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नगर सुदंरियों से अपनी प्रेम कहानी -5

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रात में एक कॉलगर्ल के साथ रिक्शे पर सफर

अनामी शरण बबल

यह बात 1995 की है। तब मयूर विहार फेज-तीन आबाद नहीं हुआ था। इसके आबाद नहीं होने के कारण गाजीपुक डेयरी कोणडली दल्लूपुरा में भी दुकानों की चहल पहल नहीं थी। कहा जा सकता है कि आवगमन की सुविधा भी आज की तरह नहीं थी। शाम ढलते ही पूरा इलाका विरान सूनसन सा हो जाता थ। इसके बावजूद अपराध की घटनाएं ना के बराबर होती थी। कहा जा सकता है कि जब इलाका ही विरान हो जाए तो बेचारे चोर, बदमाश लुटेरे किस पर आजमाईश करते। राष्ट्रीय सहरा मे तमाम रिपोर्टरों को एक दिन नाईट यानी रात 12 बजे तक दफ्तर में रहकर क्राईम की खबरों को देखना होता था। उस समय मेरा नाईट किस दिन था यह तो मुझे अब याद नहीं पर रात में घर तक छोड़ने की व्यवस्ता होने के कारण खास चिंता नही होती थी। देर रात तक दफ्तर में रहकर सभी अखबारों में नाईट कर रहे रिपोर्टर दोस्तों से बात करने तथा पुलिस हेडक्र्वाटर में लगातार फोन घंटियाने का अलग मजा होता था। रात में केवल पत्रकारों को सूचना देने वाले तमाम इंस्पेक्टरों से भी मिले बिना ही हम पत्रकारों की गहरी याराना हो गयी थी। घटना वाले दिन गाड़ी चालक के घर पर कोई बहुत बड़ी आपात स्थिति थी। वो दफ्तर में ही बैठकर मयूर विहार फेज 3 तक मुझे ना छोड़कर गाजीपुर डेयरी वाले पुल एन एच-24 पर ही छोड़ देने का मनुहार कर रहा था। गरमी के दिन थे और इलाके से परिचित होने के नाते मैने भी हरी झंडी दे दी, और मैं पुल के पास साढे बारह बजे उतर गया। पुल से नीचे उतरते समय मैं मान कर चल रहा था कि करीब एक किलोमीटर मुझे गाजीपुर कल्याणपुरी मोड़ तक पैदल जाना है। उसके बाद की सवारी मिली तो ठीक नहीं तो बाबू चरण सिंह की कार तो है ही।  मानसिक तौर पर इसके लिए मैं तैयार भी था कि नीचे उतरते ही देखा कि एक पेड़ के नीचे थोड़ा अंधेरे में एक रिक्शा चालक रिक्शा के साथ बैठा है। रिक्शा देखते ही मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैं बस फटाफट पलक झपकते ही रिक्शे पर जा बैठा और फेज-3 चलने को कहा। मेरी बातों को नजर अंदाज करते हुए उसने कहा रिक्शा खाली नहीं है अभी सवारी आने वाली है। सवारी आने वाली है, सुनते ही मेरा माथा ठनका।  क्यों वो तेरी रोजाना की सवारी है।  इसका जवब देते उसका हलक सूख गया और हां और ना करने लगा। कितने दिनों से तेरी सवारी है यह तो बताना ?अब तक वो संभल चुका था और तन कर बोला मैं क्यों बताउं। इस पर मैं गुर्राया साले चल पुलिस से तेरी शिकायत करता हूं कि रात में यह रंड़ियों का दलाल है और उनकी सवारी करता है। मेरी गुर्राहट पर भी वो हल्के स्वर में भुनभुनाता रहा। चल आज देखता हूं तेरी अनारकली को भी साली रात में धंधा से निपटकर रिक्शा से घर जाती है। और तू तो दलाली के चक्कर मे जाएगा जेल। साले पुलिस वालों की कहीं एक बार हाथ लग गयी न तो महीने मे 15 दिन तक यह सिपाहियों को ही ठंडा करती घूमेगी। मेरी बातों से रिक्शा वाला शांत हो गया था। थोड़ी देर बाद फिर मैने फिर पूछा अभी और कितनी देर है उसके आने में। करीब एक बजने वाले थे।  रिकशा वाले ने कहा कि वो कभी भी आ सकती हैं रोजाना वो साढे बारह बजे तक तो आ जाती थी। तो यहां पर वो आती कैसे थी। इस पर रिख्शा वाले ने कहा पुल के उपर कोई कार उनको रोजाना छोडता है। यह सुनते ही मैं हंस पडा साले वो तेरे को उल्लू बनाती है। तू हरामखोर मूर्ख 50 रूपए मे ही खुश है कि इससे  तेरी कमाई हो जाती है, मगर तू भी उसके अपराध में शामिल है। साला जाएगा तू जेल । कितने दिनों से तेरे को उल्लू बना रही है। मेरी बातों का उस पर असर होने लग था। वो भीतर से घबराने लगा था। करीब दो साल से। मैने फिर डॉटा तूने कभी सोचा नहीं कि रात एक बजे आने वाली लौंड़िया कोई शरीफ तो हो नहीं सकती गदहा। देख लेना पुलिस वाले तो साले उसको अपनी रखैल बना लेंगे मगर जाएगा तू भीतर। हम दोनों अभी बातचीत मे लगे ही हुए थे कि रात की अनारकली सामने प्रकट हो गयी। मेरे उपर ध्यान न देते हुए वो रिक्शावले से पूछी क्या माजरा है । उसके आने पर वो थोडा सबल सा महसूसने लगा था । दो मिनट में मेरे एकाएक आगमन और हड़काने की जानकारी दी। मेरे उपर बेरूखी से बोली क्या हंगामा कर रहे हो। इस पर मैं हंस पड़ा हंगामा तू रोजाना करती है और मुझसे पूछती है कि मैं हंगामा कर रहा हूं। उसने कहा क्या मतलब। अभी चल पुलिस थाना सब पता चल जाएगा धंधा रंडी वाला और ताव पुलिस वाला मारती है।. जोर से चीखने लगी क्या बकवास करता है। वहीं तो मैं कह रहा हूं साले को दो साल से पटा रखी हो कि रात में तेरे को ले जाया करे और तेरा काम नाम किसी को भी पता नहीं लगा। वह मेरे से पूठी  तुम कौन हो। मैं कोई रंडा या दलाला नहीं हूं। पुलिस का मुखबिर हूं तेरी कारस्तानी का थाने में पोल खोली जाएगी। फौरन अपना तेवर ठंडा करते हुए बोली क्या मांगता है। मैं तुरंत बोला धंधा करने वाली मुझे क्या देगी, जो चंद रूपयौं को लिए हर जगह बीछ जाए। रिक्शा वाले की तरप ईशारा करते हुए मैने कहा अरे इस  मूरख को तो समझा देती कि यदि कोई सवारी बीच में आ जाए तो उसको ठीक से पटा ले ना कि तोते की तरह तेरे धंधे की कहानी बताने लगे। थोडा नरम पड़ती हुई बोली आपको क्या शिकायत है इससे या मुझसे। मेरी कोई शिकायत नहीं हो सकती, मैं तो मयूर विहारफेज 3 जाने के लिए पूछा तो बकने लग मेरी सवारी है मैं नहीं जा सकता। तो मैं बस तुम्हारा इंतजर कर रहा था कि एक ही साथ फेज-3 चलेंगे। वह तुरंत बोली यह कैसे हो सकता है। मैने कहा कि एक रिक्शे मे दो सवारी बैठ सकते है या तो एक साथ चलो या फिर मैं पहले जाता हूं फिर तेरा तोता  तो तेरे लिए आ ही जाएगा। पर अब इसको मूर्ख बनाना बंद करो रात को एक बजे 50 रूपे देती हो, और यह साला इसी में खुश कि रात में लौंडिया को लेकर जा रहा है। लौंडिया सुनते ही वह चीखी क्या बकते हो । मैंने तुरंत सॉरी कहा तुम ठीक कह रही हो ये लौंडिया नहीं रंडी को लेकर रात में घूमता है मूरख। साले को पकड़े जाने दो जीवन भर रहेगा भीतर। इस बार वो मेरे उपर चीखी क्या रंडा रंडी बक रहा है मैं अभी मजा चखाती हूं। मेरी शराफत का नाजायज फायदा उठा रहे हो। मैं हंसने लगा तू अभी इस लायक ही कहां है कि तेरा फायदा उठा सकू। अगर बात को तूल देनी है तो जहां तेरी मर्जी हो वहां चल और शराफत के साथ अपने धंधे पर पर्दा डाले रखना चाहती है तो मयूर विहर फेज 3 तक साथ साथ मुंह बंद करके चल। रिक्शा वाले को जो तुम दोगी उसमें 25 रूपए मैं भी शेयर कर दूंगा। मेरी बाते सुनकर वो रिक्शे पर बैठ गयी। जब मैं बैठने लगा तो सती सावित्री कुलवंती देवी की तरह मेरे को छिटकाते हुए बोली ठीक से बैठो ठीक से। इस पर मैं भी जोर से बोल पड़ा कि तेरे से चिपकने या चिपक कर बैठने का कोई इरादा या मूड नहीं है। बीच में मैं अपने बैग को रख डाला तो उसको बैठने मैं दिक्कत होने लगी होगी, तो बोली इसको हटाओ मैं नहीं बैठ पा रही हूं। तो मैं क्या करूं, ऐसा करो तुम नीचे बैठ जाओ केवल 15 मिनट की ही तो बात है। मेरी बाते सुनकर फिर वो चीखी बकवास बंद करेगा।  मैने तुरंत जोड़ा मैने तो सारी बकवास बंद कर रखी है, मगर इस बेचारे को छोड दे नहीं तो पुलिस तो तेरी आगे पीछे घूमने लगेगी, मगर इसका तो कोई नहीं है।  मैने फिर रिक्शे वाले को आगाह किया कि यही तेर को अब एक सौ रूपया भी रोजाना दे न तो भी इसका साथ छोड़ दे ,नहीं तो तेरे को भीतर मैं करवा दूंगा मूऱख। मैने उसे पूछा कहां का है रे। मेरी बात पर दबे स्वर में बोला दरभंगा का। यह सुनते ही मैने पांव से एक ठोकर उसको दे मारी । साला गदहा अपने साथ साथ बिहार का भी नाक कटाता है। ठोकर लगते ही उसने रिक्श रोकते हुए रोने लगा। तेरे को भी मजा देती है क्या जो इसके पीछे पागल बना है। इस पर रिक्शा वाला तो खामोश रहा पर मेरे बगल में बैठी देवी फिर चिल्लाने लगी अजीब बदतमीज हो हर बात पर मुझे रंडा रंडी कॉलगर्ल बताए जा रहे हो। मैं नहीं बोल रही हूं इसका मतलब यह नहीं कि तू जो चाहेगा बोल सकता है।

इस पर मैंने कहा मैं तो शुरू से ही कह रहा हूं कि तू बोल बोल न रोक कौन रहा है। यह तो मेरी शराफत है कि मामले को तूल नहीं दे रहा हूं वर्ना तू भी जानती है कि इन पुलिस वालों के चक्कर में आते ही तेरा धंधा तो हो जाएगा चौपट, मगर रोजाना  इनसे ही निपटने में और कोख गिरने में ही तेरी सारी जवानी खत्म हो जाएगी। मेरी बात सुनते ही रिक्शा पर बैठी बैठी वह रोने लगी। मैने तुरंत नाटक बंद करने को कहा। रिक्शा कोणडली गांव होते हुए  घडौली डेयरी के रास्ते में आ गया । तभी सामने से एक गाडी की लाईट्स पडी। मैं इसको थोडा संभल कर बैठने को कहा । ठीक मेरे सामने पुलिस की जिप्सी रूक गयी। मैं फौरन रिक्शे से उतरा और अपना कार्ड देते हुए कहा कि आज नाईट थी और दफ्तर की गाडी आज ठीक नहीं थी मगर गाजीपुर पुल के नीचे एक रिक्शे पर ये मोहतरमा मिल गयी तो लिफ्ट ले लिया 25 रूपये शेयर करने की शर्त पर। इस पर पुलिस वाला मुस्कुरा पड़ा। ये मोहतरमा कौन है। कोई बीमार है और ई रिक्शा वाला दरभंगा का है। पुलिस वाला हंसते हुए बोला तो पत्रकार जी आपने तो पूरी रिर्पोर्टिंग कर ली है। मैने भी कहा क्या करे रात का मामला है और कोई लड़की हो तो तहकीकात तो करनी ही पड़ती है। मेरी बात सुनकर पुलिस वाला ठहाका लगाया और आगे गाड़ी आगे बढ़ गयी।  वापस रिक्शा पर बैठते ही मोहतरमा बोली कि तू पत्रकर है। मैने फौरन कहा बस इसीलिए आज तू बच गयी। बातचीत करते करते मैं मयूर विहार फेज 3 के बस अड्डे पर आ गया। यहां पर मुटे उतरना था।  मगर महिला ने बताया कि मैं आगे जाउंगी। रिक्शा वाले को नीचे उतरकर मैने एक हाथ जमाते हुए मैने फिर आगाह किया कि साला कमाई कर दलाली ना कर वर्नाजीवन भर के लिए भीतर हो जाएगा। घर गांव में बदनामी होगी सो अलग। और अंत में मैने इस कॉलगर्ल कहे या संभ्रात रंडी को भी सलाह दी कि रिक्शे की सवारी तेरे लिए एकदम सेफ नहीं है। ये तो कहो कि गाजीपुर डेयरी  के हरामजादों को पता ही नहीं है रि तू रोजाना रात में आती है। ये साले तुम्हें इस लायक भी नहीं छोड़ेगें कि खुद को संभाल सको। और जब रात में पुल तक गाडी से आती है तो अपने इश्कखोरों से कहो कि फेज-3 तक छोड़ा करे नहीं तो किसी भी दिन तेरा राम नाम सत्य हो जाएगा।  जब मैं मुड़ने लगा तो वह हाथ जोड़कर रोने लगी। रोते देखकर मैने कहा खुद को संभाल ई रोने धोने का चूतियापा बंदकर। यह कहते हुए मैं अपने घर की तरफ जाने लगा। इस घटना के बाद फेज-3 में ही उससे एक बार बाजार में और दूसरी दफा डीटीसी बस में टक्कर हो गयी। मुझे देखते ही वह शरमाते हुए हाथ जोड दी। बस में तो वह बैठी थी, मगर मेरे को देखते ही अपनी सीट खाली कर दी। मैने उसे सीट पर बैठने को कहा और हाल चाल पूछते के बाद  बस से उतर कर दूसरे बस की राह देखने लगा।    

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