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रवि अरोड़ा की नजर से ....

खरोंचने वाले तमाशे  / रवि अरोड़ा




पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के बाबत मेरे पास कोई नई बात नहीं है । जो कुछ भी अब तक पता चला है वह उन्हीं समाचारों की देन है , जो यकीनन आप तक भी पहुंचे होंगे । हां इस मामले में कुछ सवाल जरूर मेरे जेहन में आते हैं जिनके जवाब की बड़ी शिद्दत से तलाश है । बेशक ये सवाल भी मौलिक नहीं हैं और  इससे मिलते जुलते सवाल पूरे मुल्क के जेहन में होंगे । हालांकि इस तरह के सवाल पूछने का अब रिवाज नहीं है और इनकी चर्चा भर से जहरीला वर्ग टूट पड़ता है मगर इससे सवाल मर तो नहीं जाते ? बेशक इस सवालों के जवाब कोई नहीं देगा लेकिन फिर भी इससे हमारे सवाल करने का हक कम तो नहीं हो जाता ? 


पहला सवाल तो यही है कि क्या पंजाब में चुनाव न होने वाले होते तो क्या ऐसा होता ? क्या राज्य के मुख्यमंत्री इतनी हिम्मत करते कि प्रधानमंत्री का फोन तक न उठाएं ? क्या प्रधानमंत्री के रूट की सूचना इसी प्रकार लीक होती और क्या पूरे प्रकरण के दौरान पंजाब पुलिस इसी प्रकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहती ? दूसरा सवाल स्वयं प्रधानमंत्री जी से है कि क्या अपनी जान पर खतरे जैसे बड़े बयान की सचमुच आवश्यकता उन्हें थी या वे भी सिर्फ राजनीति कर गए ? बेशक सुरक्षा में चूक हुई मगर क्या इसके लिए सिर्फ राज्य सरकार ही दोषी है ? गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ी तमाम एजेंसियों को क्यों बरी किया जा रहा है ? उधर, सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या सचमुच प्रधानमंत्री की जान खतरे में थी ? क्योंकि उनके काफिले के निकट तो कोई प्रदर्शनकारी गया ही नहीं । उसके काफिले के निकट जो लोग गए वे तो भाजपा का झंडा लिए हुए थे और मोदी जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे ? कहा गया कि काफिला पाकिस्तान के बेहद निकट रुका रहा मगर जहां प्रधानमंत्री की जनसभा होनी थी , वह भी कौन सा पाकिस्तान से दूर था ? उस पाकिस्तान के जहां मोदी जी बिना कार्यक्रम के एक बार अचानक जा भी चुके हैं । यह सवाल भी मौजू है कि जब न सुरक्षा घेरा टूटा और न ही किसी किस्म का हमला ही हुआ तो जान को खतरा किस बिना पर कहा जा रहा है ? इस सवाल का जवाब भी जरूर मिलना चाहिए कि जब राज्य सरकार किसानों के आक्रोश के चलते दौरा रद्द करने का अनुरोध प्रधानमंत्री से कर चुकी थी तो क्यों उसकी अनदेखी की गई ? हेलीकॉप्टर की बजाय क्यों सड़क मार्ग स्वयं प्रधानमंत्री ने चुना और वह भी पंजाब पुलिस की क्लीयरेंस का इंतजार किए बिना ? जिस मौसम की खराबी की दुहाई देकर सड़क मार्ग से प्रधानमंत्री को फिरोजपुर ले जाया जा रहा था , उसमे तो उनका हेलीकॉप्टर उड़ने में सक्षम था फिर आखिर क्यों इतना लंबा सड़क मार्ग चुना गया ? 


समझ नहीं आता कि जहां जहां भाजपा सरकार नहीं है उस उस राज्य से केंद्र की मोदी सरकार पंजा क्यों लड़ाने लगती है ? खुद प्रधानमंत्री भी बदमजगी करने से कहां बाज आते हैं । चुनाव के दिनों में तो वे कुछ अधिक ही वाचाल हो जाते हैं । पंजाब से जिंदा बच कर आने वाला बयान भी कुछ ऐसा ही लगता है । अब उनकी देखादेखी उनके भक्त हवन पूजा पाठ और न जाने क्या क्या ड्रामे कर रहे हैं । जिससे राज्य और उसके लोगों के प्रति कड़वाहट ही पैदा होगी । केरल, तमिलनाडू और हाल ही में पश्चिमी बंगाल के चुनावों में भी उन्होंने ऐसी ही कड़वाहट पैदा की थी जो अंतत राज्य बनाम केंद्र का रूप ले गई और दुर्भाग्य से अब तक बरकरार है । पंजाब में भी यही सब कुछ होता नजर आ रहा है । ठीक है कि चुनाव की बेला है और ऐसे तमाशे होते ही हैं मगर ऐसे तमाशे किस काम के जो देश की एकता अखंडता को खरोचें ?


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