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डॉ. कठेरिया के नेतृत्व में महिला फेसबुक उपयोगकर्ता पर हिंदी विवि में हुआ शोध
फेसबुक उपयोग करने वाली 47 प्रतिशत प्रतिभागी फेसबुक के नियम, कानून से परिचित हैं
34 प्रतिशत प्रतिभागी फेसबुक का उपयोग सामाजिक सरोकार के लिए करती हैं
55 प्रतिशत प्रतिभागी फेसबुक का उपयोग सूचना प्राप्त करने के लिए करती हैं
मित्रों से चैट करने के लिए केवल 13 प्रतिशत ही इसका उपयोग करती हैं
युवतियां फेसबुक का उपयोग सामाजिक मुद्दों एवं महत्वपूर्ण विषयों के संदर्भ में अधिक करती हैं
विचारों के आदान-प्रदान के लिए फेसबुक को सशक्त माध्यम की संज्ञा दी गई है
फेसबुक अब फेस और बुक तक ही नहीं रह गया है बल्कि यह किसी भी व्‍यक्ति के चरित्र को चरितार्थ करता है। शोध में प्राप्‍त निष्‍कर्षों के अनुसार 80 प्रतिशत उपयोगकर्ता सामाजिक परिवर्तन के लिए फेसबुक  के योगदान को मानते हैं। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि वर्तमान समय में फेसबुक सामाजिक परिवर्तन का अंग है। यह माध्यम समाज में नई सोच और विचारों को जन्म दे रहा है। खासकर सामाजिक कुरूतियां, महिला उत्पीड़न आदि जैसे विषयों को खत्म करने में महत्वपूर्ण माध्यम बन रहा है। आज की महिला इस माध्यम से खुद को जागरूक और शक्तिशाली मान रही हैं। इस संदर्भ में फेसबुक उपयोगकर्ताओं के आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं। आज पुरुषों की अपेक्षा महिला उपयोगकर्ताओं की संख्यां तेजी से बढ़ रही है। उक्त आंकड़े महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. धरवेश कठेरिया के नेतृत्व में वर्धा शहर स्थित  हिंदी विवि में विषय-फेसबुक का उपयोग, दायित्व और सीमाएं पर हुए शोध से प्राप्त हुआ है।
आज के युग को सोशल मीडिया का युग कहा जाय तो गलत नहीं होगा। ऐसे में हर कोई सोशल मीडिया पर आना चाहता है। भारत में सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं में महिलाओं की संख्या पुरूषों की अपेक्षा बहुत कम है। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण शिक्षा भी है। कई महिलाएं तकनीकी रूप से दक्ष नही हैं तो कई सोशल साईट (फेसबुक, ट्वीटर) पर आने से डरती हैं। सोशल साईटों पर महिलाओं की भागीदारी, सामाजिक जिम्मेदारी और सोशल मीडिया का महिलाओं पर प्रभाव को शोध के केंद्र में रखा गया है। शोध में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा 20 प्रतिशत महिलाएं 1वर्ष से फेसबुक का उपयोग कर रही हैं। इससे साफ पता चलता है कि महिलाओं का प्रतिशत हाल के वर्षों में बढ़ा है। फेसबुक पर समय खर्च करने के मामले में 86 प्रतिशत आंकडे़ 1घंटा के आसपास प्राप्त होते हैं। तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि फेसबुक उपयोगकर्ता फेसबुक का सामान्य उपयोग कर रहे हैं। 47 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि वे फेसबुक संबंधी नियम व शर्तों से परिचित हैं। जबकि 15 प्रतिशत उपयोगकर्ता परिचित नहीं हैं। 34 प्रतिशत प्रतिभागी फेसबुक का उपयोग सामाजिक सरोकार के लिए करती हैं वहीं 21 प्रतिशत समय बीताने के लिए और 04 प्रतिशत व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के लिए फेसबुक का इस्तेमाल करती हैं।
फेसबुक की शुरूआत फरवरी 2004 में हुई थी। जिसने बहुत कम समय में युवाओं के बीच पहुंच बनाकर प्रसिद्धि पाई। भारत में फेसबुक उपयोगकर्ताओं के बीच स्त्री-पुरुष का अनुपात लगभग 75 और 25 का है। यह स्थिति तब है, जब भारत फेसबुक यूजर्स के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। महानगरों में फेसबुक की लोकप्रियता शीर्ष पर है। रिसर्च फर्म सोशल बेकर्स के मुताबिक महिला फेसबुक उपयोगकर्ताओं के मामले में भारत, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के साथ खड़ा है, जहां फेसबुक पर महिला-पुरूष अनुपात क्रमश: 78 और 22 का है। जबकि चीन (39 फीसदी), नेपाल (31 फीसदी), पाकिस्तान (30 फीसदी) और श्रीलंका (32 फीसदी), इंडोनेशिया (41 फीसदी) भी भारत से आगे है।
प्राप्त आंकड़ों के विशलेषण के आधार पर 48 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि फेसबुक सामाजिक मुद्दों पर जनमत बनाने में सक्षम है। आप फेसबुक का उपयोग क्यों करती हैं? के संदर्भ में 55 प्रतिशत मत सूचना प्राप्त करने के पक्ष में जाता है। 18 प्रतिशत मत मित्रों से चैट करने के लिए, 13 प्रतिशत मत विचारों के आदान-प्रदान हेतु एवं 14 प्रतिशत मत जनसंपर्क बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। फेसबुक माध्यम तथ्यों के आधार पर वर्तमान समय में सूचना प्राप्त करने का सबसे सशक्त माध्यम है। फेसबुक ने विचारों के आदान-प्रदान में क्रांति लाने का काम किया है? के संदर्भ में फेसबुक 51 प्रतिशत मतों के आधार पर विचारों के आदान-प्रदान में सशक्त भूमिका अदा कर रहा है। इसका मुख्य कारण है कि फेसबुक वाल के माध्यम से लोग एक-दूसरे के क्रांतिकारी विचारों से परिचित हो रहे हैं।

शोध का हवाला देते हुए डॉ. कठेरिया ने कहा कि वर्तमान समय में फेसबुक सूचना आदान-प्रदान के साथ-साथ अकेलापन का साथी भी है। फेसबुक करियर निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। फेसबुक जनसंपर्क माध्यम का सबसे बड़ा हथियार है। कोई भी व्यक्ति अगर इसका उपयोग सही दिशा के लिए करता है तो यह हितकर है नहीं तो इसके परिणाम समाज के लिए बिस्फोटक भी हो सकते हैं। महिलाओं को फेसबुक इस्तेमाल करते समय सचेत रहने की जरूरत है। आप अपने पहचान के लोगों से ही जुड़ें।
शोध संबंधी तथ्यों और आंकड़ों के संकलन के लिए सौ प्रश्‍नावली को आधार बनाया गया है। अध्ययन को स्वरूप देने के लिए शोध विषय-फेसबुक का उपयोग, दायित्व और सीमाएं के अध्ययन में वर्धा शहर में स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में उच्च शिक्षा से जुड़े देश के अलग-अलग प्रांतों से आए अध्ययनरत छात्राओं को शामिल किया गया है। इसमें मुख्य रूप से महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, और उत्तर भारत के अनेक शहरों से आए अध्ययनरत छात्राओं के मतों को आधार बनाया गया है।
67 प्रतिशत आंकड़े यह दर्शाते हैं कि फेसबुक सामाजिक मुद्दों से अवगत कराता है। 83 प्रतिशत लोगों का मानना है कि सामाजिक परिवर्तन के लिए फेसबुक का योगदान महत्वपूर्ण है। फेसबुक किताबों से दूर करता जा रहा है के संदर्भ में 54 प्रतिशत उत्तरदाता का मत है कि यह किताबों से दूर नहीं कर रहा है। आंकडे़ दर्शाते हैं कि आज की युवतियां अपने करियर और अध्ययन के प्रति सजग और ईमानदार हैं क्योंकि उसे अपने सपनों को साकार और मूर्त रूप देना है। फेसबुक के कारण आप अपने परिवार, मित्र, संबंधी से दूर हो रही हैं के उत्तर में 79 प्रतिशत आंकडे़ दर्शाते हैं कि फेसबुक परिवार, संबंधी और मित्रों से दूर नहीं करता है। आज की युवतियां फेसबुक का उपयोग परिवार और मित्रों के बीच में बहुत ही संतुलित कर रही हैं।
शोध अध्ययन में डॉ. कठेरिया के अलावा जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर, संदीप कुमार वर्मा, पीएच.डी. शोधार्थी, निरंजन कुमार, एमएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं एम.ए. जनसंचार के छात्र, अविनाश त्रिपाठी, पंकज कुमार, पूर्णिमा झा, पद्मा वर्मा एवं आईसीएसएसआर परियोजना के शोध सहायक, नीरज कुमार सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 40 प्रतिशत लोगों का मानना है कि फेसबुक व्यक्तिगत सोच को सामाजिक सोच में परिवर्तित करने में सक्षम है। आंकड़ों के अनुसार फेसबुक की लेखनी में मानहानी, अपमानसूचक 18, अश्‍लील विषयक 13, हिंसा और द्वेष उत्प्रेरक विषय 24 व किसी धर्म, जाति आदि के उपेक्षा के संदर्भ में 19 प्रतिशत मत प्राप्त होते हैं।

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