प्रस्तुति-- स्वामी शरण, कृति शरण
स्टीफन हॉकिंग | |
पूरा नाम | स्टीफन विलियम हॉकिंग |
जन्म | 8 जनवरी, 1942 |
जन्म भूमि | ऑक्सफोर्ड, इंग्लैंड |
पति/पत्नी | जेने वाइल्ड, एलेन मेसन |
भाषा | अंग्रेज़ी |
शिक्षा | कॉस्मोलॉजी में पीएच.डी. |
विद्यालय | कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
प्रसिद्धि | कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफ़ेसर |
विशेष योगदान | थ्योरी ऑफ़ 'बिग-बैंग'और 'ब्लैक होल्स'की नई परिभाषा |
नागरिकता | ब्रिटेन |
पुस्तक | 'ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑव टाइम' |
अन्य जानकारी | स्टीफन हॉकिंग, रॉयल सोसायटी और यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंसेज के एक सम्मानित सदस्य भी हैं। |
अद्यतन | 19:30, 29 जुलाई 2014 (IST) |
स्टीफन विलियम हॉकिंग (अंग्रेज़ी: Stephen William Hawking, जन्म: 8 जनवरी, 1942) एक विश्व प्रसिद्ध ब्रितानी भौतिक विज्ञानी, ब्रह्माण्ड विज्ञानी, लेखक और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केन्द्र (Centre for Theoretical Cosmology) के शोध निर्देशक हैं। उन्हें लुकासियन प्रोफेसर ऑफ मैथेमेटिक्स भी कहा जाता है। 'कर खुदी को इतना बुलंद कि खुदा बंदे से पूछे बता तेरी रजा क्या है'यह उक्ति ब्रिटेन के ख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग पर पूरी तरह सटीक बैठती है। तभी तो नब्बे फीसदी विकलांग होने के बावजूद उनकी क्षमता का लोहा पूरी दुनिया मानती है। महान वैज्ञानिक स्टीफन विलियम हॉकिंग पर 'जितेंद्र'शब्द बिल्कुल सटीक बैठता है। क्योंकि जो मोटर न्यूरॉन डिजीज से पीड़ित होकर भी न्यूटनऔर आइंस्टाइनकी बिरादरी में शामिल हो गए हों, उनके लिए इससे माक़ूल शब्द कोई हो ही नहीं सकता। आज समाज में ऐसे कम ही लोग मिलते हैं, जिन्होंने अपनी इंद्रियों पर विजय पाई हो। असल में जो लोग इस कारनामे को कर-गुजरते हैं, वे ही सही मायने में 'जितेंद्र'कहलाते हैं। स्टीफन हॉकिंग भी ऐसे 'जितेंद्र'हैं, जिन्होंने इंद्रियों को प्रयत्न करके अपने वश में नहीं किया है, बल्कि उनकी इंद्रियां खुद-ब-खुद उनका साथ छोड़ चुकी है।
प्रारंभिक जीवन
स्टीफन विलियम हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी, 1942को इंग्लैंडके ऑक्सफोर्ड में हुआ था। गौरतलब है कि यही वह तारीख थी, जिस दिन महान वैज्ञानिक गैलिलियोका भी जन्म हुआ था। उनके माता-पिता का घर उत्तरी लंदन में था। लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान लंदनकी अपेक्षा ऑक्सफोर्ड अधिक सुरक्षित था, जिसके कारण हॉकिंग का परिवार ऑक्सफोर्ड में बस गया। जब वे आठ साल के थे तो वे उत्तरी लंदन से बीस मील दूर सेंट अलबेंस में बस गए। 11 साल की उम्र तक उन्होंने सेंट एलबेंस स्कूल में पढ़ाई की। फिर वे ऑक्सफोर्ड के यूनिवर्सिटी कॉलेज चले गए। उनकी रुचि बचपन से गणित में थी, लेकिन पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे। चूंकि उनके पिता खुद एक डॉक्टर थे और इसीलिए वे ऐसा चाहते थे। पर संयोगवश उनकी आगे की पढ़ाई भौतिकी विषय में हुई क्योंकि उन दिनों कॉलेज में गणित की पढ़ाई उपलब्ध नहीं थी और धीरे-धीरे इसी विषय से कॉस्मोलॉजी सेक्शन में पढ़ाई की।मेधावी छात्र
स्टीफन हॉकिंग एक मेधावी छात्र थे, इसलिए स्कूल और कॉलेज में हमेशा अव्वल आते रहे। तीन सालों में ही उन्हें प्रकृति विज्ञान में प्रथम श्रेणी की ऑनर्स की डिग्री मिली। जो कि उनके पिता के लिए किसी ख्वाब के पूरा होने से कम नहीं था। गणित को प्रिय विषय मानने वाले स्टीफन हॉकिंग में बड़े होकर अंतरिक्ष-विज्ञान में एक ख़ास रुचि जगी। यही वजह थी कि जब वे महज 20 वर्ष के थे, कैंब्रिज कॉस्मोलॉजी विषय में रिसर्च के लिए चुन लिए गए। ऑक्सफोर्ड में कोई भी ब्रह्मांड विज्ञान में काम नहीं कर रहा था उन्होंने इसमें शोध करने की ठानी और सीधे पहुंच गए कैम्ब्रिज। वहां उन्होंने कॉस्मोलॉजी यानी ब्रह्मांड विज्ञान में शोध किया। इसी विषय में उन्होंने पीएच.डी. भी की। अपनी पीएच.डी. करने के बाद जॉनविले और क्यूस कॉलेज के पहले रिचर्स फैलो और फिर बाद में प्रोफेशनल फैलो बने। यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। लेकिन हॉकिंग ने वही किया जो वे चाहते थे। संयुक्त परिवार में भरोसा रखने वाले हॉकिंग आज भी अपने तीन बच्चों और एक पोते के साथ रहते हैं।स्टीफन के अंदर एक ग्रेट साइंटिस्ट की क्वालिटी बचपन से ही दिखाई देने लगी थी। दरअसल, किसी भी चीज़ के निर्माण और उसकी कार्य-प्रणाली को लेकर उनके अंदर तीव्र जिज्ञासा रहती थी। यही वजह थी कि जब वे स्कूल में थे, तो उनके सभी सहपाठी और टीचर उन्हें प्यार से 'आइंस्टाइन'कहकर बुलाते थे। हॉकिंग की सरलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक ओर वे सुदूर अंतरिक्ष के रहस्य सुलझाते हैं तो दूसरी ओर टीवीपर भी नजर आते हैं। ब्रिटेनके कई चैनलों ने उन्हें लेकर कई प्रोगाम बनाए हैं। सैद्धांतिक भौतिकी, अंतरिक्ष विज्ञान से लेकर कार्टूनों और बच्चों की काल्पनिक और कोमल दुनिया में भी वे बड़ी आसानी से घूम आते हैं।