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लेफ्टिनेंट_जनरल_हणूत_सिंह:

 1971 युद्ध के महानायक .


#लेफ्टिनेंट_जनरल_हणूत_सिंह: 1971 की जंग के महानायक.. जिसने पाकिस्तान के 48 टैंक उड़ाये थे...


शूरवीर सैनिक से एक संत तक का सफर:


1971 भारत पाक युद्ध में एतिहासिक बसंतर की लड़ाई के हीरो महावीर चक्र से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल हनूत सिंह अध्यात्म ध्यान से जुड़े लेकिन कभी सिपाही के धर्म पर आस्थाओं को हावी नहीं होने दिया। उन्होंने 1953 में पुणा हार्स आर्मर्ड (टैंक) रेजिमेंट ज्वाइन किया। 1971 युद्ध में जनरल हनूत ने बतौर लेफ्टिनेंट कर्नल 17 पुणा हार्स कोशकरगढ़ सेक्टर में कमान किया।


13 दिन चले इस युद्ध में 16 दिसंबर को कर्नल हनूत के टैंकों के पीछे पैदल सेना ने बसंतर नदी को पार किया। सेना के इतिहास में बसंतर टैंकों की आमने सामने की लड़ाई का सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है। कर्नल हनूत के पास एक रेजिमेंट थी तो दुश्मन की पूरी टैंक ब्रिगेड तैनात थी। दुश्मन के पहले हमले में पुणा हार्स के सात टैंक जल गए। इसके बाद कर्नल हनूत की जोरदार रणनीति के बूते दुश्मन के 48 टैंक बर्बाद हो गए।


इन कठिन परिस्थितियों में भी कर्नल हनूत देर रात ध्यान किया करते थे। जनरल की अद्म्य साहस और नेतृत्व क्षमता के लिए उन्हें दूसरे सर्वोच्च सैन्य सम्मान महावीर चक्र से सम्मानित किया गया जबकि उनके नेतृत्व में लड़े युवा अफसर लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 


राजस्थान के लड़ाकू संत रावल मलिकनाथ जी के वंशज जनरल हणूत के पिता ठाकुर अर्जुन सिंह भी सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल थे। आजीवन ब्रह्मचारी रहकर सेना की सेवा के साथ ही अध्यात्म की महान ऊंचाइयों को छूने वाले विख्यात सेना कमांडर ने 1991 में रिटायरमेंट के बाद पूर्ण सन्यास ग्रहण कर लिया था तथा  देहरादून में अपने गुरु शिवाबालायोगी महाराज के आश्रम में संत का जीवन जिया।आश्रम में वह साधनारत रहे। 22 जुलाई 1933 में जन्मे संत सैनिक ने ध्यान योग की विराट साधना की। कई दिनों तक भोजन पानी त्याग समाधिस्थ रह 11 अप्रैल 2015 को उन्होंने शरीर त्याग दिया था। 


आज #विजय_दिवस पर हनुत सिंह जी तथा उनके जैसे अन्य असंख्य युद्ध नायकों को शत शत नमन........जय जवान-वंदे मातरम्..!!!!


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