पत्रकारितामें घटनाओं का लिखित रूप में वर्णन करने के लिये बहुत सी शैलियों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें "पत्रकारिता शैलियाँ"कहते हैं।समाचार पत्रोंऔर पत्र-पत्रिकाओं में प्रायः विशेषज्ञ पत्रकारों द्वारा लिखे गए विचारशील लेख प्रकाशित होते है जिसे "फीचर कहानी" (रूपक) का नाम दिया गया है। फीचर लेख ज़्यादातर लम्बे प्रकार के लेख होते है जहाँ सीधे समाचार सूचना से अधिक शैली पर ध्यान दिया जाता है। अधिकतर लेख तस्वीर, चित्र या अन्य प्रकार के "कला"के साथ संयुक्त किये जाते हैं। कभी-कभी ये मुद्रण प्रभाव या रंगो से भी प्रकशित किये जाते है।
एक पत्रकारके लिए रूपक (फीचर स्टोरी) की लिखाई अन्य सीधे समाचार सूचना की लिखाई से कई ज़्यादा श्रमसाध्य हो सकती है। एक तरफ जहां उन पर कहानीके तथ्यों को सही रूप से इकट्ठा और प्रस्तुत करने का भार हैं वही दूसरी तरफ कहानी को पेश करने के लिये एक रचनात्मक और दिलचस्प तरीका खोजने का दबाव है। लीड (या कहानी के पहले दो अनुछेद) पाठक का ध्यान खींचने और लेख के विचारो को यथार्थ रूप से प्रकट करने में सक्षम होना चाहिए।
२० वी सदी के अंतिम छमाही से सीधे समाचार रिपोर्टिंग और फीचर लेखन के बीच की रेखा धुंधली हो गई हैं। पत्रकारों और प्रकाशनों आज अलग-अलग दृष्टिकोण के साथ लेखन पर प्रयोजन कर रहे है। टॉम वोल्फ, गे टलेस, हंटर एस. थॉम्पसन आदि इन उदाहरणों मे से कुछ है। शहरी और वैकल्पिक साप्ताहिक समाचार पत्रों इस विशिष्टता को और भी धुंधला कर रहे है। कई पत्रिकाओं में सीधी खबर से ज्यादा फीचर लेख पाए जाते है।
कुछ टेलीविज़नसमाचार प्रदर्शनों ने वैकल्पिक स्वरूपों के साथ प्रयोग किया, और इस वजह से कई टेलीविज़न प्रदर्शनों को पत्रकारिता के मानकों के अनुसार न होने के वजह से समाचार प्रदर्शन नहीं माना गया।
एक पत्रकारके लिए रूपक (फीचर स्टोरी) की लिखाई अन्य सीधे समाचार सूचना की लिखाई से कई ज़्यादा श्रमसाध्य हो सकती है। एक तरफ जहां उन पर कहानीके तथ्यों को सही रूप से इकट्ठा और प्रस्तुत करने का भार हैं वही दूसरी तरफ कहानी को पेश करने के लिये एक रचनात्मक और दिलचस्प तरीका खोजने का दबाव है। लीड (या कहानी के पहले दो अनुछेद) पाठक का ध्यान खींचने और लेख के विचारो को यथार्थ रूप से प्रकट करने में सक्षम होना चाहिए।
२० वी सदी के अंतिम छमाही से सीधे समाचार रिपोर्टिंग और फीचर लेखन के बीच की रेखा धुंधली हो गई हैं। पत्रकारों और प्रकाशनों आज अलग-अलग दृष्टिकोण के साथ लेखन पर प्रयोजन कर रहे है। टॉम वोल्फ, गे टलेस, हंटर एस. थॉम्पसन आदि इन उदाहरणों मे से कुछ है। शहरी और वैकल्पिक साप्ताहिक समाचार पत्रों इस विशिष्टता को और भी धुंधला कर रहे है। कई पत्रिकाओं में सीधी खबर से ज्यादा फीचर लेख पाए जाते है।
कुछ टेलीविज़नसमाचार प्रदर्शनों ने वैकल्पिक स्वरूपों के साथ प्रयोग किया, और इस वजह से कई टेलीविज़न प्रदर्शनों को पत्रकारिता के मानकों के अनुसार न होने के वजह से समाचार प्रदर्शन नहीं माना गया।
अनुक्रम
एम्बुश पत्रकारिता
धात सम्पादककला को अक्रमक रूप से सम्पादको द्वारा कार्याकुशल केइअ (KIA) जाथा है इन लोगो मे लिके जो सामान्या रूप से सम्पादाको से साम्ना नहि करथे पर इस्के समर्थन मे ये केह्ते थे कि ये एक मात्रा उपया है और अफ्सर है विश्यु पर तिपन्नि देना और उन्पर जान्छ करना। इस काला को सम्पादको द्वारा तेज़निन्दा मिल्थि थि क्युन्कि उन्का मानना था कि ये अनाइतिक और सान्सानिकेगेज़ है। इस क्ला के पथ प्रदर्शक है मिके वाल्लचे (Mike Wallace) जो इस्को ६० मिन्तो (minutes) पे येह धात कला का प्रादर्शन कर्थे थे। उस्के बाद अन्य सम्पादको द्वरा बि इस कला का प्रादर्शन किया जाथा था ओ'रिलेय फाच्तोर् (O'Riley factor) कार्यक्राम मे जिन्के निर्देशक है गेरल्द रिवेरा (Gerald Rivera) और अन्य T.V सम्पाद्को द्वरा जान्छ मै इस्को सम्पादाको द्वारा उस अयाक्ति को किसि तराह सुन पाना छाहे वोह माध्य्म शारिरिक अघात को स्म्पादक द्वरा दिखाया जाता तब तक कि निरन्तर उत्तर ना मिले।सेलिब्रिटी पत्रकारिता
सेलिब्रिटी पत्रकारिता, पत्रकारिताकी वो शैलि है जो २०वी सदी से प्रमुखता मे आयी। इसे लोग पत्रकारिताभी काहा जाता है। यह लोगो के निजी जीवन पर केंद्रित है, मुख्य रूप से हस्तियो, फिल्मऔर रंगमंच अभिनेता, संगीतकलाकार, माँडल और फोटोग्राफर, मनोरंजन उध्योग मे अन्य उल्लेखनीय लोग और राजनेताओं जो सुर्खियों में रहना चाहते हैं । अखबार गपशप स्तंभकार और गपशप पत्रकाओ के प्रांत बार,सेलिब्रिटी पत्रकारिता, राष्ट्रीय एनक्वायर तरह राष्ट्रीय अखबार समाचार पत्रो का ध्यान केंद्रित हो गया है। पीपल और यू एस वीकली जैसे पत्रकाओ, सिंडिकेटेड टेलीविजन नाटको जैसे - एनटरटेनमेंन्ट टूनाईट, इनसाईड एडीशण, दी इनसाईडर, एक्सेस हॉलीवुड और अतिरित्त केबल नेटवकर्स जैसे कि ई, ए एन्द ई नेटवर्क और जीवनी चैनल और हज़ारों वेबसाईटो के कई अन्य टीवी प्रस्तुतियो। अधिकांश अन्य समाचार मीडिया हस्तियो और लोगो मे से कुछ कवरेज प्रदान करते है। हाल के वर्षो मे, मीडिया यह हस्तियो पर रिपोर्ट के रूप मे बहुत ही रास्ते मे विभिन्न शाही परीवारो के सदस्यो को सूचना दी गई है अभिनेताओ या नेताओ के रूप मे हालाकि एक ही हमेशा नही। रॉयल्टी का समाचार कवरेज शाही परिवारो के सदस्यो के जीवन की झलक पर अधिक केंद्रित किया गया। सूत्रो का कहना है कि रॉयल्टी पर इस तरह की रिपोर्ट है जैसे - दी टेलीग्राफ, दी डेली मेल और प्रकाशनो जो रॉयल्टी पर विशेष रूप से रिपोर्ट करते है जैसे कि रॉयल सेंट्रल। सेलिब्रिटी पत्रकारिता, फीचर लेखन से अलग है, इसमे उन लोगो पर केंद्रित करता है जो पहले से ही मशहूर है या विशेष रूप से आकर्षक है और ज़्यादातर उन पीढी हस्तियो को शामिल करते है जो अनैतिक व्यवहार का उपयोग करने मे अक्सर कवरेज प्रदान करते है। पापाराज़ी, संभावित शर्मनाक तस्वीरे प्राप्त करने के लिए लगातार हस्तियो का पालन करे जो फोटोग्राफर, सेलिब्रिटी पत्रकारिता चिहित करने के लिए आए है।कन्वर्जेंस पत्रकारिता
यह पत्रकारिता का एक उभरता प्रकार है। कन्वर्जेन्स पत्रकारिताप्रिंट, फोटो और वीडियो जैसे विभिन्न रूपों के पत्रकारिताओं को एक भाग में जोड़ता है।गोंजो पत्रकारिता
Independence Seaport Museum 224
खोजी पत्रकारिता
खोजी पत्रकारिता जानकारी का एक प्राथमिक स्रोत है।[1][2][3]धात सम्पादक कला को अक्रमक रूप से सम्पादको द्वारा कार्याकुशल केइअ (KIA) जाथा है इन लोगो मे लिके जो सामान्या रूप से सम्पादाको से साम्ना नहि करथे पर इस्के समर्थन मे ये केह्ते थे कि ये एक मात्रा उपया है और अफ्सर है विश्यु पर तिपन्नि देना और उन्पर जान्छ करना। इस काला को सम्पादको द्वारा तेज़ निन्दा मिल्थि थि क्युन्कि उन्का मानना था कि ये अनाइतिक और सान्सानिकेगेज़ है। इस क्ला के पथ प्रदर्शक है मिके वाल्लचे (Mike Wallace) जो इस्को ६० मिन्तो (minutes) पे येह धात कला का प्रादर्शन कर्थे थे। उस्के बाद अन्य सम्पादको द्वरा बि इस कला का प्रादर्शन किया जाथा था ओ'रिलेय फाच्तोर् (O'Riley factor) कार्यक्राम मे जिन्के निर्देशक है गेरल्द रिवेरा (Gerald Rivera) और अन्य T.V सम्पाद्को द्वरा जान्छ मै इस्को सम्पादाको द्वारा उस अयाक्ति को किसि तराह सुन पाना छाहे वोह माध्य्म शारिरिक अघात को स्म्पादक द्वरा दिखाया जाता तब तक कि निरन्तर उत्तर ना मिले।नई पत्रकारिता
नइ पत्रकारिता: १९६० और १९७०'स के लिख्ने के तरीके को नइ पत्रकारिता कहा गया है। तोम वोल्फे (Tom Wolfe) ने इस्का नाम्करन किया था १९७३ मे।कइ तरिके है जैसे, सहिथ्यक शिक्शन, आप्सि बाथ छीथ, अप्ने कुद के विछार और हर दिन कि हर एक जानकरि,या फिर लोगो का काहानिया बनाना, लोगो को अप्नि कहानि बथाना, यहा सब हि नइ पत्रकारिता के अन्छ है।शुरु मे ये थोदा अव्यारिक लग्ता है पर नइ पत्रकारिता रिपोर्टिंग (reporting) के सारे नियमो का पाल्न कर्थे हुऐ सहि जान्करि देथा हे और लेकक हमारे प्रमुकिय जान्कार्क होथे है। किर्दार कि बाथ जाने के लिये पत्रकार उन्से तरह-तरह कि बाथे पुछ्थे हे, जैसे वे कैसे मेहसूस कर रहे है, वे क्या सोछ रहे है, इथ्यादि। अप्ने नैइ सोछ के कार्न नइ पत्रकारिता हर छिज़ को अप्ने अन्दर समेथे हुए पुरानि नियमो को थोद्थे हुए आगे बद्था है और इस तरह् कि पत्रकरिता को ह्म लेखन, या किताब लेखन के इस्थमाल कर्थे है। वोल्फे(Wolfe) का मन्ना है कि कइ ऐसे लेखक है जिन्के कार्य को नइ पत्रकारिता के अन्दर माना गया है, जैसे कि, नोर्मन मिल्लेर(Norman Mailer), हुन्तेर स थोम्प्सोन (Hunter S Thompson), जोअन दिदिओन (Joan Didion), त्रुमन चपोते (Truman Capote) , गेओर्गे प्लिम्प्तोन (George Plimpton) और गय तलेसे (Gay Talese)
विज्ञान पत्रकारिता
विज्ञानपत्रकारों को विस्तृत, तकनीकी और कभी कभी शब्दजाल से लड़ी जानकरी को दिलचस्प रिपोर्ट में बदलकर समाचार मीडियाके उपभोगताओं की समझ के आधार पर प्रस्तुत करना होता है।वैज्ञानिक पत्रकारों को यह निश्चय करना होगा कि किस वैज्ञानिक घटनाक्रम में विस्तृत सुचना की योग्यता है। साथ ही वैज्ञानिक समुदाय के भीतर होने वाले विवादों को बिना पक्षपात किये और तथ्यों के साथ पेश करना चाहिए।[4]विज्ञान पत्रकारिता को भूमंडलीय ऊष्मीकरण (ग्लोबल वॉर्मिंग)[5]जैसे विषयों पर वैज्ञानिक समुदाय के भीतरी मतबेधो को अतिश्योक्तिपूर्ण ढंग से पेश करने के लिए आलोचित किया गया है।
खेल पत्रकारिता
Pascal vs Hopkins 5437