Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

मुन्नी बेगम की कथा


कम चर्चित -मुन्नी बेगम की कथा



मुन्नी बेगम इतिहास का वह चरित्र है जो ईस्ट इण्डिया कम्पनी के उदय से पूर्व मुर्शिदाबाद के नवाबी परिदृश्य पर उभरी। उसका अंत 1813 का है, ज़ब ईस्ट इण्डिया कम्पनी शून्य से शिखर तक पहुंचने में कामयाब हो गई थी। हाँ, उसमें भी इन बेगम का योगदान रहा है।


आप इस अल्प चर्चित चरित्र के विषय में खोजकर पढ़ने की कोशिश कीजिये तो निराशा हाथ लगेगी। ढूंढ रहे होंगे "मुर्शिदाबाद की बेगम", मीर जाफ़र की बीबी को, मिलेंगी पाकिस्तान की इस नाम की ग़ज़ल गायिका की जानकारी।


जाहिर तौर पर वह गायिका इस ऐतिहासिक चरित्र से कहीं अधिक चर्चित है। पर बात इतिहास की हो, मीर ज़ाफर, सिराज उद दौला और ईस्ट इण्डिया कम्पनी तथा भारत के पहले गवर्नर-जनरल वारेन  हेस्टिग्स की हो, तो वह इतिहास मुन्नी बेगम के बिना अधूरा है।


विकिपीड़िया पर इन मोहतरमा के विषय में 700-800 शब्द भर होंगे, पर वे शब्द उसकी शख्सियत को आरम्भिक रूप से जानने के लिए नाकाफी हैं, तभी मुझे इस विषय पर लिखने की इच्छा हुई।


पलासी के घटनाक्रम, बंगाल के नवाब मीर जाफर व ईस्ट इंडिया कंपनी के पैर जमाने के आरम्भिक मिलीभगत-षड्यंत्रों की धुरी, नवाब की दूसरी बेगम, नर्तकी से शासिका बनी साधारण महिला के उत्थान-पतन तथा तत्कालीन सत्ता संघर्ष के घटनाक्रमों की असाधारण और रोमांचक कथा है  वह। 


किताब प्रकाशन के लिए तैयार है, पर दुख इस बात का भी है कि मुन्नी बेगम का कोई चित्र, पोर्टेट अथवा स्केच नहीं मिलता। इसलिए "मुर्शिदाबाद की बेगम"को कल्पनाओं में ही खोजना होगा।


(नीचे  चित्र में मुर्शिदाबाद का वह हजारद्वारी महल है, जो मुर्शिदाबाद के नवाब के उस महल के अवशेष पर बना है, जिसमें मुन्नी बेगम का राज चला करता था।)




Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>