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केजरी के जाल में आखिरकार फंस ही गए कुमार विश्वासबडबोले और बात बात में अपन 250 करोड की धनकुबेरी और सबसे मंहगे कॉरपेटी कवि होने का दंभ पालने और प्रदर्शित करने वाले महाकवि कुमार विश्वास अंतत: आप मुखिया के फिराक में आ ही गए। सबसे आगे रखने वाले एक खबरिया न्यूज चैनल के अनुसार जिस तेजी के साथ एक भगोडे की तरह आनन फानन में कुमार विश्वास दिल्ली क्या हिन्दुस्तान से भागे है, उसको देखकर तो दाल में काला नहीं काला में दाल तक काला काला ही दिख प्रतीत और नजर आ रहा है। नवकुबेर कुमार विश्वास जिस तरह अपने आप को आप का चाणक्य की तरह दिखाने की कोशिश कर रहे थे, उससे कई माह पहले ही यह आशंका होने लगी थी कि इनको केजरी कितने दिन तक अपने सिर पर नाचने देंगे। बात बात पर कुमार विश्वास यह बताने का कोई अवसर चूकते नहीं थे कि वे किस तरह मनीष सिसौदिया और केजरी को सलाह देते है कडीआलोचना करते है निंदा करते है या सलाह पर सलाह का डोज देते और पिलाते रहते है। केजरी के सीएम बनने से पहले तो कुमार विश्वास यह कहते और बताते में भी संकोच नहीं किए कि आप में सबसे ज्यादा लोकप्रिय( पॉपुलर) केवल कुमार विश्वास है। खैर
अमेठी में कुमार विश्वास ने क्या गूल खिलाया है यह तो कुमार विश्वास और श्रीमती विश्वास ही आंखो देखी बयान कर सकती हैं, जो कभी नहीं करेंगी( यह पक्का है) पर महिला को आरोपों के सामने दिवाना कवि जिस पागल की तरह पूरे पागलपन के साथ भागा है, उससे यह साबितहो गया कि वो सामना करने की बजाय भागने में ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। और यदि भागने की शह और सलाह आप के राम बलराम, राजन इकबाल, राम श्याम, कृष्ण सुदामा जैसे युगल बंधुओं ने दिया है या भागने का परामर्स और सुविधा प्रदान किया होगा तो तो तो तो .... यहीं पर कुमार विश्वास मात खा गए और आप के शह पर कानून के प्रति आदर दिखाने की बजाय कानून से ही भागकर यह साबित कर दिया कि दाल में काला है और इसका अंजाम क्या हो सकता है।
अब अमरीका में जाकर कितने दिन ठहर पाएंगे भला कुमार विश्वास? अमरीका कोई ससुराल तो नहीं है कि जाकर पसर गए। फिर एक औरत के आरोपों का असर क्या होता है यह तो आसाराम बापू एंड संस के मामले में पूरा हिन्दुस्तान देख चुका है । कुमार विश्वास के डर की वजह भी यही लगता है. पर सच क्या है यह तो कुमार विश्वास ही जानते हैं मगर धरती की बेचैनी को बादल जान जाता है, मगर कुमार विश्वास की बेचैनी को फिलहाल आप के शिखर नेता भी नहीं जानते,क्योंकि इनकी सलाह पर यदि दिल्ली पुलिस और महिला आयोग को धकिया कर जिस तेजी से भागे है, तो अब उतने ही आराम के साथ इंडिया रिटर्न होना नामुमकिन हो गया है.। यानी आप शिखर पुरूषों ने इस कदर एक ही वार में कॉरपेटी महाकवि को कारपेट लायक भी नहीं रहने दिया। धन्य है पोलटिक्स और धन्य है कुमार विश्वास जो पहले ही खेप में पागल से हो गए।
अनामी शरण बबल के साथ रिद्धि सिन्हा नुपूर