Quantcast
Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

मुलायम और अखिलेश बाबू पानी को बचाइए नहीं तो .....

$
0
0


 

 

इटावा का पानी

वेब/संगठन: 
visfot.com
.जल निगम द्वारा कराई गई पानी की जांच में यह भी सामने आया है कि जनपद के अन्य ब्लाकों में ताखा ब्लाक के ग्राम रौरा में 1-92, महेवा ब्लाक के अहेरीपुर में 1-8 मिग्रा फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है। इसके साथ ही जसवंतनगर ब्लाक के ही ग्राम शाहजहांपुर में 1-6, दर्शनपुरा में 1-8, खनाबाग में 1-6, ताखा ब्लाक के ग्राम नगला ढकाउ में 1-8 मिग्रा, नगला कले में 1-6, भर्थना ब्लाक के ग्राम हरनारायणपुर में फ्लोराइड की मात्रा 1-6 मिग्रा, लीटर पाई गई है जो निर्धातिर मानकों से काफी अधिक है।मौसम में लगातार हो रहे असंतुलन ने भूजल को बुरी तरह प्रदूषित किया है. पीने के लिए सरकार द्वारा लगवाए गए हैंडपंपों के पानी में जिस प्रकार से रसायनिक अवयवों का संतुलन बिगड़ा है, उससे यह पानी स्वास्थय पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य जल निगम की इटावा शाखा द्वारा पेयजल के लिए गए नमूनों में जिस प्रकार से पेयजल के अवयवों में फ्लोराइड आयरन एवं नाइट्रेट की मात्रा बढ़ जाने से यह पानी लोगों की अपंगता का कारण बनता जा रहा है।

वहीं नाइट्रेट की बढ़ी मात्रा तो बच्चों की मौत का कारण तक बन जाती है। आश्चर्यजनक यह है कि पेयजल के लिए गए नमूनों के बाद शोधकर्ताओं ने साफ किया कि पानी के अवयवों का संतुलन नहीं बनाया जा सकता है और इसका एकमात्र उपाय यही है कि पेयजल की आपूर्ति पानी की टंकी के माध्यम से की जाए।

जल ही जीवन है परंतु उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के तमाम ब्लाकों का पानी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहा है। जल निगम की प्रयोगशाला में हैंडपंपों से लिए गए नमूनों के आए परिणामों ने जो खुलासा किया है उससे प्रशासन की नींद उड़ गई है। जनपद के ताखा, भर्थना एवं जसवंतनगर ब्लाक के गांवों का पानी अब ग्रामीणों के स्वास्थ पर बुरा असर डाल रहा है. जल निगम की प्रयोगशाला की पेयजल के नमूनों की जांच करने वाले अनिल कुमार सक्सेना बताते हैं कि शुद्ध पेयजल के लिए जो भारतीय मानक संस्था द्वारा जो मानक तय किए गए हैं उसके मुताबिक पानी में फ़्लोराइड की मात्रा 1-5 मिग्रा प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। मगर जांच में यह तथ्य सामने आया है कि जसवंतनगर ब्लाक के ककरई गांव के पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा 3-2 मिग्रा, नगला रामताल में 2-9 मिग्रा, बीबाम में 2-9, चांदनपुर बीबाम, में फ्लोराइड की मात्रा 2-9 मिग्रा, लीटर पाई गई है। जबकि भर्थना ब्लाक के ग्राम कुनैठी में 1-9 मिग्रा, मेढ़ी दुधी में 2-0 मिग्रा, खुजरिया में 2-2 मिग्रा तथा नगला कालू में 3-1 मिग्रा, लीटर एवं बराह में 2-8 मिग्रा फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है।

पानी के बारे में जानकारी रखने वाले जल परीक्षक अनिल कुमार सक्सेना बताते हैं कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक हो जाने से दांत कुरूप हो जाते हैं, टेढे मेढ़े हो जाते हैं इसके बाद शरीर में अपंगता के लक्षण आना शुरु होते हैं जो इंसान को अपंग बना देती है। पेट की नसें चढ़ जातीं हैं जिससे शरीर में पीड़ा का अहसास होता रहता है। उनके मुताबिक फ्लोराइड की मात्रा कम होने से दांतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है परंतु जांच में अभी तक फ्लोराइड की कम मात्रा का मामला प्रकाश में नहीं आया है। जनपद के पेयजल का माध्यम बनने वाले हैंडपंपों का पानी जनपदवासियों के लिए किस कदर खतरनाक है कि तमाम स्थानों के पानी में कठोरता पाई गई है जिससे बालों की सौंदर्यता प्रभावित होती है और बालों के तमाम रोग उत्पन्न होते हैं। वहीं बढ़पुरा ब्लाक में जिस प्रकार से नाइट्रेट की मात्रा में अधिकता पाई गई है। जिसके कारण बच्चों में ब्लू बेरी का रोग होने लगता है जिसके कारण बच्चों का शरीर नीला पड़ जाता है और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मौत तक हो सकती है।

बीओ, भर्थना ब्लाक के हथनौली एवं नगला छिदद गांव में जिस प्रकार से पीने के पानी में आयरन की अधिकता है उससे ग्रामीणों की पाचन प्रक्रिया पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। यहां तक कि आयरन की बढ़ती मात्रा के कारण हैंडपंपों के पाइप तक गल जाते हैं। इस पानी को पीने के कारण इन गांवों के लोग शारीरिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं। आयरन की अधिकता के कारण शरीर टेढ़ा मेढ़ा हो जाता है और कमर झुक जाती है। इतना ही नहीं आयरन की बढ़ती मात्रा से शरीर में लगातार पीड़ा होती रहती है।

इटावा में फ्लोराइड की अधिकता वाले पानी को लेकर 2003 में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे भरथना के विधायक विनोद यादव ने विधानसभा में दूषित पानी को रखकर विधानसभा अध्यक्ष का ध्यान इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया था तब जाकर इस पूरे प्रकरण पर जांच कराई गयी थी लेकिन जांच रिपोर्ट को आजतक सार्वजनिक नहीं किया गया। एकबार फिर से फ्लोराइड की अधिकता वाले पानी की रिपोर्ट जल निगम की ओर से जारी की गई है जिससे पीडि़त इलाके में बेचैनी देखी जा रही है। रही बात स्वास्थ्य विभाग की तो वह यह बात तो मानते हैं कि फ्लोराइड की अधिकता से पानी दूषित हो रहा है लेकिन यह समस्या उनकी नजर में गम्भीर नहीं क्योंकि देश के अन्य राज्य जैसे राजस्थान और कर्नाटक इलार्को में इससे कहीं अधिक फ्लोराइड की अधिकता वाला पानी पीकर लोग जीवन यापन कर रहे हैं।

Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>