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पाकिस्तान: वर्जनाओं से मुक्ति की चाहत

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प्रस्तुति/ निम्मी नर्गिस / जमील अहमद 
वर्धा

पश्चिमी देशों में बच्चों की यौन शिक्षा एक आम बात है. लेकिन पाकिस्तान के किसी देहाती इलाके में क्या आप ऐसा होने की कल्पना कर सकते हैं.
Pakistan Burka Avenger
सिर पर सफेद हिजाब पहने ये बच्चियां स्कूल में अपने शिक्षक को बड़े ध्यान से सुन रही है. वह उन्हें उम्र बढ़ने के साथ साथ लड़कियों के शरीर में आने वाले बदलावों के बारे में बता रहे हैं. जब शिक्षक उनसे पूछते हैं कि अगर कोई अनजान इंसान उन्हें गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो उन्हें क्या करना चाहिए, तो वे एक साथ बोल पड़ती हैं, "चीखना चाहिए."कोई और कहता है, "अपने नाखूनों से बहुत जोर से नोच लेना चाहिए."
पाकिस्तान में खुले आम सेक्स के बारे में बात करना बहुत बुरा माना जाता है. यहां तक की इसके लिए दोषी को मौत की सजा तक मिल सकती है. ऐसे कई घटनाएं हो चुकी हैं जब किसी लड़की के माता पिता ने खुद ही उसका गला काट दिया. और तो औरकभी डांस करने तो कभी सिर्फ खिड़की से बाहर देखने जैसे 'अपराधों'के लिए उन पर तेजाब फेंक दिया जाता है. यही वजह है कि पाकिस्तान में कहीं भी बहुत संगठित तरीके से सेक्स शिक्षा नहीं मिलती है. कई जगहों पर तो इस पर साफ रोक लगी हुई है.
Symbolbild Indien Mädchen Hausarbeit Hausmädchen Ausbeutung
यौन शिक्षा को समर्थन
लेकिन पाकिस्तान के गरीब प्रांतों में से एक सिंध के इस गांव जोही में परिवार सेक्स शिक्षा का यह प्रोजेक्ट चला रहे शिक्षकों का समर्थन कर रहे हैं. शादाबाद गांव संगठन के जो आठ स्थानीय स्कूल चलते हैं, उनमें करीब 700 लड़कियां पढ़ती हैं. सेक्स एजुकेशन आठ साल की उम्र से ही शुरू हो जाती है. इसमें उन्हें उनके शरीर में होने वाले बदलावों और खुद को बचाने के तरीके भी बताए जाते हैं. इस संगठन के प्रमुख अकबर लशारी कहते हैं, "हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते. यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके बार में लोग बात नहीं करना चाहते लेकिन यह हमारी जिंदगी की सच्चाई है."
लशारी बताते हैं कि गांव की बहुत सारी लड़कियों का जब मासिक धर्म शुरु होता था, तब उन्हें कुछ पता नहीं होता था. कई बार इसी उम्र में उनकी शादीभी हो जाती थी और उन्हें यौन प्रक्रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं होती थी. यहां दी जा रही शिक्षा में शादी के रिश्ते के अंदर होने वाले बलात्कार के बारे में भी बताया जाता है. यह इस तरह के रूढ़िवादी समाज के लिए क्रांतिकारी सोच है. भारत की ही तरह यहां भी शादी शुदा होने पर अपने पार्टनर पर सेक्स की जबरदस्ती करना अपराध नहीं माना जाता. लशारी कहते हैं, "हम उन्हें बताते हैं कि उनके पति भी उनकी मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध नहीं बना सकते."इन स्कूलों को ऑस्ट्रेलिया की कंपनी बीएचपी बिलिटन से वित्तीय सहायता मिलती है. इसी इलाके में कंपनी का एक गैस प्लांट चल रहा है. लेकिन यन शिक्षा का फैसला गांववालों ने खुद ही लिया.
'धर्म के खिलाफ'
यहां की एक शिक्षक सारा बलोच कहती हैं, "जब इन लड़कियों के मासिक धर्म शुरु होते हैं तो उन्हें लगता है कि ये कोई शर्म की बात है. वे अपने माता पिता को नहीं बतातीं, उन्हें लगता है कि उन्हें कोई बीमारी हो गई है. लेकिन इस शिक्षा का असर इन शर्मीली लड़कियों में भी दिखने लगा है. 10 साल की उज्मा पवार शर्माते हुए कहती है, "मेरा शरीर सिर्फ मेरा है. इस पर सिर्फ मेरा अधिकार है. अगर कोई मेरे गुप्त अंगों को छूने की कोशिश करेगा तो मैं तो उसे काट लूंगी या उसके चेहरे पर तमाचा जड़ दूंगी."
वहीं देश के रुढ़िवादी लोग इसके खिलाफ हैं. ऑल पाकिस्तान प्राइवेट स्कूल्स फेडरेशन के अध्यक्ष मिर्जा काशिफ अली कहते हैं, "यह हमारे संविधान और धर्म के खिलाफ है."वह बताते हैं कि उनके फेडरेशन को डेढ़ लाख से भी ज्यादा संस्थानों का समर्थन मिला हुआ है. उनका मत है कि जो काम करने की आपको इजाजत ही नहीं है, उसके बारे में बताने का क्या फायदा.
आरआर/एमजी(रायटर्स)

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