विवेक शुक्ला
निर्मला सीतारमण ने सन 1921 में बने संसद भवन में देश के साल 2023-24 का बजट पेश कर दिया। इसके साथ ही अब तय माना जा रहा है कि हरबर्ट बेकर के डिजाइन की गई इस अप्रतिम इमारत में अंतिम बार देश का आम बजट पेश हो गया है। संसद भवन (पहले काउंसिल हाउस) का डिजाइन तैयार करते हुए बेकर को नई दिल्ली के चीफ आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस का सहयोग मिलता रहा था। अब अगला आम बजट नई संसद भवन में ही पेश होगा। बेशक, मौजूदा संसद भवन की चर्चा किए बगैर स्वतंत्र भारत का इतिहास लिखा नहीं जा सकता है। इसी संसद भवन में शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल,1929 को बम फेंका था। तब इसे काउंसिल हाउस कहते थे। यहां ही पंडित नेहरू के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री लियाकत अली खान ने 2 फरवरी,1946 को अंतरिम बजट पेश किया। वे बजट पेपर अपने राजधानी के हार्डिंग लेन (अब तिलक लेन) के आवास से लेकर संसद भवन गए थे।
लियाकत खान ने अपने बजट प्रस्तावों को सोशलिस्ट बजट बताया। पर उनके बजट से व्यापारी वर्ग ने काफी नाराजगी जताई थी। उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने हिन्दू विरोधी बजट पेश किया। उन्होंने व्यापारियों पर एक लाख रुपये के कुल मुनाफे पर 25 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव रखा। कोरपोरेट टैक्स को दो गुना कर दिया। चाय के निर्यात पर भी एक्सपोर्ट ड्यूटी को दो गुना कर दिया। यहां पर ही पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14-15 अगस्त, 1947 की रात को आयोजित एक गरिमामय कार्यक्रम में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।
- खुशवंत सिंह ‘रोमास ऑफ दिल्ली’ में संसद भवन के ठेकेदार लछमन दास के बार में लिखते हैं, ‘लछमन दास सच्चाई और नेक नीयती की मिसाल थे। उन्होंने संसद भवन के निर्माण में कभी घटिया सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया। वे अपने मुलाजिमों को वक्त पर वेतन देते थे।’
इसके साथ ही,1931 में बने नार्थ ब्लाक का भी केन्द्रीय बजट से संबंध अब लंबा चलता नजर नहीं आ रहा है। सरकार सेंट्रल विस्टा को नए सिरे से री-डवलप करने के क्रम में नार्थ और साउथ ब्लाक को संग्रहालय के रूप में तब्दील करने का मन बना चुकी है। यानी आने वाले सालों में बजट किसी अन्य़ इमारत में तैयार होगा।
- केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी संसद भवन में सुन रहे थे। वे उसी 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग ( पहले किंग जॉर्ज एवेन्यू) के बंगले में रहते हैं जो कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा हरबर्ट बेकर का सरकारी आवास हुआ करता था।
दरअसल संसद भवन से आप चाहें तो नार्थ ब्लाक की इमारत को आराम से देख सकते हैं। भारत के केन्द्रीय बजट का इन दोनों इमारतों से अटूट रिश्ता रहा है। नार्थ ब्लाक में बजट को तैयार किया जाता है। यहां पर वित्त मंत्री अपने सहयोगियों के साथ दिन-रात मेहनत करके बजट को अंतिम रूप देते हैं। इससे पहले, इनसे अलग-अलग क्षेत्रों के नुमाइंदे तथा जानकार मिलते हैं। ये सरकार से गुजारिश करते हैं कि उनके क्षेत्रों को बजट प्रस्तावों में लाभ मिले। नार्थ ब्लाक की बेसमेंट में स्थित प्रिटिंग प्रेस में वित्त मंत्री का बजट भाषण छपता है। उसे संसद में पढ़े जाने से पहले वित्त मंत्री की कोर टीम के कुछ सदस्य ही देख पाते हैं। इस सारी प्रकिया के बाद बजट को वित्त मंत्री की तरफ से संसद भवन में पेश किया जाता है। यह मोटा-मोटी सबको पता है।
पर यह सबको नहीं पता कि नार्थ ब्लाक तथा संसद भवन का डिजाइन बनाने में प्रख्यात आर्किटेक्ट हरबर्ट बेकर का अहम रोल था। वे चोटी के आर्किटेक्ट थे और नई दिल्ली के चीफ आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस के सहयोगी थे।हरबर्ट बेकर ने भारत आने से पहले 1892 से 1912 तक दक्षिण अफ्रीका और केन्या में अनेक सरकारी भवनों और चर्चों के भी डिजाइन बनाए थे। पर उन्होंने यहां किसी चर्च का डिजाइन नहीं तैयार किया। बेकर ने नार्थ ब्लाक के साथ-साथ साउथ ब्लाक,जयपुर हाउस हैदराबाद हाउस, बडौदा हाउस वगैरह को भी डिजाइन किया था। उन्होंने और लुटियंस ने मिलकर संसद भवन ( तब काउंसिल हाउस) को डिजाइन किया था। लुटियंस के आग्रह पर बेकर साल 1912 में भारत आए। दोनों पहले से मित्र और एक आर्किटेक्ट फर्म में सहयोगी रहे थे। हालांकि बाद के दौर में लुटियंस भी बेकर की अदभुत क्षमताओं से आतंकित रहने लगे थे। संसद भवन का डिजाइन बनाते वक्त दोनों में लगातार मतभेद रहने लगे थे। उन्होंने गंभीर रूख ले लिया था। बेकर चाहते थे कि संसद भवन का डिजाइन त्रिभुजाकार हो। पर लुटियंस गोलाकार इमारत खड़ी करने के हक में थे। जाहिर है, अंत में लुटियंस के हिसाब से ही संसद भवन का निर्माण हुआ। आखिर उनकी सरपरस्ती में नई दिल्ली की सब सरकारी इमारतें बन रही थीं।
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर से भारतीय संसद की वास्तुकला प्रेरित बताई जाती है। माना जाता है कि देश के संसद भवन की डिजाइन इसी मंदिर से प्रेरित होकर बनाया गया है। बेकर-लुटियंस ने इस मंदिर को आधार मानकर संसद भवन का निर्माण किया था।
बेकर राष्ट्रपति भवन ( पहले वायसराय हाउस) के निर्माण के समय लुटियंस को सहयोग कर रहे थे।यह कहना होगा कि इतनी आइकॉनिक इमारतों का डिजाइन करने वाले शख्स को पर्याप्त पहचान नहीं मिली। वे इस लिहाज से बदनसीब ही रहे।बेकर की इमारतों में जालियां और छज्जे अवश्य मिलते हैं।
ब्रिटेन के शहर कैंट में 9 जून 1862 को जन्में बेकर बेकर बार-बार राजस्थान निकल लेते थे। वहां की पुरानी हवेलियों से लेकर किलों का अध्ययन करते। इसलिए ही उनके काम में ब्रिटिश तथा भारतीय वास्तुकला का अद्भुत संगम दिखाई देता है।उनकी डिजाइन की हुई इमारतों में भव्यता है। वे हरियाली के लिए स्पेस चाहते थे। बेकर किसी बिल्डिंग का डिजाइन तैयार करते वक्त आगे के 75-80 वर्षों के बारे में सोचते थे। संसद भवन तथा नार्थ ब्लाक को देखकर यह बात साबित हो जाती है। ये दोनों अब भी नई-समकालीन इमारतें ही लगती हैं।
Vivek Shukla Navbharattimes 2 February 2023
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