Quantcast
Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

फिर सामने खडा है 6 दिसंबर के काला सच का काल इतिहास

$
0
0






BBC
 मंगलवार, 6 दिसंबर, 2011 को 11:03 IST तक के समाचार
इतिहास में छह दिसंबर की तारीख़ कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए याद की जाती है. इसी दिन एक उन्मादी भीड़ ने अयोध्या की बाबरी मस्जिद ढहा दी थी और स्पेन में 40 साल के तानाशाही शासन को ख़त्म करने के लिए मतदान किया गया था.

1992: अयोध्या की बाबरी मस्जिद तोड़ी गई


बाबरी मस्जिद की रक्षा नहीं कर पाने पर उत्तर प्रदेश की सरकार बर्खास्त कर दी गई थी
छह दिसंबर 1992 को उग्र हिंदुओं की एक भीड़ ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था और शहर के कई अन्य मुस्लिम ठिकानों पर हमला कर दिया था.
इस घटना के बाद भारत में भयानक सांप्रदायिक दंगों की शुरुआत हो गई थी.
घटना की शुरुआत पहले मस्जिद के आसपास एक धार्मिक जुलूस से हुई थी जिसका आयोजन दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने किया था जिसमें देश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी भी शामिल थी.
हिंदू चरमपंथी अयोध्या की बाबरी मस्जिद से मुक्ति पाना चाहते थे जो कि कई दशकों से हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य का कारण बनी हुई थी.
हिंदू बाबरी मस्जिद के स्थान पर एक हिंदू मंदिर बनाना चाहते थे क्योंकि उनका मानना था कि उनके आराध्य भगवान राम का जन्म वहीं हुआ था.
हालांकि अदालत ने पहले ही मस्जिद को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दे दिया था.
तीनों ही पार्टियों के नेताओं ने कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करने का वादा किया था और कहा था कि 6 दिसंबर के धार्मिक समारोह में हिंदू मंदिर के निर्माण की केवल सांकेतिक नींव रखी जाएगी.
लेकिन इस समारोह के शुरू होने से पहले ही दो लाख लोगों की उन्मादी भीड़ पुलिस की घेरेबंदी को तोड़ती हुई मस्जिद परिसर में दाखिल हुई और मस्जिद के तीन गुंबदों को हथौड़ों से मारकर गिरा दिया इसके बाद पूरी इमारत ही ढहा दी गई.
सरकार ने किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सैकड़ों अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर रखी थी लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि पुलिस केवल मूकदर्शक बनकर देखती रही.
इस घटना से पूरा देश स्तब्ध रह गया था.
पूरे उत्तर भारत में सुरक्षा बल की तैनाती कर दी गई थी और हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया था.
केंद्र सरकार को डर था कि भारत के 12 करोड़ मुसलमान बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने पर जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं.
इसके बाद हुई केंद्रीय कैबिनेट की आपात बैठक में बीजेपी के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार को मस्जिद की सुरक्षा में नाक़ाम रहने पर बर्ख़ास्त कर दिया गया था.

1978: स्पेन में लोकतंत्र के लिए मतदान


जनरल फ़्रैंको के निधन के बाद ही स्पेन में लोकतंत्र की दिशा में क़दम बढ़ाए गए थे
छह दिसंबर 1978 को स्पेन के नागरिकों ने 40 साल के तानाशाही शासन के बाद लोकतंत्र की स्थापना के लिए मतदान किया था.
दरअसल ये जनमतसंग्रह स्पेन के नए संविधान की स्वीकृति के लिए कराया जा रहा था.
नए संविधान में राजशाही के मौजूदा ज़्यादातर अधिकार ख़त्म किए जाने का प्रावधान था.
हालांकि इनमें से कई अधिकार स्पेन के तानाशाह जनरल फ़्रैंको ने पहले ही ख़त्म कर दिए थे जिनकी मृत्यु 1975 में हुई थी.
स्पेन के राजा जुआन कार्लोस और रानी सोफ़िया नए संविधान का समर्थन कर रहे थे और इसके पक्ष में मतदान करनेवालों में वो कुछ पहले लोगों में शामिल थे.

इससे जुड़ी और सामग्रियाँ


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>