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(सहारा के मरुस्थल में रहने वाली एक जनजाति की महिलाएं)
प्रस्तुति-- दर्शनलाल
प्रस्तुति-- दर्शनलाल
एक फोटोग्राफर ने अफ्रीकी देश नाइजर के सहारा मरुस्थल में रहने वाली अनोखी जनजाति की ताजा फोटोज जारी किए हैं। ये जनजाति है तो इस्लामिक, लेकिन इनके रिवाज और तौर-तरीके बाकी दुनिया से बिल्कुल अलग हैं। यहां महिलाओं को शादी के बाद भी गैर मर्दों से सेक्शुअल संबंध रखने की आजादी होती है। महिलाएं आमतौर पर बुर्का भी नहीं पहनती और तलाक होने पर सारी संपत्ति खुद ही रख लेती हैं। कई सौ साल पुरानी इन जनजातियों को तुआरेग के नाम से जाना जाता है। एक आम समाज के उलट यहां महिलाएं ही ज्यादातर चीजें तय करती हैं यानी उन्हीं का दबदबा होता है। यहां तलाक के बाद लड़कियों को पेरेंट्स की ओर से पार्टी देने का भी चलन है।
इन जनजातियों के पुरुष कई बार चेहरा ढक के आते-जाते हैं। फोटोग्राफर हेनरीटा बटलर ने पहली बार इस जनजाति को 2001 में देखा था। उन्होंने इनके साथ कुछ वक्त बिताया और फोटोज क्लिक किए। इन क्षेत्रों में इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा के बढ़ते प्रभाव की वजह से कुछ रिपोर्टों में डर जाहिर किया गया है कि इन पर इस्लाम के परंपरागत रिवाजों को मानने के लिए दबाव बनाया जा सकता है।
यहां शादी से पहले भी महिलाएं जितने चाहें उतने ब्वॉयफ्रेंड रखती हैं। इस दौरान लड़के रातों में लड़कियों से मिलने भी जाते हैं, लेकिन घर के सदस्य ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे उन्हें कुछ मालूम ही नहीं।
फोटोग्राफर बटलर का कहना है कि इस जनजाति के लोग काफी विनम्र होते हैं और हर काम पूरी चतुराई के साथ करते हैं। यहां की लड़कियां आमतौर पर 20 साल से कम उम्र में शादी नहीं करतीं।