- विधांशु कुमार
- खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए
भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच वनडे सिरीज़ खत्म होने के बाद हाल ही में दिग्गज क्रिकेटर ब्रायन लारा ने कहा कि भारत में क्रिकेट प्रतिभा का ऐसा भंडार है कि बीसीसीआई एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन-तीन इलेवन एक साथ फ़ील्ड कर सकती है.
विश्व के महानतम बल्लेबाज़ों में से एक लारा के मुंह से ऐसी तारीफ़ भारतीय क्रिकेट के लिए बेहद ख़ास है क्योंकि वेस्ट इंडीज़ सिरीज़ में भारत का प्रदर्शन मिलाजुला ही रहा है.
दो मैचों की टेस्ट सिरीज़ में 1-0 से जीत और 3 मैचों की वनडे सिरिज़ में 2-1 से जीत मन को सुकून ज़रूर देती है लेकिन वो विश्वास नहीं देती कि ये टीम कहीं भी, किसी भी टीम को हरा सकती है.
वैसे लारा के बयान का अगर करीब से विश्लेषण करें तो सवाल ये भी बनता है कि क्या कहीं टैलेंट का यही भंडार टीम को सेटल होने से रोक रहा है?
और इससे भी बड़ा ये सवाल कि क्या सचमुच बीसीसीआई तीन टीमें एक साथ खड़ा कर सकती है?
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शायद टी20 में, लेकिन वनडे में ये मुश्किल है और टेस्ट में तो पहली टीम में ही सीनियर्स के विकल्प नहीं मिल रहे हैं.
ख़ैर टेस्ट वर्ल्ड चैंपियनशिप का चक्र अभी शुरू ही हुआ है लेकिन वनडे वर्ल्ड कप बिल्कुल सामने है.
टीम की सूरत पर संशय
दो महीने बाद आईसीसी के एक-दिवसीय मैचों के विश्व कप का भारत में आयोजन होगा. 2011 में भारतीय टीम घरेलू मैदान पर ही चैंपियन बनी थी.
टीम इंडिया इस बार भी फेवरिट मानी जा रही है लेकिन भारतीय टीम की रूपरेखा कैसी होगी इस पर अभी भी संशय बना हुआ है.
इसकी बड़ी वजह है, पिछले कुछ समय से भारतीय टीम में लगातार बदलाव किया जाना. ऐसे में टीम मज़बूत यूनिट की तरह सेटल नहीं हो पाई है.
कम से कम पिछले एक साल से भारतीय सेलेक्टर्स की प्राथमिकता वनडे वर्ल्ड कप होनी चाहिए.
पिछले दो वर्ल्ड कप में भारतीय टीम फाइनल तक नहीं जा सकी है और ये स्थिति उनके इस दावे पर पानी फेरती है कि टीम इंडिया विश्व की अव्वल टीम है.
क्रिकेट में छह ही सुपरपावर टीमें हैं और उसमें अगर आप तीसरे या चौथे नंबर पर रहते हैं तो ये भारत जैसे क्रिकेट क्रेज़ी देश के लिए शर्मनाक बात ही है.
इसे ठीक करने के लिए उम्मीद है. सेलेक्टर्स ने भी कमर कसी होगी लेकिन उनकी पिक एंड ड्रॉप की ये नीति काम नहीं कर रही है.
वनडे टीम में क्यों नहीं तिलक वर्मा?
मिसाल के तौर पर पिछले टी20 मैच में तिलक वर्मा का ही चुनाव देख लें.
आईपीएल में बढ़िया प्रदर्शन के बाद उन्हें टीम में चुना गया और वो बढ़िया खेले. लेकिन भारतीय वनडे टीम की ज़रूरत अभी क्या है?
कई एक्सपर्ट्स कह चुके हैं टीम में बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों की ज़रूरत है – 2011 कि विश्व विजेता टीम में भी तो गंभीर, युवराज और रैना ने विपक्षी बॉलिंग को सेटल नहीं होने दिया था.
अगर तिलक वर्मा को आज़माना ही था तो उन्हें वनडे में भी मौका मिलना चाहिए था.
और अगर हम पिछले छह महीनों की भारतीय टीमों पर नज़र डालें तो बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों का अकाल ही नज़र आता है.
य़शस्वी जायसवाल को टेस्ट में ही चुना गया और एक और कैंडिडेट शिवम दुबे भी टी20 टीम के लिए ही आयरलैंड में खेलेंगे.
लगातार बदलाव ख़तरे से खाली नहीं
अगर हम इसी साल के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पाएंगे कि चाहे वो टी20 हो या वनडे भारतीय टीम में लगातार परिवर्तन किए जाते रहे हैं.
एक नज़र डालें तो पाएंगे कि पिछले 6-7 महीनों में भारतीय टीम ने वनडे और टी20 में मिलाकर कुल नौ बल्लेबाज़ों को आजमाया है.
इनमें कई खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्हे एक दो मैच ही खेलने को मिले या वो सिर्फ ट्रैवलर बनकर टीम का हिस्सा रहे – कभी पृथ्वी शॉ, कभी ऋतुराज गायकवाड़, कभी रजत पाटीदार.
ना सेलेक्टर्स ने इन खिलाड़ियों पर भरपूर भरोसा दिखाया और ना ही इन्होंने इक्के-दुक्के मिले मैचों में अपनी जगह पक्की की.
किन्हें आज़माया इस साल
उन चमकते सितारों की कहानी जिन्हें दुनिया अभी और देखना और सुनना चाहती थी.
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
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जनवरी, टी 20 सिरीज़ बनाम न्यूज़ीलैंड
बैटर्स - शुभमन गिल, ऋतुराज गायकवाड़, राहुल त्रिपाठी, सूर्य कुमार यादव, पृथ्वी शॉ,
विकेट कीपर – ईशान किशन, जितेश शर्मा
आल राउंडर्स – हार्दिक पंड्या, दीपक हुड्डा, वाशिंगटन सुंदर
बॉलर्स – अर्शदीप सिंह, मुकेश कुमार, उमरान मलिक, शिवम मावी, युज़वेंद्र चहल कुलदीप यादव
जनवरी, वनडे सिरीज़ बनाम न्यूज़ीलैंड
बैटर्स – रोहित शर्मा , शुभमन गिल, विराट कोहली, सूर्य कुमार यादव, श्रेयस अय्यर, रजत पाटीदार
विकेट कीपर – ईशान किशन, श्रीकर भरत
आल राउंडर्स – हार्दिक पंड्या, शाहबाज अहमद, वाशिंगटन सुंदर
बॉलर्स – मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज़, शार्दुल ठाकुर, उमरान मलिक, युज़वेंद्र चहल कुलदीप यादव
फरवरी-मार्च, वनडे सिरीज़ बनाम ऑस्ट्रेलिया
बैटर्स – रोहित शर्मा, शुभमन गिल, विराट कोहली, सूर्य कुमार यादव, श्रेयस अय्यर
विकेट कीपर – ईशान किशन, के एल राहुल
आल राउंडर्स – हार्दिक पंड्या, रविंद्र जडेजा, वाशिंगटन सुंदर, अक्षऱ पटेल
बॉलर्स – मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज़, शार्दुल ठाकुर, उमरान मलिक, युज़वेंद्र चहल, कुलदीप यादव, जयदेव उनादकट
जुलाई, वनडे सिरीज़, बनाम वेस्टइंडीज़
बैटर्स – रोहित शर्मा, शुभमन गिल, विराट कोहली, सूर्य कुमार यादव, ऋतुराज गायकवड़
विकेट कीपर – ईशान किशन, संजू सैमसन
आल राउंडर्स – हार्दिक पंड्या, रविंद्र जडेजा, अक्षऱ पटेल
बॉलर्स – मोहम्मद सिराज़, शार्दुल ठाकुर, उमरान मलिक, मुकेश कुमार, युज़वेंद्र चहल, कुलदीप यादव, जयदेव उनादकट
अगस्त, टी20 सिरीज़, बनाम वेस्टइंडीज़
बैटर्स –शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल, सूर्य कुमार यादव
विकेट कीपर – ईशान किशन, संजू सैमसन
आल राउंडर्स – हार्दिक पंड्या, अक्षऱ पटेल, तिलक वर्मा
बॉलर्स – अर्शदीप सिंह, आवेश ख़ान, उमरान मलिक, मुकेश कुमार, युज़वेंद्र चहल, कुलदीप यादव, रवि बिश्नोई
अगस्त, टी20 सिरीज़, बनाम आयरलैंड
बैटर्स – ऋतुराज गायकवाड़, यशस्वी जायसवाल, रिंकू सिह
विकेट कीपर –संजू सैमसन, जितेश शर्मा
आल राउंडर्स – शिवम दुबे, , तिलक वर्मा, शहबाज़ अहमद, वाशिंगटन सुंदर
बॉलर्स – जसदीप बुमराह, अर्शदीप सिंह, आवेश ख़ान, मुकेश कुमार, रवि बिश्नोई, प्रसिद्ध कृष्णा
शुभमन गिल
ओपनर्स की भरमार
वनडे क्रिकेट में ओपनर्स की भूमिका अहम होती है, लेकिन जरूरी है कि टीम को पता होना उनके टॉप 2 बैटर्स कौन है.
भारतीय टीम के पास आधा दर्जन ऑप्शंस हैं और हर किसी को मौका दिया गया है.
वर्ल्ड कप से दो महीने पहले टीम के पास आधा दर्जन ओपनर्स हैं, और अभी भी नए कॉम्बिनेशंस आजमाए जा रहे हैं.
इस पज़ीशन में रोहित, गिल, ईशान, सैमसन, गायकवाड़ और शॉ को परखा गया है.
रोहित शर्मा तो तय है – लेकिन उनका साथी इन पांच में से कौन होगा अभी भी कहा नहीं जा सकता.
बुमराह की मुश्किल
भारतीय चयनकर्ता बुमराह के मामले में भी शायद गलती कर रहे हैं.
हाल ही में एक इंटर्व्यू में पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने कहा, 'हम विराट कोहली की तो लगातार तारीफ करते रहते हैं लेकिन जसप्रीत बुमराह बॉलिंग के कोहली हैं. और गेंदबाज़ी में उनसे बड़ा कोई नाम नहीं है.'
चोट से लौट रहे बुमराह के बारे में विशेषज्ञों की राय है कि वो हर फॉर्मेट में अब नहीं खेल सकते, उन्हें वनडे वर्ल्ड कप खेलना चाहिए.
और फिर टेस्ट क्रिकेट में ध्यान देना चाहिए क्योंकि उनके बिना भारतीय टेस्ट बोलिंग में 20 विकेट निकालने का दम काफी कम हो जाता है.
ऑस्ट्रेलिया के महान तेज़ गेंदबाज़ ग्लेन मैकग्रा भी मानते हैं कि बुमराह को आगे चोट से बचना है तो उन्हें एक फॉरमैट चुनना होगा और अपना वर्क लोड मैनेजमेंट बढ़िया से करना होगा.
लेकिन इस राय से ठीक उल्टा हो रहा है – बुमराह ना सिर्फ टी20 में वापसी कर रहे हैं बल्कि उन्हें कप्तान बनाकर उतारा जा रहा है.
वर्क लोड मैनेजमेंट का ये बेहतर उदाहरण कतई नहीं है.
अगर आयरलैंड में वो फिर बिखर गए तो वनडे वर्ल्ड कप तो भूल ही जाईए.
ऐसा ना ही हो, लेकिन अगर हो गया तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?
बॉलिंग और कीपिंग में चयन के मसले
वैसे भी ओपनर्स की ही तरह भारतीय बॉलिंग और कीपिंग में भी कई परिवर्तन देखने को मिले हैं. कुछ समय पहले तक एक्सप्रेस पेस डालने वाले शिवम मावी अचानक रडार से ग़ायब हो गए हैं.
बुमराह की ही तरह मोहम्मद शमी भी चोट के आदी हैं. उमेश यादव करियर का ढलान पर हैं और अर्शदीप सिंह या उमरान मलिक आईपीएल से आगे की परिपक्वता अपनी गेंदबाज़ी में ला नहीं पाए हैं.
ऐसे में एक बार फिर आवेश खान को टीम में जगह दी जाती है ये जानते हुए कि उनका हालिया खेल कुछ खास नहीं रहा है.
वहीं कीपर्स पर नज़र डालें तो इस दौरान ईशान किशन, केएल राहुल, संजू सैमसन, श्रीकर भरत और जितेश शर्मा को टीमों में जगह मिली है.
चुनना एक को है – और यहीं इस पहले को हल करने का एक इशारा भी मिल जाता है – जिन खिलाड़ियों को सेलेक्टर्स ने लगातार मौके दिए, वहीं खिलाड़ी तैयार नज़र आ रहे हैं.
कीपर्स में ईशान किशन और गेंदबाज़ो में मुकेश कुमार लगातार खिलाए गए हैं और दोनों ने बढ़िया खेल दिखाया है. कम से कम ईशान किशन की जगह तो पक्की लग रही है.
वरिष्ठ खिलाड़ियों की जगह कौन लेगा
एक बार फिर लारा के बयान पर लौटें तो भारत शायद टी20 की तीन टीमें खड़ा कर दे, लेकिन टेस्ट में प्रतिभा की कमी साफ झलक रही है. भारतीय टीम, खासकर टेस्ट क्रिकेट में बदलाव के दौर से गुजर रही है.
ये ऐसा ही समय है जो 2011-12 में पेश आया था. उस वक्त भी टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी एक साथ रिटायर हो रहे थे.
कुछ वर्षों के अंतराल में ही टीम में तेंदुलकर, कुंबले, द्रविड़, लक्ष्मण, जहीर खान, विरेंदर सहवाग जैसे दिग्गज खेल को अलविदा कह रहे थे और टीम इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया में सिरीज़ 4-0 से हार रही थी.
इस वक्ट टीम में कोहली, पुजारा, रहाणे, अश्विन, जडेजा जैसे खिलाड़ियों ने अपनी जगह पक्की कर ली और जल्द ही भारतीय टीम वापस जीत की राह पर लौट चुकी थी.
लेकिन बदलाव के इस मौजूदा दौर में टीम मे आने के लिए कौन सा नया कोहली, या अश्विन तैयार है, कौन बुमराह या शमी की जगह ले सकता है, द्रविड़ और पुजारा की तरह किसका बल्ला अभेद है - ऐसे सवाल सुनने पर बोर्ड में चुप्पी सी छा जाती है.
पर इस सवाल का हल ढूंढने के लिए बीसीसीआई को पहले मानना पड़ेगा की सामने कोई समस्या खड़ी है तभी उसका समाधान ढूंढा जा सकेगा.
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