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हज़ारीबाग यानी पूरब का शिमल्स / विजय केसरी

 

एक समय ज़ब हजारीबाग को देश का दूसरा शिमला कहा जाता था 


विजय केसरी 



एक समय हजारीबाग को देश का दूसरा शिमला कहा जाता था। यहां का मौसम इतना सुहावना रहता था, जो भी लोग यहां आते थे, यहां के मौसम की तारीफ किए बिना नहीं रह पाते थे। गर्मी  के दिनों में भी यहां गर्मी  बहुत कम पड़ती थी। शाम  होते ही मौसम फिर सुहावना हो जाता था। सूरज  ढलते ही ठंडी - ठंडी हवाएं बहने  लगती थी।  जब बड़े बड़े दरख्तों से ठंडी हवाएं गुजर कर लोगों तक पहुंच थीं, तब  लोग हजारीबाग के मौसम की तारीफ की बिना नहीं रह पाते थे।  यहां के मौसम का यह हाल था कि गर्मी के दिनों में ज्यादा गर्मी नहीं पड़ती थी। ठंड के दिनों में सहने योग्य ठंड पड़ती थी। हजारीबाग जिले में कभी भी तबाही मचाले वाली बारिश नहीं हुई । यहां के मौसम की खासियत यह थी कि  गर्मी के दिनों में जब भी थोड़ी गर्मी बढ़ती थी, तब किसी न किसी रूप में बारिश दस्तक दे देती थी । जून के महीने में  संपूर्ण देश को मानसून आने का इंतजार रहता था। लेकिन हजारीबाग को मानसून का इंतजार नहीं करना पड़ता था बल्कि जब भी यहां थोड़ी गर्मी बढ़ी,  किसी ने किस रूप में बारिश दस्तक दे देती थी 

 हजारीबाग जिले को बागों के शहर रूप में जाना जाता था। हजारीबाग की पहचान पेड़-पौधों और  घने जंगल थी । हजारीबाग के धने जंगल में शेर, चीता, बाघ, हिरण सहित विभिन्न किस्म के पशुओं को दिन और रात्रि में विचरण करते दिखे जाते थे । हजारीबाग  जिले में भारत प्रसिद्ध नेशनल पार्क में आज भी शेर, चीता, बाघ है सहित विभिन्न पशुओं को देखा जाता है । नेशनल पार्क पूरे क्षेत्र को  इन्हीं पशुओं के लिए संरक्षित किया गया था। यहां के बड़े -  बुजुर्गों को  कई बार यह कहते हुए सुना कि कभी-कभी भटकते - भटकते जंगल से बाघ, हिरण आदि पशु शहर भी आ जाते थे । जिन्हें लोगों ने अपनी आंखों से देखा था। तब का हजारीबाग ऐसा न था। ब्रिटिश हुकूमत  के समय हजारीबाग नगर को एक नक्शे के तहत निर्माण किया  गया था।‌ इस नक्शे का नाम बाडम साहब के नाम पर रखा गया था।  आज भी इस नगर को बाडम बाजार के नाम से जाना जाता है। इस नगर की खासियत यह रही कि इसे चौतरफा मार्गो के साथ एक दूसरे से जोड़ा गया था। मार्ग के मध्य एक  बडे़ नाले का निर्माण किया गया था,  जिस नाले से शहर का सारा गंदा पानी निकट के नदियों में  मिल जाया  करता था।

 हजारीबाग को एक नगर के रूप में विकसित करते के समय अंग्रेजी हुकूमत ने इस बात का खास ख्याल रखा था कि उन्होंने इसकी बागों की पहचान को कभी भी नुकसान पहुंचाया था । उन्होंने पूरे नगर में आम, लीची, जामुन, इमली, कटहल,अमरूद आदि के  पौधों को लगाया  था ताकि इसकी प्राकृतिक सौंदर्य  बरकरार रहे।

हजारीबाग के सुहावने मौसम पर चर्चा करते समय इस बात का उल्लेख करना उचित समझता हूं कि ब्रिटिश हुकूमत के कालखंड में हुकूमत के सुरक्षा और तकनीकी सलाहकारों ने  हुकूमत को यह सलाह दिया था कि हजारीबाग जिले भारत की राजधानी  बनाई सकती है।  हजारीबाग जिला जहां स्थित है, यहां भूकंप के झटके पड़ने की संभावना, देश के  अन्य  हिस्सों की तुलना में सबसे न्यूनतम  है।  यहां की जलवायु बिल्कुल स्वच्छ हे। यहां प्रदुषण  स्तर देश के अन्य हिस्सों  तुलना में सबसे न्यूनतम है। हजारीबाग से बहुत ही अच्छे ढंग से हुकूमत चलाई जा सकती है । इस बात  का उल्लेख हजारीबाग जिले  के गजेटियर में है। लेकिन तत्कालीन प्रशासनिक और राजनीतिक परिस्थितियों  के कारण हजारीबाग देश की राजधानी नई बन पाई थी। 

हजारीबाग शहर अपने स्थापना काल से ही लोगों के प्रभावित करता रहा था।  हजारीबाग शहर जो भी आया, यहां का होकर रह गया था। हजारीबाग के सुहावने मौसम के कारण ही ब्रिटिश हुकूमत के बड़े अधिकारियों ने हजारीबाग में अपना बंगला बनाया था।  वे गर्मी के दिनों में यहां पर छुट्टी बिताने आया करते थे । ब्रिटिश हुकूमत के समय की पश्चिम बंगाल से बंगाली अधिकारियों को  हजारीबाग स्थांतरित किया था।  यहां पर जो भी बंगाली अधिकारी आए, यहां के मौसम के सुहावने मौसम कारण ही परिवार सहित बस गए थे।

   हजारीबाग जिला बिहार राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था । बिहार से सटे पश्चिम बंगाल सहित अन्य प्रदेशों के लोग अपनी छुट्टियां  बिताने हजारीबाग आया करते थे।  पश्चिम बंगाल के दो बड़े उद्योगपति भाई स्वर्गीय हीरालाल जैन  और पन्नालाल जैन ने हजारीबाग जिले के दीपू गढ़ा  रोड स्थित पर एक विशाल बंगला हीरा बाग के नाम से बनाया था। गर्मी के दिनों में ये दोनों भाई पूरे परिवार के सहित आकर रहते थे। यह दोनों भाई नगर के कुछ खास लोगों को बुलाकर हीरा बाग में  बड़ी  बड़ी पार्टियां किया करते थे। यह मेरा सौभाग्य रहा था इन पार्टीयों का मैं भी हिस्सा  बना था। हजारीबाग जिले स्थित पंडित जी रोड सहित अन्य मार्गो में  ऐसी कोठियां आज भी अपनी गवाही दे रही हैं।

  हमारा यह नगर आम, लिची, जामुन, इमली, कटहल आदि के बड़े-बड़े फलदार वृक्षों  से लदा रहता था । नगर के एक छोर से दूसरे छोर तक जहां तक लोगों नजर जा सकती थी, फलदार वृक्षों से  यह शहर लदा हुआ था। गर्मी की छुट्टियों में शहर के बच्चों के लिए एक बड़ा ही सुंदर अवसर मिल जाता था। बच्चें इन फलदार वृक्षों से कच्चे पक्के फल  खाकर अघाते नहीं  थे। आज  भी बचपन के उन दिनों को याद कर मन फिर से बच्चा बन जाने को कहता है, लेकिन आज हजारीबाग की वह स्थिति नहीं रही ।अब तो  दूर दूर तक नगर के किनारे फलदार  वृक्ष दिखाई नहीं देते। यहां के फलो की खासियत यह है कि स्वाद की दृष्टि में अन्य जिलों और प्रदेशों के फलों के स्वाद की तुलना में ज्यादा स्वादिष्ट हैं। यहां के फलों में पौष्टिक और खनिज तत्व भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। वैज्ञानिक परीक्षण में यहां के फलों को खाने वाले लोगों में प्रतिरोध क्षमता भी ज्यादा पाई गई । जैसे-जैसे शहर का विस्तार होता गया, घनी आबादी में तब्दील होती गई, वैसे-वैसे कर फलदर वृक्ष नगर से गायब होते चले गए। हजारीबाग पीपल, बरगद के पेड़ों से भी जाना जाता था ।अब नगर में गिनती भर  पीपल और बरगद के पेड़ बच गएं हैं। अब फलदार वृक्षों की जगह कंक्रीट के बने घरों ने अपना आशियां बना लिया है। जिला प्रशासन एवं राज सरकार भी हजारीबाग जिले में पेड़ पौधे संरक्षित रहे, ठीक से ध्यान नहीं दिया।  आज इसका परिणाम है कि हजारीबाग का वह सुहावना मौसम सिर्फ स्मृतियों में शेष रह गया। अगर सरकारी स्तर पर हालदार वृक्षों को लगाने की दिशा में स्थानीय लोगों को प्रोत्साहन दिया जाता, तब इसके उत्पादन से अच्छी आमदनी भी होती और लोगों को रोजगार भी मिल पाता। कहने को तो हजारीबाग में वन विभाग का उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल का मुख्यालय है, लेकिन इस मुख्यालय ने इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं किया है।

हजारीबाग के सुहावने मौसम की चर्चा करते हुए यह लिखना उचित समझता हूं कि आज से ठीक 19 साल पूर्व  जून माह में बेटी की शादी थी। सुबह  में उस दिन मौसम साधारण ठीक था।  गर्मी थी। दोपहर के बाद बदल घना हो गया और मूसलाधार बारिश हो गई थी ।रात्रि में बारातियों के लिए हम सबों को कंबल की व्यवस्था करने पड़ी थी । ऐसा था, हमारा हजारीबाग।

वर्ष 2024 की गर्मी बीते 175 वर्षों की तुलना में सबसे अधिक गर्मी पड़ी है। देश के  कई हिस्सों का तापमान 48 - 49 सेल्सियस डिग्री तक पहुंच गया है।  गर्मी से लोग  त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे हैं। देश में प्रदूषण जिस स्तर पर बढ़ता चला जा रहा है,यह बड़े खतरे का संकेत  दे रहा है। विश्व मौसम शोध संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि जिस तेजी के साथ जलवायु परिवर्तन हो रहा है, इससे समस्त मनुष्य जाति पर खतरा बढ़ता  चला जा रहा है। ऐसे निष्कर्ष का मतलब है कि पृथ्वी पर से मनुष्यम जाती ही  समाप्त न हो जाए। वहीं दूसरी हो भारत ही नहीं विश्व भर में कई देशों के जल स्रोत नीचे चले जा रहे हैं। यह भी  संकेत ठीक नहीं है। जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर गहन अभियान चलाने की जरूरत है।  आज हर एक व्यक्ति को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। हजारीबाग का सुहावना मौसम इस जलवायु परिवर्तन से अछूता नहीं रह सकता है। हजारीबाग में कई सामाजिक ऑर्गेनाइजेशन इस जलवायु जागरूकता अभियान से जुड़कर पेड़ पौधों को लगाने में क्रियाशील है। आज भी हजारीबाग का मौसम झारखंड के अन्य जिलों की अपेक्षा काफी बेहतर है। इसे और बेहतर बनाने के लिए हजारीबाग को पुराने वन से लदे गौरव को वापस लाने जरूरत है।  बस ! हजारीबाग के हर एक निवासी को पेड़ पौधों  को लगाने को  ओर आगे बढ़ाने की जरूरत है। हजारीबाग की पहचान बागों से है, इसलिए बागों को उजाड़ने से बचाएं।




विजय केसरी,

(कथाकार/ स्तंभकार )

 पंच मंदिर चौक, हजारीबाग -  825301,

 मोबाइल नंबर : 92347 99550.


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