कुलदीप नैयरभारतके प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकारहै।
जन्म : 14 अगस्त 1924, सियालकोट (अब पाकिस्तान) शिक्षा : स्कूली शिक्षा सियालकोट में। विधिकी डिग्री लाहौरसे। यू. एस. ए. से पत्रकारिताकी डिग्री ली। दर्शनशास्त्रमें पी-एच. डी.। कार्य अनुभव : भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई वर्षों तक कार्य करने के बाद वे यू एन आई, पी. आई. बी. ‘द स्टैट्समैनं ‘इण्डियन एक्सप्रेस'के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहे। वे पचीस वर्षों तक ‘द टाइम्स'लन्दन के संवाददाता भी रहे।
एक प्रतिष्ठित राष्ट्रिय दैनिक में अन्ना हजारे के अन्दोलन के लिए नायर ने यह कहा की इस आन्दोलन को अनशन से अलग रखते तो अच्छा होता और इसका ठीकरा उन्होंने टीम अन्ना के सदस्यों पर फोड़ा | उन्होंने कहा की ये लोग ध्यान खींचने के लिए इसे किसी नाटकीय कदम को उठाना चाहते थे [2]विदित रहे की अन्ना ने स्वयं ही यह स्वीकारा हे की अनशन करना उनकी स्वयं की इच्छा थी न की किसी और की | अन्ना यह कहा चुके है की वो कोई बच्चे नहीं है वह वही कार्य करते हे जिसकी गवाही उनकी आत्मा देती हे|
जन्म : 14 अगस्त 1924, सियालकोट (अब पाकिस्तान) शिक्षा : स्कूली शिक्षा सियालकोट में। विधिकी डिग्री लाहौरसे। यू. एस. ए. से पत्रकारिताकी डिग्री ली। दर्शनशास्त्रमें पी-एच. डी.। कार्य अनुभव : भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई वर्षों तक कार्य करने के बाद वे यू एन आई, पी. आई. बी. ‘द स्टैट्समैनं ‘इण्डियन एक्सप्रेस'के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहे। वे पचीस वर्षों तक ‘द टाइम्स'लन्दन के संवाददाता भी रहे।
रचनाएँ
‘बिटवीन द लाइन्स', ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कौनण्टनेण्ट', ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू', ‘वाल एंट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', ‘इण्डिया हाउस', ‘स्कूप' (सभी अंग्रेजी में)। ‘द डे लुक्स ओल्ड'के नाम से प्रकाशित कुलदीप नैयर की आत्मकथा भी काफी चर्चित रही है। सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।विवाद
कुलदीप नैयर पर छद्म धर्मनिपेक्षहोने के साथ साथ हिंदू विरोधी होने के का भी आरोप समय समय पर लगता रहता हे| नैयर ने तो यहाँ तक कहा डाला की प्रधानमंत्री वाजपेयी को कानून बनाए चाहिए जो किसी राष्ट्रीय स्वयं सेवक को उच्च पद के लिए अयोग्य बनाये |[1]एक प्रतिष्ठित राष्ट्रिय दैनिक में अन्ना हजारे के अन्दोलन के लिए नायर ने यह कहा की इस आन्दोलन को अनशन से अलग रखते तो अच्छा होता और इसका ठीकरा उन्होंने टीम अन्ना के सदस्यों पर फोड़ा | उन्होंने कहा की ये लोग ध्यान खींचने के लिए इसे किसी नाटकीय कदम को उठाना चाहते थे [2]विदित रहे की अन्ना ने स्वयं ही यह स्वीकारा हे की अनशन करना उनकी स्वयं की इच्छा थी न की किसी और की | अन्ना यह कहा चुके है की वो कोई बच्चे नहीं है वह वही कार्य करते हे जिसकी गवाही उनकी आत्मा देती हे|