सौ साल की दिल्ली | |||||
| |||||
Image may be NSFW. Clik here to view. ![]() | |
|
दिल्ली सौ साल की हो गयी जी. सुनकर दिल्लीवाले बड़े नोस्टेल्जिक हो रहे हैं.
दिल्ली बनने की ब्लैक एंड व्हाइटतस्वीरें छप रही हैं. बताया जा रहा है कि आज जहां कनॉट प्लेस है, कभी वहांमाधवगंज गांव था. राष्ट्रपति भवन, पार्लियामेंट, सेंट्रल सेक्रेटेरियट कीजगह कभी रायसीना की पहाड़ियां थी और वहां सरे शाम से सियार बोलने लगते थे.अब वहां सत्ता बोलती है. सत्ताधारी बोलते हैं. सब कितना बदल गया है. सचमुच?
पुराने लोग बता रहे हैं कि उन्होंने दिल्ली को बनते देखा है. कैसे वेतांगों में घूमते थे, पैदल या साइकिल से इंडिया गेट तक चले आते थे. पिकनिकमनाने महरौली चले जाते थे. पुरानी दिल्ली से नयी दिल्ली आया करते थे. यहांबस अफसर और बाबू रहते थे. सत्ता की मारा-मारीवाली, जाम की मारी, रेप कीराजधानी, चोर-उचक्कों और झपटमारों की दिल्ली के बारे में सुनकर लगता हैजैसे दिल्ली सौ नहीं, पांच सौ या हजार साल पुरानी है और हम सतयुग के किस्सेसुन रहे हैं.
पुलिसवालों को आश्चर्य हो रहा होगा कि तब हम कहां थे. चोर-उच्चकों औरझपटमारों को अफसोस हो रहा होगा कि हम तब क्यों नहीं थे. सत्ताधारियों कोविास न हो रहा होगा कि जमाना इतना भोला था. नौकरीपेशा और कारोबारियों कोकोफ्त हो रही होगी कि ऐसा भी जमाना था जब मेट्रो में भीड़ नहीं थी, पार्किगका झंझट नहीं था, जाम की समस्या नहीं थी. पर यह यह सोच संतुष्ट हो जातेहोंगे कि तब कोई करोड़ों में नहीं खेलता था. अरबों के सौदे नहीं होते थे.इसीलिए यह भी बताया जा रहा है कि दिल्ली ने कितना लंबा सफर तय कर लिया है.ट्राम से मेट्रो तक, रीगल से मल्टीप्लेक्सों तक, धूल भरी सड़कों सेफ्लाईओवरों तक. पर यह सब किस्से लुटियन की नयी दिल्ली के हैं.
कहा जा रहा है कि दिल्ली को राजधानी बने सौ साल हो गए पर दिल्ली हमेशाराजधानी रही है. माना दिल्ली सात बार उजड़ी और बसी है फिर भी राजधानी तोरही. बेशक अंग्रेजों ने राजधानी पहले कोलकाता बनायी थी, मुगलों की भी कुछपीढ़ियों की राजधानी दिल्ली नहीं रही लेकिन अनंगपाल से लेकर गुलाम, खिलजी, तुगलक, लोदी और मुगल वंश से लेकर शेरशाह सूरी तक की राजधानी दिल्ली ही थी.अंग्रेजों की राजधानी के सौ साल का जश्न मनाते हुए क्या शहजानाबाद, तुगलकाबाद, महरौली और सीरी बसने का जश्न भी कभी मनाया जाएगा. अगर यह इतिहासहै तो वह भी इतिहास है. इतिहास में दुभांत क्यों?
हमने एक पुरानी दिल्लीवाले को बताया कि दिल्ली सौ साल की हो गयी. उसनेकहा लुटियन की दिल्ली हुई होगी. हमारी दिल्ली तो मुगलों के जमाने की है.यहां घंटेवाले की मिठाइयां और परांठेवाली गली के पराठे उससे भी पुराने हैं.महरौलीवाले को बताया तो बोला, हम तो हजार के हो गए. सकपकाकर हमने कहा-नहीं हम नए की बात कर रहे हैं. उसने कहा- नयों की बात करते हो तो हमारेएमजी रोड के फैशन डिजाइनरों के शो रूम सबसे नए हैं. दिल्ली के एक गांववालेसे कहा तो उसने कहा, पर हमारा गांव तो आठ सौ साल पुराना है. सौ साल की होकरभी दिल्ली बहुत बदल गयी. वहां ट्राम की जगह मेट्रो आ गयी. पर हमारे गांवमें आज भी कुछ नहीं बदला. हमने कहा- नहीं गलियां बेशक संकरी हैं पर मकान कईमंजिले हो गए और किराया भी लाखों में आता है. आप लंबी-लंबी गाड़ियों मेंचलते हैं. उसने बहस नहीं की. बोला- पर गांव हमारा अब भी वही है. वहींघूंघट, वही हुक्का, वही चौपाल.
जमानापारवाले ने कहा-यार पचास साल का तो मैं भी हो गया. पर हमारीसोसायटी नयी है. पीक ऑवर्स में जाम के कारण जमना पार करना मुश्किल हो जाताहै. एक करावलनगर वाले को यह खुशखबरी दी तो वह बोला-हमारी कालोनी भी काफीपुरानी हो गयी, लेकिन पानी-बिजली की अब भी बड़ी समस्या है. एनसीआर वाले सेकहा-दिल्ली सौ साल की हो गयी तो उसे आश्चर्य हुआ-अच्छा? क्यों क्या हुआ, हमने कहा. तो बोला, मैं तो दो-एक साल से यहां आया हूं और लोग कह रहे हैं कियह भी दिल्ली ही है.
सौ बरस की राजधानी दिल्ली
दिलवालोंकी दिल्ली जब से बनी है तब से ही यह कोलाहल का केन्द्र है. दिल्ली हमेशासे भारत का दिल रही है. इस दिल ने सब सह कर भी हिंदुस्तान को कई ऐसे मौकेदिए हैं जिन्हें हम कभी नहीं भूल सकते. चाहे वह आजादी के बाद पहली बारस्वतंत्रता का गवाह बना लाल किला हो या फिर इंडिया गेट की परेड, देश कीसंसद हो या आतंकवादियों का हमला सबकी गवाह है दिल्ली.
Image may be NSFW.
Clik here to view.
भारतके इतिहास में शायद ही कोई दूसरा शहर इतनी बार बसा और उजड़ा, जितनी बारशहर दिल्ली. माना जाता है कि 1450 ईसा पूर्व ‘इंदरपथ’ (इंद्रप्रस्थ) के रूपमें पहली बार पांडवों ने दिल्ली को बसाया. इस आधार पर दिल्ली तीन से साढ़ेतीन हज़ार साल पुराना शहर है. इंद्रप्रस्थ वो जगह था जहां हम आज पुरानेकिले के खंडहर देखते हैं.
Clik here to view.

भारत केतत्कालीन शासक किंग जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर, 1911 को बुराड़ी में सजेदरबार में नई राजधानी की घोषणा की थी. किंग जॉर्ज पंचम के इस फैसले नेदिल्ली की तकदीर ही बदल दी. दिल्ली को न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्किअंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर नई पहचान मिली. आज 2011 में दिल्ली को राजधानीबने सौ साल हो गए हैं. इन सौ वर्षो में दिल्ली ने कई उतार-चढ़ाव देखे.विकास की गति ने दिल्ली की तस्वीर पूरी तरह से बदल दी है.
Image may be NSFW.
Clik here to view.
दिल्ली की कहानी
Clik here to view.

सौ वर्षपहले जब जार्ज पंचम का राज्यभिषेक हुआ और कलकत्ता से दिल्ली को राजधानीबनाने का फैसला हुआ तो कोई नहीं जानता था कि दिल्ली उसके बाद हमेशा के लिएराजनीतिक गलियारों की अहम जगह बन जाएगी. इस बनती बिगड़ती दिल्ली की कहानी भीबड़ी अनूठी है.
12 दिसंबर, 1911 को दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया गया और दिल्ली को मिलीअपनी नई पहचान. 1772 से 1911 तक कलकत्ता ही भारत की राजधानी थी. आज के हीदिन जार्ज पंचम का भारत के शासक के तौर पर राज्याभिषेक हुआ और दिल्ली मेंएक विशाल दरबार लगाया गया. यह दरबार कोई मामूली दरबार नहीं था, बल्कि इसदरबार में अंग्रेज हुक्मरानों ने अपने को शासक के तौर पर भारत पर काबिज करदिया था. इस राज्याभिषेक के दौरान हाजिरी लगाने पूरे देश के नवाब और राजापहुंचे थे. इसका अर्थ यह था कि उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को स्वीकार करलिया था.
मिर्जा गालिब की दिल्ली
दिल्ली परकाबिज आखिरी मुगल बादशाह खुद बड़े आला दर्जे के शायर थे और उनके मुशायरेमें अकसर मिर्जा गालिब और जौक जैसे शायर शिरकत करते थे. उस वक्त के लालकिलामें इस मुशायरे के बीच वाहवाही की आवाजें खूब जोर-शोर से गूंजा करती थीं.
उस वक्तकी श्वेत श्याम दिल्ली आज पूरी तरह से तबदील हो चुकी है. वक्त के साथदिल्ली की खूबसूरती पर भी चार चांद लग गए हैं. उस वक्त की हवेलियां आज भीदिल्ली में शानौ शौकत की मिसाल पेश करती हैं. चंद दरवाजों में रची बसी उसवक्त की दिल्ली आज भारत के सियासी गलियारों में कितनी अहम है इसे बताने कीकोई जरूरत यहां समझ नहीं आती. दिल्ली की खूबसूरती और यहां की आबोहवा पर हीदिल्ली के शायर ने कहा था “कौन जाए जौक अब दिल्ली की गलियां छोड़ कर.” वहींमिर्जा गालिब को भी दिल्ली इतनी रास आई कि आखिर तक उन्होंने इस दिल्ली कासाथ नहीं छोड़ा.
आज की दिल्ली
ऐतिहासिकदिल्ली आज एक आधुनिक दिल्ली के रूप में परिवर्तित हो गई है. हां, इतना जरूरहै कि यहां ऐतिहासिक स्वरूप को भी सहेज कर रखा गया है. अत्याधुनिक परिवहनसुविधाएं, चमचमाती सड़कें, फ्लाईओवरों का जाल, आइजीआइ एयरपोर्ट परअंतरराष्ट्रीय स्तर का टी-3 टर्मिनल, अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्तस्टेडियम इत्यादि ने दिल्ली को वह तस्वीर दी है, जिस पर इतराया जा सकता है.लेकिन यह तस्वीर पूरी दिल्ली की तकदीर नहीं बन पाई है.
लेकिनजैसा कि हम हमेशा से कहते रहे हैं कि दिल्ली ने अच्छा बुरा सब देखा है तोइस दिल्ली के साथ कई बुरी चीजें भी हुईं. दिल्ली पर 1984 के दंगों से लेकरआतंकवाद तक कई बार खून के धब्बे लगे तो वहीं आज दिल्ली की सड़कें महिलाओं केलिए एक खौफनाक जगह बन चुकी हैं. दिलवालों की दिल्ली को कई बार महिलाओं केलिए सबसे असुरक्षित जगहों में भी गिना गया है.
दिल्ली कईमायनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर का शहर बन गई है लेकिन जनसंख्या विस्फोट कासही आकलन कर उसके अनुसार नियोजित विकास में विफलता ही हाथ लगी है. 1911 में दिल्ली को जब देश की राजधानी बनाया गया था, उस समय इसकी आबादी केवल चारलाख के करीब थी जो अब बढ़कर करीब 1.68 करोड़ हो गई है.
तब से अब तक दिल्ली की सूरत भले ही बदल गई हो लेकिन नहीं बदली इसकी शान जो आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है.
Rate this Article:
Image may be NSFW.
Clik here to view.
Image may be NSFW.
Clik here to view.
Image may be NSFW.
Clik here to view.
Image may be NSFW.
Clik here to view.
Image may be NSFW.
Clik here to view.
(2 votes, average: 4.50 out of 5)
Clik here to view.

Clik here to view.

Clik here to view.

Clik here to view.

Clik here to view.

2 प्रतिक्रिया
Similar articles :
कुदरत का करिश्मा कहें या फिर पिछले जन्म का…..
कुदरत का करिश्मा कहें या फिर पिछले जन्म का…..
3
1
0
0
0
New
Clik here to view.

अन्य खबरें
Leave a Reply
<ilayer src="http://www.s2d6.com/x/?x=i&z=i&v=4022189&r=[RANDOM]&k=[NETWORKID]" z-index="0" width="300" height="250"> <a href="http://www.s2d6.com/x/?x=c&z=s&v=4022189&r=[RANDOM]&k=[NETWORKID]" target="_blank"> <img src="http://www.s2d6.com/x/?x=i&z=s&v=4022189&r=[RANDOM]&k=[NETWORKID]" border="0" alt="click here" /> </a> </ilayer>
सबसे लोकप्रिय
- अव्यवस्थाओं लेकर अदालत ने…5 view(s)
- केन्द्रीयमंत्राीसचिन …5 view(s)
- प्रमाण-पत्रों के नोडल एजे…4 view(s)
- रविवार को पिलायी जायेगी प…4 view(s)
- राष्ट्रीय युवा दिवस सप्ता…4 view(s)
Tags
2जीAutoDraftअजमेरअध्यात्मआगआजआठआमआलेखएकएनऑफकलकिरणखिलाफखेलगएगैंगरेपगोजनजनवरीदमदिल्लीदुनिया,देशपाकिस्तानपुलिसपुष्करप्रदेशफिरबनबैठकभारतमौतरेपलिएविकासव्यवसायशवसरकारसाथ'सालहुएहो
Image may be NSFW.
Clik here to view.![]()
Clik here to view.

Image may be NSFW.
Clik here to view.![http://pub.clicksor.net/newServing/img/logo.png]()
Clik here to view.

Image may be NSFW.
Clik here to view.![http://pub.clicksor.net/newServing/img/logo.png]()
Clik here to view.

Media Gallery
नीतू सिंह की पंजाबी फिल्म साडी लव स्टोरी
फुटबॉल खिलाड़ी अन्द्रे इनिएस्ता और जर्मन मॉडल क्लौडिया सिसला के साथ केलेंडर की शूटिंग
‘काइ पो चे’ संग पर्दे के पीछे के दृश्य भीImage may be NSFW.
Clik here to view.![]()
मनोरंजन उद्योग के लिए किस्मत जरूरी है : श्रेष्ठ
स्वतंत्र व छोटी फिल्मों का करें स्वागत : दसारी
टीवी पर वापसी कर रही हैं सारा!
सलमान ने कहा, SRK के साथ कोई झगड़ा नहीं
‘केबीसी-6′में सनमीत कौर ने जीते पांच करोड़ रुपये
4
.भारत की राजधानी को स्थानांतरित करते हैं''
पारुल अग्रवाल
बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
सोमवार, 5 दिसंबर, 2011 को 10:19 IST तक के समाचार
Image may be NSFW.
Clik here to view.![दिल्ली दरबार]()
Clik here to view.

1911 में सजे दिल्ली दरबार का एक चित्र जिसमें दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने की घोषणा हुई.
''हमें भारत की जनता को यह बताते हुए बेहदहर्ष होता है कि सरकार और उसके मंत्रियों की सलाह पर देश को बेहतर ढंग सेप्रशासित करने के लिए ब्रितानी सरकार भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्लीस्थानांतरित करती है.'' संबंधित समाचार
टॉपिक
12 दिसंबर 1911 की सुबह 80 हज़ार सेभी ज़्यादा लोगों की भीड़ के सामने ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम ने जब येघोषणा की, तब लोग एकाएक यह समझ भी नहीं पाए कि चंद लम्हों में वो भारत केइतिहास में जुड़ने वाले एक नए अध्याय का साक्ष्य बन चुके हैं.इस घटना को आज सौ साल बीत चुके हैं और साल 2011 इतिहास की इसी करवट पर एक नज़र डालने का मौका है, जब अंग्रेज़ों ने एक ऐसेऐतिहासिक शहर को भारत की राजधानी बनाने का फैसला किया जिसके बसने और उजड़नेकी स्वर्णिम-स्याह दास्तान इतिहास से भी पुरानी है.
ये मौका है एक ऐसी राजधानी को परखने का जो आज दुनिया के नक्शे पर सबसे बड़े लोकतंत्र की ताकत के रुप में स्थापित है.
लेकिन सवाल ये है कि तीन हज़ार साल पुराना शहर 'दिल्ली' जिसे खुद अंग्रेज़ों ने भारत की प्राचीन राजधानी कहा उसे 1911 केबाद ‘असल राजधानी’ मानकर सौ साल के इस सफ़र का जश्न क्या तर्कसंगत है.
Image may be NSFW.
Clik here to view.![किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी]()
इस सवाल के जवाब की खोज ने ही दिल्ली के इससफ़रनामे की बुनियाद रखी और इतिहास के पन्नों पर जो कुछ हमें मिला उसने इसकहानी को साझा करने की एक ललक पैदा की.Clik here to view.

दिल्ली एक देहलीज़
शुरुआत हुई दिल्ली शहर के नाम से, जिसे लेकर कईकहानियां मशहूर हैं. कुछ लोगों का मानना है दिल्ली शब्द फ़ारसी के देहलीज़से आया क्योंकि दिल्ली गंगा के तराई इलाकों के लिए एक ‘देहलीज़’ था. कुछलोगों का मानना है कि दिल्ली का नाम तोमर राजा ढिल्लू के नाम पर दिल्लीपड़ा. एक राय ये भी है कि एक अभिषाप को झूठा सिद्ध करने के लिए राजा ढिल्लूने इस शहर की बुनियाद में गड़ी एक कील को खुदवाने की कोशिश की. इस घटना केबाद उनके राजपाट का तो अंत हो गया लेकिन मशहूर हुई एक कहावत, किल्ली तो ढिल्ली भई, तोमर हुए मतीहीन, जिससे दिल्ली को उसका नाम मिला.भारत के इतिहास में शायद ही कोई दूसरा शहर इतनी बार बसा और उजड़ा, जितनी बार शहर दिल्ली.
माना जाता है कि 1450 ईसा पूर्व 'इंदरपथ' (इंद्रप्रस्थ) के रुप में पहली बार पांडवों ने दिल्ली को बसाया. इस आधार परदिल्ली तीन से साढ़े तीन हज़ार साल पुराना शहर है. इंद्रप्रस्थ वो जगह थीजहां हम आज पुराने किले के खंडहर देखते हैं. नीली छतरी और सूर्य मंदिर केकिनारे बने निगमबोध घाट के रुप में इंद्रप्रस्थ की तीन निशानियां आज भीहमारे बीच मौजूद हैं.
1000 ईसवी से अंग्रेज़ों के शासनकाल तक दिल्ली पर ग़ौरी, ग़ज़नी, तुग़लक, खिलजी और कई मुग़ल शासकों का राज रहा.
इस दौरान हर शासक ने अपनी बादशाहत साबित करने के लिए दिल्ली में अलग-अलग शहरों को बसाया.
दिल्ली के सात शहर
Image may be NSFW.
Clik here to view.![http://wscdn.bbc.co.uk/worldservice/assets/images/2011/11/28/111128140131_delhi_durbar_304x171_delhistatearchives.jpg]()
Clik here to view.

1947 में आज़ादी के बाद राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते जवाहर लाल नेहरु.
समय के साथ ये इलाके दिल्ली के सात शहरों के नामसे मशहूर हुए और आठवां शहर बना नई दिल्ली. लेकिन इस क्रम में ये शहर कई बारगुलज़ार हुआ तो कई बरस गुमनामी की गर्त में भी बीत गए.लाल कोट, महरौली, सिरी, तुग़लकाबाद, फ़िरोज़ाबाद, दीन पनाह और शाहजहानाबाद नाम के ये सात शहर आज भी खंडहर बन चुकी अपनीनिशानियों की ज़बानी दिल्ली के बसने और उजड़ने की कहानियां कहते हैं.
दिल्ली भले ही हमारे दिलो-दिमाग़ पर राजधानी केरुप में छाई हो लेकिन इतिहास गवाह है कि मुग़लों के दौर में भी जो रुतबाआगरा और लाहौर का रहा वो दिल्ली को कम ही नसीब हुआ.
ये सिलसिला आखिरकार 1911 में ख़त्म हुआ जबअंग्रेज़ प्रशासित भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करनेकी घोषणा हुई. इसी के साथ शुरु हुई ‘शाहजहानाबाद’ यानि पुरानी दिल्ली को 'नई दिल्ली' का रुप देने की क़वायद.
पुरानी दिल्ली के लिए क्या कुछ बदलने वाला था इसकी आहट दिल्ली दरबार की तैयारियों पर एक नज़र से मिलती है.
गहरा राज़
1911 में हुए दिल्ली दरबार का ये वो दौर था जबअंग्रेज़ों का विरोध शुरु हो चुका था और कलकत्ता इन गतिविधियों का गढ़ बनरहा था. स्वराज की सुगबुगाहट के बीच किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की जनता सेसीधा रिश्ता कायम करने की नज़र से अपने राज्याभिषेक के लिए दिल्ली दरबारसजाया. लेकिन एक तीर से दो निशाने साधते हुए इस अवसर पर दिल्ली को भारत कीराजधानी घोषित करने का निर्णय अंतिम समय तक एक राज़ रखा गया."''अंग्रेज़ोंने जब दिल्ली के बारे में सोचा तो उन्हें लगा कि ये बेहद सुंदर शहर है औरइसका इतिहास इतना पुराना है कि इसे राजधानी बनाने के ज़रिए वो भी इस इतिहाससे जुड़ जाएंगे. किसी ने उन्हें यह भी याद दिलाया कि दिल्ली में जो राजकरता है बहुत दिन तक उसका राज्य टिकता नहीं लेकिन अंग्रेज़ अपना मन बनाचुके थे.'' "
नारायनी गुप्ता इतिहासकार
अंग्रेज़ी सरकार नहीं चाहती थी इस महत्वपूर्ण आयोजन में कोई भी चूक रंग में भंग डाले.ये आयोजन जिस शानो-शौकत और सटीक योजनाबद्ध तरीके से किया गया उसका आज भी कोई सानी नहीं.
आयोजन इतना भव्य था कि इसके लिए शहर से दूरबुराड़ी इलाके को चुना गया और अलग-अलग राज्यों से आए राजा-रजवाड़े, उनकीरानियां, नवाब और उनके कारिंदों सहित भारतभर से 'अतिविशिष्ट' निमंत्रित थे.
लोगों के ठहरने के लिए हज़ारों की संख्या में लगाएगए अस्थाई शिविरों के अलावा दूध की डेरियों, सब्ज़ियों और गोश्त कीदुकानों के रुप में चंद दिनों के लिए शहर से दूर मानो एक पूरा शहर खड़ाकिया गया.
जॉर्ज पंचम और क्वीम मैरी की सवारी चांदनी चौक मेंआम लोगों के बीच से गुज़री ताकि जनता न सिर्फ़ अपने राजा को एक झलक देखसके बल्कि अंग्रेज़ी साम्राज्य की शानो-शौकत से भी रूबरू हो. जिस रास्ते सेकिंग जॉर्ज और क्वीन मैरी का काफ़िला गुज़रा वो आज भी किंग्सवे-कैंप केरुप में जाना जाता है.
लाइटों से जगमगा उठी दिल्ली
Image may be NSFW.
Clik here to view.![http://wscdn.bbc.co.uk/worldservice/assets/images/2011/12/03/111203103605_delhi_durbar_304x171_delhistatearchives.jpg]()
Clik here to view.

शाहजहां की बसाई पुरानी दिल्ली का एक चित्र लेकिन अंग्रेज़ों की बसाई नई दिल्ली में पुरानी दिल्ली कहीं शामिल न हो सकी.
दरबार के पहले और बाद में शरारती तत्वों को दूररखने के लिए व्यापक स्तर पर गिरफ़्तारियां की गईं. सार्वजनिक अवकाश घोषितहुआ और हर तरफ पुलिस की नाकेबंदी ने आम लोगों को खास लोगों के स्वागत केलिए पहले ही सावधान कर दिया.दरबार के अगले दिन राजधानी बनी दिल्ली, जश्न केरुप में लाइटों से जगमगा उठी और इस मौके पर अंग्रेज़ प्रशासन ने आम लोगोंसे भी अपने घरों को रौशन करने का आग्रह किया. इसके लिए शहर में अतिरिक्तबिजली का विशेष इंतज़ाम किया गया था.
1911 की उस ऐतिहासिक घोषणा के बाद अंग्रेज़ों नेनई दिल्ली को नींव रखी और इस शहर को देश की राजधानी का जामा पहनने की जोकवायद शुरु की वो आज तक जारी है.
विशालयकाय भवन, चौड़ी सड़कें, दफ्तर, क्वार्टर, विश्वविद्यालय हर तरफ़ अंग्रेज़ अपनी छाप छोड़ना चाहते थे और इसकी जीतीजागती निशानियां बनीं 'वायसराय हाउस' और 'नेशनल वॉर मेमोरियल' जैसी इमारतेंजिन्हें हम आज 'राष्ट्रपति भवन' और 'इंडिया गेट' के नाम से जानते हैं.
दिल्ली की इस कायापलट पर इतिहासकार नारायनी गुप्ताकहती हैं, ''अंग्रेज़ों ने जब दिल्ली के बारे में सोचा तो उन्हें लगा किये बेहद सुंदर शहर है और इसका इतिहास इतना पुराना है कि इसे राजधानी बनानेके ज़रिए वो भी इस इतिहास से जुड़ जाएंगे. किसी ने उन्हें यह भी याद दिलायाकि दिल्ली में जो राज करता है बहुत दिन तक उसका राज्य टिकता नहीं लेकिनअंग्रेज़ अपना मन बना चुके थे.''
Image may be NSFW.
Clik here to view.![किंग जॉर्ज पंचम]()
Clik here to view.

दिल्लीके बुराड़ी इलाके में मौजूद कॉरोनेशन पार्क में बीहड़ के बीच किंग जॉर्जपंचम सहित कई अंग्रेज़ अधिकारियों की मूर्तियां मौजूद हैं.
लेकिन किवदंतियों और इतिहास का रिश्ता शायद पुरानाहै. 1931 को उसी वायसराय हाउस में ऐतिहासिक गांधी-इरविन समझौते परहस्ताक्षर हुए और 1947 में आज़ाद हुए भारत ने पहली नज़र में दिल्ली को अपनीराजधानी बना लिया.क्या ये वही दिल्ली है?
तब से आजतक ये शहर अपने शासकों की महत्वाकांक्षाऔर उनकी राजनीतिक मंशाओं पर ख़रा उतरने की होड़ में आगे बढ़ता रहा है. भलेही इस क्रम में अकसर यहां रहने वालों की ज़रूरतें पिछड़ गईं.लेकिन सवाल ये है कि ये दिल्ली क्या वही दिल्ली हैजिसका सपना कभी शाहजहां ने देखा था, वो दिल्ली जिसे अंग्रेज़ों ने बड़ीहसरत से अपने रंग में रंगा, वो दिल्ली जो आज़ाद भारत के लिए जिजीविषा औरराष्ट्रीयता का प्रतीक बन गई है.
सवाल ये भी है कि राजधानी होने के नाते दिल्ली पर‘राष्ट्रीयता’ का भार कहीं इतना तो नहीं कि उसकी अपनी पहचान, उसकी संस्कृतिइसके बोझ तले कहीं दब कर रह गई है. सवाल ये भी कि राजीव चौक, लाजपत नगर औरविवेकानंद मार्गों के बीच दिल्ली में ‘अमीर-ख़ुसरो रोड’ या ‘ग़ालिब-गली’ के लिए कोई जगह क्यूं नहीं है.
बीबीसी की विशेष श्रंखला 'दिल्ली: कल आज और कल' इन्हीं सवालों के जवाब की एक कड़ी है.
ये कहानी है एक ऐसी राजधानी की जो अपने गदले-मैले कपड़ों को मखमल के शॉल में छिपाए हर मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है.
(अगले अंक में पढ़िए राजधानी की घोषणा के बाद कैसे बदली ब्रितानियों ने दिल्ली की प्रशासनिक और वास्तुकलात्मक शक्ल)
इसे भी पढ़ें
संबंधित समाचार
12.12.11
05.12.11
,
टॉपिक
बड़ी ख़बरें
- चीन के लहसुन पर तस्करों की नज़र11:53 IST
- 'रेप हमारे कल्चर में है'12.01.13
तस्वीरें
· विमान पर चढ़ा अजगर!Image may be NSFW.
Clik here to view.![http://wscdn.bbc.co.uk/worldservice/assets/images/2013/01/12/130112005126_python_plane_336x189_reuters_nocredit.jpg]()
जानिए क्या किया इसने और पिछले चौबीस घंटेंकी अन्य रोचक तस्वीरें
· कुंभ की डुबकी क्या पाप धोएगी?Image may be NSFW.
Clik here to view.![कुंभ में बुजुर्ग]()
महाकुंभ में डुबकी लगाने को जमा हुए श्रद्धालुओं के मन में क्या है..
· मुफ़्त कपड़ों की ख़ातिरImage may be NSFW.
Clik here to view.![पेरिस में अंडर वियर की सेल]()
देखिए क्या हुआ जब लगी पेरिस में अंडरवियर की सेल
ज़रूर पढ़ें
· 'बलात्कार पीड़िता परफेक्ट लड़की थी'Image may be NSFW.
Clik here to view.![http://wscdn.bbc.co.uk/worldservice/assets/images/2013/01/03/130103070036_rape_victim336.jpg]()
कैसा था दिल्ली गैंगरेप पीड़िता का व्यक्तित्व? अध्यापकों के मुताबिक वो ऊंची महत्तवकांक्षाएं रखने वाली एक ज़िंदादिल लड़की थी.
· चीन के 'अकेले' बच्चे निराशावादीImage may be NSFW.
Clik here to view.![चीन का एक बच्चा]()
चीन की एक-बच्चे की नीति ने कैसे बदली कई बच्चों की ज़िन्दगी
· 'पिता ने यौन शोषण किया'Image may be NSFW.
Clik here to view.![क्लॉस किन्स्की]()
प्रसिद्ध दिवंगत जर्मन अभिनेता की पुत्री ने लगाया आरोप.
· श्रीलंका में पैर पसारता चीनImage may be NSFW.
Clik here to view.![चीन]()
वहीं भारतीय व्यापार की छाप फीकी
· भारतीय को मिलेगा ऑस्कर?Image may be NSFW.
Clik here to view.![बॉम्बे जयश्री]()
लाइफ़ ऑफ़ पाइ में बॉम्बे जयश्री की लोरी क्या जजों को भाएगी?
· हमले के पीछे भारत?Image may be NSFW.
Clik here to view.![भारत-पाक नियंत्रण रेखा (फ़ाइल)]()
कुछ ने पाकिस्तानी कार्रवाई के लिए भारत को ज़िम्मेदार बताया.
· जीते गांधीजी के पड़पोतेImage may be NSFW.
Clik here to view.![शांति गांधी]()
शांति गांधी ने अमरीका में एक गोरे नेता को भारी मतों से हराया
सबसे लोकप्रिय
ख़बरें
- 'रेप हमारे कल्चर में है'
- विमान पर चढ़ा अजगर
- मुफ़्त कपड़ों की ख़ातिर...
- चीन के लहसुन पर तस्करों की नज़र
- ...तो सिनेमाहॉल बंद हो जाएंगे ?
वीडियो/ऑडियो
- नमस्कार भारत (भारत में सुबह 6.30 बजे)
- नमस्कार भारत (भारत में सुबह 6.30 बजे)
- अमरीकी राजनीति में गांधी के पड़पोते
- ब्रिटेन में बनारस महाराजा का कुआँ
- ओबामा ने सीधा प्रसारण देखा था
5
वेबसाइट खोलने के लिए लिंक
bbc.co.uk navigation
सुनिए दिल्ली दरबार की कहानी
सोमवार, 12 दिसंबर, 2011 को 13:43 IST तक के समाचार
मीडिया प्लेयर
दिल्ली शहर की बसने और उजड़ने की स्वर्णिम-स्याह दास्तान इतिहास से भी पुरानी है. इतिहास के इसी क्रम में साल 1911 में दिल्ली में सजा एक दरबार और ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम ने अंग्रेज़ प्रशासित भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया. सुनिए कहानी दिल्ली की शाहजहानाबाद से नई दिल्ली तक.
सबसे लोकप्रिय
ख़बरें
- 'रेप हमारे कल्चर में है'
- विमान पर चढ़ा अजगर
- मुफ़्त कपड़ों की ख़ातिर...
- चीन के लहसुन पर तस्करों की नज़र
- ...तो सिनेमाहॉल बंद हो जाएंगे ?
वीडियो/ऑडियो
- नमस्कार भारत (भारत में सुबह 6.30 बजे)
- नमस्कार भारत (भारत में सुबह 6.30 बजे)
- अमरीकी राजनीति में गांधी के पड़पोते
- ब्रिटेन में बनारस महाराजा का कुआँ
- ओबामा ने सीधा प्रसारण देखा था
सोशल मीडिया पर बीबीसी हिंदी
1. यू ट्यूब
·
·
·
·