दूरदर्शन पर प्रसारण किया जाता था। विनोद दुआ दूरदर्शन के सेरेब्रल चैनल डीडी3 मीडिया पर प्रसारित होने वाले शो ‘तसवीर-ए-हिंद’ के एंकर थे। उन्होंने 1997 और 1998 के बीच चैनल के लिए एक एंकर के रूप में काम किया।

मार्च 1998 में, विनोद ने सोनी एंटरटेनमेंट चैनल के शो ‘चुनाव चुनौती’ की एंकरिंग की। वह साल 2000 से 2003 तक सहारा टीवी से जुड़े रहे, जिसके लिए वे ‘प्रतिदीन और पारख’ की एंकरिंग करते थे। उन्होंने द वायर हिंदी के लिए ‘जन गण मन की बात’ की एंकरिंग शुरू की। यह शो 10 मिनट का करंट अफेयर्स कार्यक्रम है जो द वायर की वेबसाइट पर प्रसारित होता है, जहां उन्होंने अक्सर सरकार की आलोचना की, लेकिन आवश्यक तथ्यों और संख्याओं के साथ।

विनोद एनडीटीवी इंडिया के कार्यक्रम ‘ज़ाय का इंडिया का’ की मेजबानी करते थे, जिसके लिए उन्होंने शहरों की यात्रा की; राजमार्गों, सड़कों द्वारा रोका गया; सड़क किनारे बने ढाबों से कई व्यंजनों का स्वाद चखा। बिनोद दुआ 1996 में सम्मानित रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड से सम्मानित होने वाले पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार बने । भारत सरकार ने उन्हें 2008 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया। 2016 में, आईटीएम विश्वविद्यालय, ग्वालियर ने उन्हें डी. लिट से सम्मानित किया। “ऑनोरिस कौसा” (डॉक्टर ऑफ लेटर्स में मानद उपाधि), जिसे कुछ देशों में पीएचडी से परे माना जाता है। पुरस्कार विजेता के आवेदन के बिना सम्मानित किए जाने पर इसे मानद उपाधि के रूप में दिया जाता है।

पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी जीवन भर की उपलब्धि के लिए, मुंबई प्रेस क्लब ने उन्हें जून 2017 में रेडइंक अवार्ड से सम्मानित किया, जिसे विनोद को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा प्रदान किया गया था । 

अक्टूबर 2017 में, विनोद दुआ ने कॉमेडी शो, द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज के एक एपिसोड की शूटिंग के दौरान अपनी बेटी, मल्लिका दुआ पर एक अश्लील टिप्पणी करने के लिए अभिनेता अक्षय कुमार को आड़े हाथों लिया था ।

विनोद दुआ एक संघर्षशील पत्रकार थे । इन्होंने संघर्ष से ही इतना बड़ा मुकाम हासिल किया था । वे कभी भी विपरीत परिस्थितियों से घबराए नहीं। उन्होंने सच को सच कहा । इस सच कहने की उन्हें कीमत भी अदा करनी पड़ी थी । वे मीडिया के एक प्रमुख हस्ती ऐसे नहीं बने थे । इसके लिए उन्हें जीवन भर मशक्कत करनी पड़ी थी। उन्होंने एक रूपए की भी हेराफेरी नहीं की थी। देश की सभी राजनीतिक दलों के नेता उनका बड़ा सम्मान करते थे।  वे किसी भी मंत्रालय में जब दस्तक दे देते थे, बड़े से बड़े अधिकारी एवं मंत्री गण भी उनका बहुत ही आदर किया करते थे ।यह उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की विशालता थी। उनका जाना भारतीय पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ऐसे शख्सियत बरसों बाद पैदा होते हैं। देश ने आज एक बड़े पत्रकार को खो दिया है। 


विजय केसरी,

 (कथाकार / स्तंभकार )

पंच मंदिर चौक, हजारीबाग - 825 301,

 मोबाइल नंबर : 92347 99550.


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