
प्रस्तुति-- रतन सेन भारती
वीडियो फ़िल्मिंग के कुछ नुस्ख़े
सैली वेब
शॉट साइज़
•आपको किसी वीडियो सीक्वेंस को एडिट करने के लिए अलग-अलग साइज़ के शॉट्स चाहिए
•हर शॉट साइज़ से अलग अलग जानकारी मिलती है, इससे पता चल सकता है कि व्यक्ति कहाँ हैं, क्या कर रहा है, कौन है वगैरह
•आप जिसके बारे में बात कर रहे हैं वह व्यक्ति शॉट में दिखना चाहिए, बेहतर हो कि आप जिस काम की बात कर रहे हैं वह व्यक्ति वह काम करता हुआ दिखे. नीचे शॉट साइज़ के छोटे नाम हैं, इन्हें याद रखें, ताकि अपने फुटेज को लॉग करने में आसानी हो.
XLS—एक्सट्रीम लॉन्ग शॉट
इसका इस्तेमाल बड़े प्राकृतिक कैनवस को दिखाने के लिए होता है या फिर आप किसी व्यक्ति की पहचान ज़ाहिर नहीं करते तो उसे दूर से शूट करते हैं ताकि चेहरा न पहचाना जा सके.
VLS- वेरी लॉन्ग शॉट
जब आपके लिए बैकग्राउंड को दिखाना अहम हो, मुख्य पात्र फ्रेम के एक तिहाई ऊँचाई पर होता है.
MLS1- मीडियम लॉन्ग शॉट-1
इस शॉट का इस्तेमाल चलते फिरते लोगों को घुटने से नीचे तक दिखाने के लिए, ज़मीन पर चल रही गतिविधियों के लिए किया जाता है.
MLS2- मीडियम लॉन्ग शॉट-2
इस मीडियम लॉन्ग शॉट का इस्तेमाल घुटने से ऊपर की ऊँचाई पर होने वाली गतिविधि को दिखाने के लिए किया जाता है.
MS- मिड शॉट
किसी व्यक्ति और उसकी गतिविधियों को दिखाने के लिए अच्छा शॉट है.
MCU- मीडियम क्लोज़ अप
कंधे से नीचे तक का शॉट, इंटरव्यू के लिए बेहतर रहता है.
CU-क्लोज़ अप
चेहरे का ठुड्ढी तक का शॉट, हावभाव दिखाने के लिए इस्तेमाल होता है
BCU-बिग क्लोज़ अप
इसमें सिर्फ़ आँख और नाक दिखाई देते हैं, काफ़ी नाटकीय लगता है कि लेकिन ग़लत इस्तेमाल करने पर भद्दा भी लग सकता है.
XCU-एक्सट्रीम क्लोज़ अप
सिर्फ़ आँख, नाक या होंठ दिखता है
ऊपर सारे शॉट्स के बारे में जानकारी किसी व्यक्ति के संदर्भ में लिखी है मगर वह कोई पेंटिंग या इमारत या कोई और चीज़ भी हो सकती है, ऐसा सिर्फ़ उदाहरण के लिए कहा जा रहा है.
फ्रेमिंग
शॉट में गहराई का आभास पैदा करने के लिए एंगल का इस्तेमाल किया जाता है, सामने से शूट करने के बदले सही एंगल से शूट करने पर माहौल बेहतर समझ में आता है.
जब आप फ्रेम बना रहे हों तो इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
- व्यक्ति का सिर फ्रेम से चिपका न हो
- व्यक्ति के सिर के ऊपर बैकग्राउंड में कोई अटपटी चीज़ न हो
- फ्रेम का चुनाव इस तरह करें कि उससे स्टोरी के बारे में कोई जानकारी मिलती हो
- हमेशा एक-तिहाई के सिद्धांत का पालन करें
- ऊँचाई पोज़ीशन और एंगल का ध्यान रखकर ही कैमरा सेट करें
- जब भी आप शाट साइज़ बदल रहे हों तो ऐंगल भी बदल दें इससे आप जंप कट की समस्या से बच जाएँगे
ज़्यादातर कैमरों में स्टैंडर्ड ज़ूम लेंस होता है जिससे आप आम ज़रूरत के सारे शॉट्स ले सकते हैं, वाइडएंगल से लेकर ज़ूम्ड तक और उसके बीच का सब कुछ.
वाइडएंगल लेंस का इस्तेमाल
- जब आपको चीज़ों को एक दूसरे अलग और छोटा दिखाना हो
- जब आपको बैकग्राउंड में बहुत सारी चीज़ें दिखानी हों
- कैमरा स्थिर रखें
- जब छोटे कमरे को बड़ा दिखाना हो
- चीजों को बड़ा दिखाने के लिए
- बैकग्राउंड को कम करने के लिए
- फ़ोकस एक चीज़ से दूसरी चीज़ पर ले जाने के लिए
- चलती हुई चीज़ को फ्रेम में देर तक रखने के लिए
- दो चीज़ों के बीच की दूरी को क्लोज़अप करने के लिए
- ऑउट ऑफ़ फ़ोकस बैकग्राउंड के साथ इंटरव्यू करने के लिए, अगर इंटरव्यू की जगह को गोपनीय रखना हो
हम उस रेखा की बात कर रहे हैं जो वस्तुओं के बीच होती है.
- किसी चीज़ के चलने की दिशा, जैसे पटरी पर चलती रेल
- दो लोगों के बीच की रेखा, जैसे वे एक दूसरे को देखते हैं- ख़ास तौर पर इंटरव्यू में
- वो रेखा जो एक चलते हुए व्यक्ति और दूसरी वस्तु के बीच होती है, जैसे कार की तरफ़ जाता हुआ आदमी
कैमरा मूवमेंट
कैमरा मूवमेंट का इस्तेमाल काफ़ी सोच समझकर किसी उद्देश्य के लिए करना चाहिए वर्ना आपके शॉट्स बचकाने लगने लगते हैं.
- टिल्ट अप या टिल्ट डाउन—जब शॉट ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर जाता है
- पैन—जब कैमरा एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ जाता है
- ट्रैक- जब कैमरा ही शॉट के साथ चलता है
- हर शॉट के शुरूआत और अंत में पाँच सेकेंड के स्थिर शॉट ज़रूर हों ताकि एडिटिंग की जा सके
- ज़ूम इन ज़ूम आउट से बचना ही चाहिए जब तक कि ऐसा करने का कोई ठोस कारण न हो
हमेशा एक स्पष्ट योजना के तहत काम करें, इसके अलावा जिन बातों का ध्यान रखने की ज़रूरत है
- क्लियर फ्रेम के साथ शुरू और ख़त्म करें
- अलग अलग शॉट साइज़ एक्शन सीक्वेंस हों ताकि एडिटिंग आसानी से हो सके
- निरंतरता न टूटे
- जब शॉट बदलें तो ऐंगल भी बदलें लेकिन रेखा पार न करें