पत्रकारिताः एक परिचय
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सारांश: | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंशपत्रकारिता समाज में ऊर्जा भरने का एक आक्रामक साधन है। खतरनाक भी, उस्तरे की तरह- बंदर के हाथ में पड़ गया तो खैर नहीं। इसीलिए कोशिश यही होनी चाहिए कि हाथ सही हों। कुशल और सधे हुए। पत्रकारिता सूचना देती है और दिशा भी परन्तु आज स्थिति कुछ जटिल सी हो गयी है। यह समझना आसान नहीं रह गया है कि पत्रकारिता की भूमिका क्या है ? विज्ञान और प्रोद्योगिकी का प्रभाव इस विधा पर भी बहुत पड़ा है। मशीनों ने जहाँ इसकी धार तेज की है, वहीं भाषा को बेढंगा किया है। गोपाल रंजन संदीप श्रीवास्तव जी ने पत्रकारिता के लिए यह संक्रमण का काल है। दिशाएँ तलाशी जा रही है। रोबोट की दुनिया में दक्ष हाथों की अनदेखी हो रही है। मुनाफाखोरी ने भी उलझाव पैदा किये हैं, वायुमण्डल में जहर फैलाने का भी काम हो रहा है। श्रीवास्तव जी ने पत्रकारिता के सभी पक्षों को ध्यान में रखकर पत्रकारिता एक परिचय की रचना की। यह पुस्तक विद्यार्थियों और पत्रकारों के लिए विशेष उपयोगी होगी। अशोक कुमार पत्रकारिता: एक परिचय | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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