Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

विश्व हिन्दी सम्मेलन, नागपुर से भोपाल



प्रस्तुति- अमन कुमार

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
आठवें विश्व हिन्दी सम्मेलन का प्रतीक चिह्न
विश्व हिन्दी सम्मेलनहिन्दीभाषा का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें विश्व भर से हिन्दी विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार, भाषा विज्ञानी, विषय विशेषज्ञ तथा हिन्दी प्रेमी जुटते हैं। पिछले कई वर्षोँ से यह प्रत्येक चौथे वर्ष आयोजित किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतकी राष्ट्रभाषाके प्रति जागरुकता पैदा करने, समय-समय पर हिन्दी की विकास यात्रा का आकलन करने, लेखक व पाठक दोनों के स्तर पर हिन्दी साहित्यके प्रति सरोकारों को और दृढ़ करने, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने तथा हिन्दी के प्रति प्रवासी भारतीयों के भावुकतापूर्ण व महत्त्वपूर्ण रिश्तों को और अधिक गहराई व मान्यता प्रदान करने के उद्देश्य से १९७५ में विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शृंखला शुरू हुई। इस बारे में पूर्व प्रधानमन्त्री स्व० श्रीमती इन्दिरा गान्धीने पहल की थी। पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धाके सहयोग से नागपुरमें सम्पन्न हुआ जिसमें विनोबाजीने अपना बेबाक सन्देश भेजा।
तब से अब तक आठ विश्व हिन्दी सम्मेलन और हो चुके हैं- मारीशस, नई दिल्ली, पुन: मारीशस, त्रिनिडाड व टोबेगो, लन्दन, सूरीनामऔर न्यूयार्कमें। नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन २२ से २४ सितम्बर २०१२ तक जोहांसबर्गमें हुआ। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए अब समुचित और समयबद्ध कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं, अब हर तीन साल पर विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा और इसका अगला आयोजन नई दिल्ली में होगा।

अनुक्रम

इतिहास

विश्व हिन्दी सम्मेलन शृंखलाएँ
क्रमतिथिनगरदेश
१०-१४ जनवरी १९७५नागपुरImage may be NSFW.
Clik here to view.
Flag of India.svg
 
भारत
२८-३० अगस्त १९७६पोर्ट लुईImage may be NSFW.
Clik here to view.
Flag of Mauritius.svg
 
मारीशस
२८-३० अक्टूबर १९८३नई दिल्लीImage may be NSFW.
Clik here to view.
Flag of India.svg
 
भारत
२-४ दिसम्बर १९९३पोर्ट लुईImage may be NSFW.
Clik here to view.
Flag of Mauritius.svg
 
मारीशस
४-८ अप्रैल १९९६त्रिनिडाड-टोबेगोImage may be NSFW.
Clik here to view.
Flag of Trinidad and Tobago.svg
 
त्रिनिदाद और टोबैगो
१४-१८ सितम्बर १९९९लंदनImage may be NSFW.
Clik here to view.
Flag of the United Kingdom.svg
 
संयुक्त राजशाही
५-९ जून २००३पारामरिबोImage may be NSFW.
Clik here to view.
Flag of Suriname.svg
 
सूरीनाम
१३-१५ जुलाई २००७न्यूयार्कImage may be NSFW.
Clik here to view.
Flag of the United States.svg
 
संयुक्त राज्य अमेरिका
२२-२४ सितम्बर २०१२जोहांसबर्गImage may be NSFW.
Clik here to view.
Flag of South Africa.svg
 
दक्षिण अफ्रीका
पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन१० जनवरी से १४ जनवरी १९७५तक नागपुरमें आयोजित किया गया। सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धाके तत्वावधान में हुआ। सम्मेलन से सम्बन्धित राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष महामहिम उपराष्ट्रपति श्री बी डी जत्तीथे। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अध्यक्ष श्री मधुकर राव चौधरीउस समय महाराष्ट्रके वित्त, नियोजन व अल्पबचत मन्त्री थे। पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन का बोधवाक्य था - वसुधैव कुटुम्बकम। सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे मॉरीशसके प्रधानमन्त्री श्री शिवसागर रामगुलाम, जिनकी अध्यक्षता में मॉरीशस से आये एक प्रतिनिधिमण्डल ने भी सम्मेलन में भाग लिया था। इस सम्मेलन में ३० देशों के कुल १२२ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।[1]सम्मेलन में पारित किये गये मन्तव्य थे-
१- संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया जाये।
२- वर्धा में विश्व हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना हो।
३- विश्व हिन्दी सम्मेलनों को स्थायित्व प्रदान करने के लिये अत्यन्त विचारपूर्वक एक योजना बनायी जाये।
दूसरे विश्व हिन्दी सम्मेलनका आयोजन मॉरीशस की धरती पर हुआ। मॉरीसस की राजधानी पोर्ट लुईमें २८ अगस्त से ३० अगस्त १९७६तक चले विश्व इस सम्मेलन के आयोजक राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष, मॉरीशस के प्रधानमन्त्री डॉ॰ सर शिवसागर रामगुलाम थे। सम्मेलन में भारत से तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मन्त्री डॉ॰ कर्ण सिंहके नेतृत्व में २३ सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने भाग लिया। भारतके अतिरिक्त सम्मेलन में १७ देशों के १८१ प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।[2]
तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलनका आयोजन भारत की राजधानी दिल्ली में २८ अक्टूबर से ३० अक्टूबर १९८३तक किया गया। सम्मेलन के लिये बनी राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष डॉ॰ बलराम जाखड़थे। इसमें मॉरीशस से आये प्रतिनिधिमण्डल ने भी हिस्सा लिया जिसके नेता थे श्री हरीश बुधू। सम्मेलन के आयोजन में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने प्रमुख भूमिका निभायी। सम्मेलन में कुल ६,५६६ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिनमें विदेशों से आये २६० प्रतिनिधि भी शामिल थे।[3]हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवियत्री सुश्री महादेवी वर्मासमापन समारोह की मुख्य अतिथि थीं। इस अवसर पर उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था - "भारत के सरकारी कार्यालयों में हिन्दी के कामकाज की स्थिति उस रथजैसी है जिसमें घोड़े आगे की बजाय पीछे जोत दिये गये हों।"
चौथे विश्व हिन्दी सम्मेलनका आयोजन २ दिसम्बर से ४ दिसम्बर १९९३तक मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में आयोजित किया गया। १७ साल बाद मॉरीशस में एक बार फिर विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा था। इस बार के आयोजन का उत्तरदायित्व मॉरीशस के कला, संस्कृति, अवकाश एवं सुधार संस्थान मन्त्री श्री मुक्तेश्वर चुनी ने सम्हाला था। उन्हें राष्ट्रीय आयोजन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसमें भारत से गये प्रतिनिधिमण्डल के नेता थे श्री मधुकर राव चौधरी। भारत के तत्कालीन गृह राज्यमन्त्री श्री रामलाल राही प्रतिनिधिम्ण्डल के उपनेता थे। सम्मेलन में मॉरीशस के अतिरिक्त लगभग २०० विदेशी प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।[4]
पाँचवें विश्व हिन्दी सम्मेलनका आयोजन हुआ त्रिनिदाद एवं टोबेगोकी राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेनमें। तिथियाँ थीं - ४ अप्रैल से ८ अप्रैल १९९६और आयोजक संस्था थी त्रिनीदाद की हिन्दी निधि। सम्मेलन के प्रमुख संयोजक थे हिन्दी निधि के अध्यक्ष श्री चंका सीताराम। भारत की ओर से इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमण्डल के नेता अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री माता प्रसादथे। सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था- प्रवासी भारतीय और हिन्दी। जिन अन्य विषयों पर इसमें ध्यान केन्द्रित किया गया, वे थे - हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास, कैरेबियाई द्वीपों में हिन्दी की स्थिति एवं कप्यूटर युग में हिन्दी की उपादेयता। सम्मेलन में भारत से १७ सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने हिस्सा लिया। अन्य देशों के २५७ प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए।[5]
छठा विश्व हिन्दी सम्मेलनलन्दन में १४ सितम्बर से १८ सितम्बर १९९९तक आयोजित किया गया। यू०के० हिन्दी समिति, गीतांजलि बहुभाषी समुदाय और बर्मिंघम भारतीय भाषा संगम, यॉर्क ने मिलजुल कर इसके लिये राष्ट्रीय आयोजन समिति का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष थे डॉ॰ कृष्ण कुमार और संयोजक डॉ॰ पद्मेश गुप्त। सम्मेलन का केंद्रीय विषय था - हिन्दी और भावी पीढ़ी। सम्मेलन में विदेश राज्यमन्त्री श्रीमती वसुंधरा राजेके नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमण्डल ने भाग लिया। प्रतिनिधिमण्डल के उपनेता थे प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ॰ विद्यानिवास मिश्र। इस सम्मेलन का ऐतिहासिक महत्त्व इसलिए है क्योंकि यह हिन्दी को राजभाषा बनाये जाने के ५०वें वर्ष में आयोजित किया गया। यही वर्ष सन्त कबीरकी छठी जन्मशती का भी था। सम्मेलन में २१ देशों के ७०० प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें भारत से ३५० और ब्रिटेन से २५० प्रतिनिधि शामिल थे।[6]
सातवें विश्व हिन्दी सम्मेलनका आयोजन हुआ सुदूर सूरीनामकी राजधानी पारामारिबोमें। तिथियाँ थीं - ५ जून से ९ जून २००३। इक्कीसवीं सदी में आयोजित यह पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन था। सम्मेलन के आयोजक थे श्री जानकीप्रसाद सिंह और इसका केन्द्रीय विषय था - विश्व हिन्दी: नई शताब्दी की चुनौतियाँ। सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश राज्य मन्त्री श्री दिग्विजय सिंहने किया। सम्मेलन में भारत से २०० प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें १२ से अधिक देशों के हिन्दी विद्वान व अन्य हिन्दी सेवी सम्मिलित हुए। सम्मेलन का उद्घाटन ५ जून को हुआ था। यह भी एक संयोग ही था कि कुछ दशक पहले इसी दिन सूरीनामी नदी के तट पर भारतवंशियों ने पहला कदम रखा था।[7]
आठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन१३ जुलाई से १५ जुलाई २००७तक संयुक्त राज्य अमेरिकाकी राजधानी न्यू यॉर्कमें हुआ। इस सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था - विश्व मंच पर हिन्दी। इसका आयोजन भारत सरकार के विदेश मन्त्रालय द्वारा किया गया। न्यूयॉर्क में सम्मेलन के आयोजन से सम्बन्धित व्यवस्था अमेरिका की हिन्दी सेवी संस्थाओं के सहयोग से भारतीय विद्या भवनने की थी। इसके लिए एक विशेष जालस्थल (वेवसाइट) का निर्माण भी किया गया। इसे प्रभासाक्षी.कॉम के समूह सम्पादक बालेन्दु शर्मा दाधीचके नेतृत्व वाले प्रकोष्ठ ने विकसित किया है।
नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलनइसी वर्ष २२ सितम्बर से २४ सितम्बर २०१२ तक, दक्षिण अफ्रीकाके शहर जोहांसबर्गमें सोमवार को खत्म हो गया। इस सम्मेलन में २२ देशों के ६०० से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें लगभग ३०० भारतीय शामिल हुए। सम्मेलन में तीन दिन चले मंथन के बाद कुल १२ प्रस्ताव पारित किए गए और विरोध के बाद एक संशोधन भी किया गया।[8]
दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलनके आयोजन की घोषणा हो चुकी है। यह 10 से 12 सितंबर तक भोपालमें होगा। दसवें सम्मेलन का मुख्य कथ्य (थीम) है - 'हिन्दी जगत : विस्तार एवं सम्भावनाएँ '।

विश्व हिंदी सम्मेलनों में पारित प्रस्ताव

प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन

  • संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया जाए।
  • वर्धा में विश्व हिंदी विद्यापीठ की स्थापना हो।
  • विश्व हिंदी सम्मेलनों को स्‍थायित्‍व प्रदान करने के लिए ठोस योजना बनाई जाए।

द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलन

  • मॉरीशस में एक विश्व हिंदी केंद्र की स्थापना की जाए जो सारे विश्व में हिंदी की गतिविधियों का समन्वय कर सके।
  • एक अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी पत्रिका का प्रकाशन किया जाए जो भाषा के माध्यम से ऐसे समुचित वातावरण का निर्माण कर सके जिसमें मानव विश्‍व का नागरिक बना रहे और आध्यात्म की महान शक्ति एक नए समन्वित सामंजस्य का रूप धारण कर सके।
  • हिंदी को संयुक्‍त राष्ट्र् संघ में एक आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान मिले। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम बनाया जाए।

तृतीय विश्व हिंदी सम्मेलन

  • अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी के प्रचार-प्रसार की संभावनाओं का पता लगा कर इसके लिए गहन प्रयास किए जाएं।
  • हिंदी के विश्वव्यापी स्वरूप को विकसित करने के‍ लिए विश्‍व हिंदी विद्यापीठ स्थापित करने की योजना को मूर्त रूप दिया जाए।
  • विगत दो सम्मेलनों में पारित संकल्पों की संपुष्टि करते हुए यह निर्णय लिया गया कि अंतरराष्‍ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी के विकास और उन्नयन के लिए अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर एक स्‍थायी समिति का गठन किया जाए। इस समिति में देश-विदेश के लगभग 25 व्‍यक्ति सदस्य हों।

चतुर्थ विश्व हिंदी सम्मेलन

  • विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस में स्थापित किया जाए।
  • भारत में अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए।
  • विभिन्न विश्वविद्यालयों में हिंदी पीठ खोले जाएं।
  • भारत सरकार विदेशों से प्रकाशित दैनिक समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, पुस्तकें प्रकाशित करने में सक्रिय सहयोग करे।
  • हिंदी को विश्व मंच पर उचित स्थान दिलाने में शासन और जन-समुदाय विशेष प्रयत्न करे।
  • विश्व के समस्त हिंदी प्रेमी अपने निजी एवं सार्वजनिक कार्यों में हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करें और संकल्प लें कि वे कम से कम अपने हस्ताक्षरों, निमंत्रण पत्रों, निजी पत्रों और नामपट्टों में हिंदी का प्रयोग करेंगे।
  • सम्मेलन के सभी प्रतिनिधि अपने-अपने देशों की सरकारों से संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए समर्थन प्राप्त करने का सार्थक प्रयास करेंगे।
  • चतुर्थ विश्व हिंदी सम्मेलन (दिसम्बर-1993) के बाद विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना मॉरीशस में हुई

पांचवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन

  • विश्व व्यापी भारतवंशी समाज हिंदी को अपनी संपर्क भाषा के रूप में स्थापित करेगा।
  • मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना के लिए भारत में एक अं‍तर-सरकारी समिति बनाई जाए।
  • सभी देशों, विशेषकर जिन देशों में अप्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में हैं, उनकी सरकारें अपने-अपने देशों में हिंदी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था करें। उन देशों की सरकारों से आग्रह किया जाए कि वे हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने के लिए राजनीतिक योगदान और समर्थन दें।

छठा विश्व हिंदी सम्मेलन

  • विश्व भर में हिंदी के अध्ययन-अध्यापन, शोध, प्रचार-प्रसार और हिंदी सृजन में समन्वय के लिए महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय केंद्र सक्रिय भूमिका निभाए।
  • विदेशों में हिंदी के शिक्षण, पाठ्यक्रमों के निर्धारण, पाठ्य-पुस्तिकों के निर्माण, अध्यापकों के प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था भी विश्वविद्यालय करे और सुदूर शिक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
  • मॉरीशस सरकार अन्य हिंदी-प्रेमी सरकारों से परामर्श कर शीघ्र विश्व हिंदी सचिवालय स्थापित करे।
  • हिंदी को संयुक्त राष्ट्र में मान्यता दी जाए।
  • हिंदी को सूचना तकनीक के विकास, मानकीकरण, विज्ञान एवं तकनीकी लेखन, प्रसारण एवं संचार की अद्यतन तकनीक के विकास के लिए भारत सरकार एक केंद्रीय एजेंसी स्थापित करे।
  • नई पीढ़ी में हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए आवश्यक पहल की जाए।
  • भारत सरकार विदेश स्थि‍त अपने दूतावासों को निर्देश दे कि वे भारतवंशियों की सहायता से विद्यालयों में एक भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण की व्यवस्था करवाएँ।

सातवाँ विश्व‍ हिंदी सम्मेलन

  • संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाया जाए।
  • विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी पीठ की स्थापना हो।
  • भारतीय मूल के लोगों के बीच हिंदी के प्रयोग के प्रभावी उपाय किए जाएं।
  • हिंदी के प्रचार हेतु वेबसाइट की स्थापना और सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग हो।
  • हिंदी विद्वानों की विश्व-निर्देशिका का प्रकाशन किया जाए।
  • विश्व हिंदी दिवस का आयोजन हो।
  • कैरेबियन हिंदी परिषद की स्थापना हो।
  • दक्षिण भारत के विश्व विद्यालयों में हिंदी विभाग की स्थापना हो।
  • हिंदी पाठ्यक्रम में विदेशी हिंदी लेखकों की रचनाओं को शामिल किया जाए।
  • सूरीनाम में हिंदी शिक्षण की व्यवस्था की जाए।

आठवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन

  • विदेशों में हिंदी शिक्षण और देवनागरी लिपि को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से दूसरी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण के लिए एक मानक पाठ्यक्रम बनाया जाए तथा हिंदी के शिक्षकों को मान्यता प्रदान करने की व्यवस्था की जाए।
  • विश्व हिंदी सचिवालय के कामकाज को सक्रिय करने एवं उद्देश्य परक बनाने के लिए सचिवालय को भारत तथा मॉरीशस सरकार सभी प्रकार की प्रशासनिक एवं आर्थिक सहायता प्रदान करें और दिल्ली सहित विश्व के चार-पाँच अन्य देशों में इस सचिवालय के क्षेत्रीय कार्यालय खोलने पर विचार किया जाए। सम्मेलन सचिवालय यह आह्वान करता है कि हिंदी भाषा को लोकप्रिय बनाने के लिए विश्व मंच पर हिंदी वेबसाइट बनाई जाए।
  • हिंदी में ज्ञान-विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी विषयों पर सरल एवं उपयोगी हिंदी पुस्तकों के सृजन को प्रोत्साहित किया जाए। हिंदी में सूचना प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने के प्रभावी उपाय किए जाएं। एक सर्वमान्य‍ व सर्वत्र उपलब्ध यूनिकोड को विकसित व सर्वसुलभ बनाया जाए।
  • विदेशों में जिन विश्वविद्यालयों तथा स्कूलों में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन होता है उनका एक डेटाबेस बनाया जाए और हिंदी अध्यापकों की एक सूची भी तैयार की जाए।
  • यह सम्मेलन विश्व के सभी हिंदी प्रेमियों और विशेष रूप से प्रवासी भारतीयों तथा विदेशों में कार्यरत भारतीय राष्ट्रिकों से भी अनुरोध करता है कि वे विदेशों में हिंदी भाषा, साहित्य के प्रचार-प्रसार में योगदान करें।
  • वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में विदेशी हिंदी विद्वानों के अनुसंधान के लिए शोधवृत्ति की व्यवस्था की जाए।
  • केंद्रीय हिंदी संस्थान भी विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार व पाठ्यक्रमों के निर्माण में अपना सक्रिय सहयोग दे।
  • विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी पीठ की स्थापना पर विचार-विमर्श किया जाए।
  • हिंदी को साहित्य‍ के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान और वाणिज्य की भाषा बनाया जाए।
  • भारत द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर आयोजित की जाने वाली संगोष्ठियों व सम्मेलनों में हिंदी को प्रोत्साहित किया जाए।

नौवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन

22 से 24 सितम्‍बर 2012 को दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 9वें विश्‍व हिंदी सम्‍मेलन ने, जिसमें विश्‍वभर के हिंदी विद्वानों, साहित्‍यकारों और हिंदी प्रेमियों आदि ने भाग लिया, रेखांकित किया कि:
  • हिंदी के बढ़ते हुए वैश्‍वीकरण के मूल में गांधी जी की भाषा दृष्टि का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है।
  • मॉरीशस में विश्‍व हिंदी सचिवालय की स्‍थापना की संकल्‍पना प्रथम विश्‍व हिंदी सम्‍मेलन के दौरान की गई थी। यह सम्‍मेलन इस सचिवालय की स्‍थापना के लिए भारत और मॉरीशस की सरकारों द्वारा किए गए अथक प्रयासों एवं समर्थन की सराहना करता है।
  • महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय भी विश्‍व हिंदी सम्‍मेलनों में पारित संकल्‍पों का ही परिणाम है। यह विश्‍वविद्यालय हिंदी के प्रचार-प्रसार और उपयुक्‍त आधुनिक शिक्षण उपकरण विकसित करने में सराहनीय कार्य कर रहा है।
  • सम्‍मेलन केंद्रीय हिंदी संस्‍थानकी भी सराहना करता है कि वह उपयुक्‍त पाठ्यक्रम और कक्षाओं का संचालन करके विदेशियों और देश के गैर हिंदी भाषी क्षेत्र के लोगों के बीच हिंन्दी का प्रचार-प्रसार कर रहा है।

संदर्भ



  • "जब साथ आए दो प्रधानमन्त्री" (एचटीएम). विश्व हिन्दी. अभिगमन तिथि: २००७.

  • "मॉरीशस के प्रधानमन्त्री थे आयोजक" (एचटीएम). विश्व हिन्दी. अभिगमन तिथि: २००७.

  • "इन्दिराजी का वह ओजस्वी भाषण" (एचटीएम). विश्व हिन्दी. अभिगमन तिथि: २००७.

  • "विश्व हिन्दी सम्मेलन फिर लौटा मॉरीशस" (एचटीएम). विश्व हिन्दी. अभिगमन तिथि: २००७.

  • "सुदूर त्रिनीदाद में प्रवासी भारतीयों के बीच" (एचटीएम). विश्व हिन्दी. अभिगमन तिथि: २००७.

  • "यादगार हुई हिन्दी को राजभाषा बनाये जाने की स्वर्ण जयन्ती" (एचटीएम). विश्व हिन्दी. अभिगमन तिथि: २००७.

  • "इक्कीसवीं सदी का पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन" (एचटीएम). विश्व हिन्दी. अभिगमन तिथि: २००७.

    1. "विश्व हिन्दी सम्मेलन : संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी के लिए अब समयबद्ध कार्रवाई" (एचटीएम). मेरीखबर.कॉम. अभिगमन तिथि: २०१२.

    इन्हें भी देखें

    बाहरी कड़ियाँ


    Viewing all articles
    Browse latest Browse all 3437

    Trending Articles



    <script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>