- 28 अगस्त 2014
ये "लव जिहाद"के माहौल में एक अनोखी प्रेम कहानी है जो आपको जीवन और मृत्यु दोनों के बारे में सोचने पर मजबूर कर देगी.
मैं इच्छा-मृत्यु पर स्टोरी करने के लिए घर से निकला था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में मेरी मुलाक़ात आइवी सिंह और उनकी मुंहबोली बेटी भूमिका से हुई.आइवी अपने ही घर में एक छोटा सा स्कूल चलाती हैं. बच्चों की चहल-पहल की आवाज़ दोपहर तक तो घर में गूंजती रहती है फिर एक चुप्पी सी छा जाती है. इस घर में एक ऐसा शख़्स भी रहता है जिनकी असाधारण कहानी, इच्छा-मृत्यु पर पहले से ही जटिल बहस को और उलझा देती है.
पढ़िए आनंद सिंह की पूरी कहानी
इस बेहद ख़ूबसूरत शख़्स का नाम आनंद सिंह है जो कि आइवी सिंह के पति हैं. आनंद सिंह की जवानी की तस्वीरें देखें तो किसी फ़िल्म स्टार से कम नहीं. लेकिन ये पच्चीस साल पहले की बात है.वे भारतीय नौसेना में कार्यरत थे, आइवी से शादी के कुछ महीने बाद छुट्टियों के लिए घर लौट रहे थे कि उनकी मोटरसाइकिल दुर्घटना का शिकार हो गई. मस्तिष्क में चोट लगी और उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया.
आइवी सिंह की कहानी
इन पच्चीस वर्षों में उनकी हर ज़रूरत आइवी सिंह ने पूरी की है. उनकी उम्र लगभग 48 साल है.शादी के समय उन्होंने जवानी में क़दम रखा ही था कि इस हादसे ने उनका जीवन भी हमेशा के लिए बदल दिया.
वे बताती हैं, "हम केवल छह-सात महीने ही साथ रहे. वह भी लगातार नहीं, क्योंकि आनंद की नौकरी ही ऐसी थी और फिर यह दुर्घटना हो गई. तब से मेरा जीवन आनंद की देखभाल में ही गुज़रा है."
(कीनियाई लड़का, भारतीय लड़की की प्रेम कहानी)
जिस कमरे में आनंद दिन-रात लेटे रहते हैं, वह किसी अस्पताल के कमरे से कम नहीं है. एक अलमारी दवाइयों से भरी हुई है और उसमें ज़रूरत का सारा सामान मौजूद है, इंजेक्शन की सिरिंज से लेकर 'नेबोलाइज़र'ट्यूब तक. आइवी खुद एक प्रशिक्षित नर्स से कम नहीं हैं.
आइवी सिंह के जीवन में कोई दूसरा व्यक्ति तो नहीं आया. वे कहती हैं, "बीमार कोई जानबूझकर तो होता नहीं, शायद यही मेरी तक़दीर थी, मेरे माता-पिता ने हमेशा ही सिखाया था कि जिससे शादी हो रही है उसके दुख और परेशानी में शामिल रहना."
लेकिन दस साल पहले उन्होंने एक बच्ची को गोद लेने का फ़ैसला किया.
भूमिका की कहानी
आइवी सिंह बताती हैं, ''भूमिका एक यतीमख़ाने में पल रही थी. मुझे बेटी चाहिए थी, मैं उसे घर ले आई.''भूमिका भी अब पूरी फुर्ती के साथ वह सारे काम करती है जो पच्चीस वर्षों से आइवी करती आई हैं. इस बच्ची ने अपने जीवन का रास्ता भी तय कर रखा है, बड़े होकर वह डॉक्टर बनना चाहती है.
मुश्किल सा सवाल
आइवी और नन्ही भूमिका ने आनंद को ज़िन्दा रखा है. "उन्हें कुछ दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा तो घर बिल्कुल सूना हो गया."(इच्छा मृत्यु पर कहां क्या है कानून?)
यह ज़िंदगी और मौत का सवाल है. ज़िंदगी कब जीने लायक़ नहीं रहती, इस जटिल सवाल का कोई आसान जवाब नहीं है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिककरें. आप हमें फ़ेसबुकऔर ट्विटरपर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
हत्या का आरोप लगाने वाली मान गई मोदी से
- 4 घंटे पहले