और अंतत: कोई अपना होता आ ही गयी / अनामी शरण बबल
बहुत सारी दिक़्क़तों से पार् पाते हुए मेरी किताब ! कोई अपना होता ! छप कर आ गयी. बिहार सरकार मंत्रिमंडल सचिवालय ( राजभाषा विभाग ) पटना के अंशानुदान से प्रकाशित इस किताब ने मेरे बिहार प्रेम को और सबल किया है. आप सबों की जानकारी के लिए अर्ज़ हैं कि इस किताब में मेरी पत्रकारिता का रंग बेरंग चेहरा प्रस्तुत है. पिछले तीन दशक के दौरान हज़ारों लोगों से मिला दोस्त दुश्मन बने. उन ज्ञात अज्ञात चेहरों कि यादें और खट्टे मीठे अनुभवों का दर्पण है यह किताब. पहला खंड उन औरतों के तन मन की पीड़ा को करीब से देखने जानने की कोशिश भर है जिसको एक रिपोर्ट में लिखने के बाद उसे कहानी की तरह लिखी ताक़ि बासी अख़बार की तरह ही ये रिपोर्ट भी खत्म ना हो जाय. मैं इतना जीवट वाला दबंग सा नहीं हूँ फिर भी एक पत्रकार के रूप में सभी खतरों के बीच कलम और ईमानदारी की ताक़त से यह सब कर गया. इस खंड की कुछ घटनाएं इस तरह की हो गयी मानो न्यूज़ की तलाश में मैं नहीं बल्कि वे हादसे मेरे समक्ष मेरे इंतज़ार में हो. वही हादसे आपके सामने हैं.. दूसरा खंड जिनसे पड़ा पाला में मेरे संग जुड़े ढेरों उन नेताओं अधिकारियों से लेकर हर वर्ग से सभी तरह के लोग रहें हैं जिन्होंने मेरी मदद की स्वार्थ रहित दोस्त की तरह ऐसे सैकड़ों लोग हैं जो मेरे सूत्रधार बने. आज जो कुछ भी हूँ तो उन अनाम मित्रों के चलते ही हूँ उनका मेरे ऊपर ऐसा क़र्ज़ हैं जिससे मैं उबर भी नहीं सकता और मैं उबरना भी नहीं चाहता. खंड तीन जैसा मैंने देखा में पाकिस्तान भारत बॉर्डर पर एक मजदूर की तरह जाने का रोमांचक दास्ताँ हैं तो आतंकवाद के साये से बाहर निकलते पंजाब में ख़ूनी दशक के बाद मुख्यमंत्री बने बेअंत सिंह सरकार के एक साल पूरा होने पर वहां जाकर ली गयी जायजा का क्रमवार उल्लेख हैं.
कामसूत्र गर्ल पूजा बेदी और दिल है कि मानता नहीं की पूजा भट्ट के साथ एक ही होटल के एक ही कमरे में एक साथ की गयी वार्तालाप का चित्रण हैं मेरी यादों और फाइल में दर्जनों लोग शब्दबद्ध हैं मगर समय इतना कम था की सबको इस किताब का हिस्सा बनाना संभव नहीं था अलबत्ता जिनसे पड़ा पाला खंड की तरह 3-4 किताबें तो मेरी थोड़ी मेहनत से ही आ सकती हैं जिसे साकार करने की कोशिश भी की जायगी.
जब किताब छप गयी हैं तो मेरे अंदर मानो दर्जनों वे लोग सजीव होकर अपनी बारी की उम्मीद करने लगे हो. यह किताब मेरी पत्रकारिता के सफर का एक पड़ाव हैं जिसमे कुछ काम धाम का उल्लेख भर हैं. सभी कहानियां और उसकी घटनाओ का चित्रण 100% सही सटीक और पूरी ईमानदारी से जस के तस परोस दिया हैं अलबत्ता आपकी नजर में ये कैसी हैं इसका उल्लेख आप सब करें और खासकर कमियों का जिक्र करें तो अगली किताब और बेहतर आपके समक्ष होगी आपके विचारो की प्रतीक्षा में आपका
अनामी🙏
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