आया यह नव वर्ष बड़ा पावन सुहाना / अरविंद अकेला
आया यह नव वर्ष बड़ा पावन सुहाना,
लाया सबके लिये खुशियों का खजाना,
नव वर्ष में सबको खुशियाँ मिले बेशुमार,
पर उन खुशियों में हमें भूल नहीं जाना।
लाया यह नव वर्ष खुशियों का तराना ,
सिखायेगा सबको यह जीना,मुस्कुराना,
दिलायेगा नव वर्ष में सफलता बेहिसाब,
उन सफलताओं में हमें भूल नहीं जाना।
लाया यह नव वर्ष नया- नया गाना,
जिसको पड़ेगा हम सबको गुनगुनाना,
लाये यह जीवन में साल भर हरियाली,
उन हरियाली में हमें भूल नहीं जाना।
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(2)
इस जग की है रीत सदा,
जो आता,एक दिन जाता है,
करती स्वागत उसकी दुनियाँ,
जो नया नया यहाँ आता है।
आता नव वर्ष नव उमंग लेकर,
जो सबके मन को हर्षाता है,
आता चहुँओर खुशियाँ लेकर ,
जो सबके मन को भाता है।
नाचता मन का मोर, मोर ,
खुश होता है चितचोर,चोर,
करते कलरव मन के पंछी,
यह दिल धड़क सा जाता है।
आता जब-जब नव वर्ष कोई,
उर में सदा आनंद समाता है,
खाते लोग मीट मेवा मिठाई,
तन-मन खुशी से झुम जाता है।
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(3)
इतनी भी क्या है जल्दी,
अंग्रेजी नववर्ष मनाने की,
अपने नव वर्ष को भूल रहे,
गैरों को दिल से लगाने की।
अंग्रेजी नव वर्ष मनाना छोड़ें,
चैत्र प्रतिपदा से नाता जोड़ें ,
यह तो अच्छी बात नहीं ,
अपनी संस्कृति भूल जाने की।
अपना तो यह नव वर्ष नहीं,
इसमें अपना कोई हर्ष नहीं,
दिल से निकालें नव वर्ष को
अब वक्त है इसे भूल जाने की।
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