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एक विलक्ष्ण व्यक्तित्व / डा. सुब्रह्मण्यम् स्वामी

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डा. सुब्रह्मण्यम् स्वामी

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जन्म15 सितम्बर 1939 (आयु 76 वर्ष)
मायलपुर, भारत
राष्ट्रीयताभारतीय
राजनैतिक पार्टीभारतीय जनता पार्टी (2013 से अब तक)
अन्य राजनैतिक
सहबद्धताएं
जनता पार्टी (1990 से 2013 तक)
जीवन संगीरोक्साना स्वामी
संतानसुहासिनी हैदर, गीतांजलि स्वामी
विद्या अर्जनदिल्ली विश्वविद्यालय, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, हार्वर्ड विश्वविद्यालय
पेशाअर्थशास्त्री
प्रोफेसर
लेखक
राजनीतिक
धर्महिन्दू
वेबसाइटjanataparty.org
डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् स्वामी (जन्म: 15 सितम्बर 1939 चेन्नई, तमिलनाडु, भारत) जनता पार्टीके राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वे सांसदके अतिरिक्त 1990-91 में वाणिज्य, विधि एवं न्याय मन्त्री और बाद में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष भी रहे। 1994-96 के दौरान विश्व व्यापार संगठन के श्रमिक मानकों के निर्धारण में उन्होंने प्रभावी भूमिका निभायी।
हार्वर्ड विश्वविद्यालयसे अर्थशास्त्रमें डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने साइमन कुजनैट्स और पॉल सैमुअल्सन के साथ कई प्रोजेक्ट्स पर शोध कार्य किया और फिर पॉल सैमुअल्सन के साथ संयुक्त लेखक के रूप में इण्डैक्स नम्बर थ्यौरी का एकदम नवीन और पथ प्रदर्शक अध्ययन प्रस्तुत किया।
वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विजिटिंग फैकल्टी मैम्बर भी रहे हैं। वे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने आदर्शों के लिए निर्भीक होकर संघर्ष किया है। भारत में आपातकालके दौरान संघर्ष, तिब्बत में कैलाश-मानसरोवर यात्री मार्ग खुलवाने में उनके प्रयास, भारत-चीन सम्बन्धों में सुधार, भारत द्वारा इजरायल की राजनैतिक स्वीकारोक्ति, आर्थिक सुधार और हिन्दू पुनरुस्थान आदि अनेक उल्लेखनीय कार्य उन्होंने किये हैं।
स्वामी ने स्वेच्छा से राष्ट्रहित को सर्वोपरि समझते हुए अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टीमें कर दिया।[1][2]अब वे एकनिष्ठ होकर नरेन्द्र मोदीको भारत का प्रधानमन्त्री बनाने के लिये पूरे देश में प्रचार किया और भारी बहुमत से जीत हासिल किया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, फिर नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पुनः Z+ श्रेणी की सुरक्षा दे दिया गया। आजकल नेशनल हेराल्ड केस और अयोध्या राम मंदिर को लेकर चर्चा मे है।

अनुक्रम

आरम्भिक जीवन

सुब्रमनियन स्वामी का जन्म १९३९ में म्य्लापोरे, चेन्नई, भारत में हुआ। उनके पिता का नाम सीताराम सुब्रमनियन था और वो मदुरै, तमिलनाडु से थे। उनके पिता सुरु में भारतीय सांख्यिकी सेवा में अधिकारी थे और बाद में केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान के निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
डॉ स्वामी ने हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से गणित में अपनी स्नातक ऑनर्स डिग्री अर्जित किया। उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान में सांख्यिकी में अपनी मास्टर्स डिग्री के लिए अध्ययन किया। इसके बाद वो पूर्ण रॉकफेलर छात्रवृत्ति पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए चले गए। उन्हें १९६५ में अर्थशास्त्र में पी.एच.डी प्राप्त हुई। उनके शोध सलाहकार नोबेल पुरस्कार विजेता साइमन कुज्नेट्स थे।

शैक्षणिक जीवन

Harvard University
1964 में, स्वामी हार्वर्ड में अर्थशास्त्र के संकाय में शामिल हो गए और उसके बाद से वह अर्थशास्त्र विभाग में पढ़ाने लगे। जुलाई 1966 में वो एक सहायक प्रोफेसर बन गए और 1969 में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए।
वह जब एसोसिएट प्रोफेसर थे तो उन्हें अमर्त्य सेन द्वारा दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में चीनी अध्ययन पर एक प्राध्यापक के पद के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। जब वो दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स पहुचे तो उनकी नियुक्ति को उनके भारत के लिए परमाणु क्षमता के समर्थन और उसके बाजार के अनुकूल दृष्टिकोण के कारण रद्द कर दिया गया।
इसके बाद, वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में प्रोफेसर के रूप में जुड़े। वहा वो 1969 से 1991 तक गणितीय अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में रहे। 1970 के दशक में इंदिरा गाँधी के कारन उन्हें प्रोफेसर के पद से हटा दिया गया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायलय द्वारा कानूनी तौर पर 1990 के दशक में उन्हें पुन बहाल किया गया। १९९१ में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली से उन्होंने कैबिनेट मंत्री बनने के लिए इस्तीफा दे दिया। 1977 से 1980 तक वो आईआईटी, दिल्ली के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में रहे और १९८० से १९८२ तक वो आईआईटीयो के परिषद में रहे।
2011 तक उन्होंने हार्वर्ड में गर्मियों के सत्र में अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम को पढ़ाया। दिसंबर 2011 में एक विवादास्पद लेख के कारन हार्वर्ड के कला और विज्ञान के संकाय के संकाय परिषद ने उनके पाठ्यक्रम को हटा दिया। जून २०१२ को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वामी को मैकलीन, वर्जीनिया में एक रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया। ओबामा ने २०१२ में अपने पुनर्निर्वाचन के बाद स्वामी को अपने सपथ ग्रहण समारोह में भी आमंत्रित किया।

राजनीतिक जीवन

आरंभिक राजनीतिक जीवन

चित्र:Dr Subramanian Swamy with Morarji Desai.jpg
सुब्रह्मण्यम स्वामी मोरार्जी देसाई के साथ
डॉ स्वामी जा राजनितिक जीवन अराजनैतिक आंदोलन के साथ सुरु हुआ। यह आन्दोलन एक गैरराजनीतिक आन्दोलन के रूप में सुरु हुआ जिसने आगे चलकर जनता पार्टी की नीव डाली। डॉ स्वामी द्वारा रखे गए उदारवादी आर्थिक नीतियों की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी बहुत बरी विरोधी थी और बाद में इंदिरा गाँधी के कारन डॉ स्वामी को आईआईटी से बर्खास्त कर दिया गया और इस घट्न के बाद से डॉ स्वामी के राजनीतक जीवन की सुरुआत हुई। डॉ स्वामी इंदिरा गांधी के विरोधी पार्टी जनसंघके तरफ से राज्यसभा के सदस्य बने।
1974 और 1999 के बीच डॉ स्वामी 5 बार संसद सदस्य के रूप में चुने गए। उन्होंन 1974 और 1999 के बीच उत्तर पूर्व मुंबई, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु का संसद में प्रतिनिधित्व किया। डॉ स्वामी जयप्रकाश नारायण के साथ जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक है और 1990 के बाद से इसके अध्यक्ष हैं।

आपातकाल

डॉ स्वामी के नौकरशाहों के बीच काफी संपर्क थे। इसलिए उन्हें पहले ही आपातकाल के विषय में पता चल गया था। २५ जून १९७५ के दिन डॉ स्वामी जयप्रकाश नारायण के साथ रत्रिभोजन कर रहे थे तो उन्होंने जे पी को कहा की कुछ बड़ा आने वाला है तो जे पी ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया, उन्होंने कहा की इंदिरा गाँधी ऐसी मुर्खता नहीं करेगी। दुसरे दिन सुबह 4.30 बजे उन्हें एक गुमनाम कॉल आया जिसमे उन्हें पुलिस ने अप्रत्यक्ष रूप से बताया की वो डॉ स्वामी को पकरने वाले है। इसके बाद डॉ स्वामी ६ महीनो के लिए भूमिगत हो गए।
उस समय जयप्रकाश नारायण ने डॉ स्वामी को सूचना भेजी की तुम अमेरिका जाओ। क्योकि उन्होंने डॉ स्वामी को हार्वर्ड में देखा था। जे पी ने कहा की अमेरिका में जाकर भारत के आपातकाल के बारे में लोगो को जागरूक करो। उसके बाद डॉ स्वामी अमेरिका में जाकर हार्वर्ड में प्रोफेसर बन गए और हार्वर्ड के मंच का उपयोग करके आपातकाल अमेरिका के २३ राज्यों में भारतीयों को जागरूक करना सुरु किया।

संसद मे घुसकर भाषण देना

डॉ स्वामी ने आपातकाल के समय सोचा की लोगो में आपातकाल के खिलाफ हिम्मत जगाने के लिए वो एक दिन के लिए संसद में घुसेंगे और २ मिनट का भाषण देकर पुनः भूमिगत हो जायेगे। इस कार्य को करके वो यह सिद्ध करना चाहते थे कि पूरा देश इंदिरा गाँधी के नियंत्रण में नहीं है। उस समय डॉ स्वामी के ने नाम से वारंट जारी हो चूका था। लेकिन फिर भी वो १० अगस्त १९७६ के दिन संसद में गए और यह देश विदेश के पत्रकारों के सामने यह कहकर निकल गए की भारत में प्रजातंत्र मर चूका है। उसके बाद डॉ स्वामी नेपाल के मार्ग से वापस अमेरिका चल गए। इस घटना से लोगों को एक नया बल और वे आपातकाल के समय एक नायक बन गए।

भारत के कानून और वाणिज्य मंत्री

1990 और 1991 के दौरान स्वामी योजना आयोग के सदस्य और भारत और वाणिज्य मंत्री रहे। इस अवधि के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल के दौरान भारत में आर्थिक सुधारों के लिए खाका बनाया। जो बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव के नेतृत्व में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 1991 लागू किया गया। डॉ स्वामी ने अपनी पुस्तक में बताया है की मनमोहन सिंह ने इस बात को स्वीकार भी किया है।
1994 और 1996 के बीच, वह पीवी नरसिंह राव सरकार के कार्यकाल के दौरान "श्रम मानकों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर आयोग के अध्यक्ष" (एक कैबिनेट मंत्री के पद के समकक्ष) के पद पर रहे।

२००४ का लोकसभा चुनाव

२००४ के लोकसभा चुनावो में जनता पार्टी ने अपने कई उम्मीदवार उतारे। लेकिन एक भी उम्मीदवार की जीत नहीं हुई। बाद में स्वामी ने बताया की कई चुनाव बुथो में उनकी पार्टी को जीरो वोट मिले है। इस चुनाव के बाद उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में वोटिंग मशीन में गड़बड़ी के मामले को लेकर मुकदमा दायर किया। स्वामी ने दावा किया की वोटिंग मशीन में गड़बड़ी के कारन उनकी पार्टी को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई।

२००९ का लोकसभा चुनाव

चित्र:Dr Subramanian Swamy meets Narendra Modi.jpg
सुब्रह्मण्यम स्वामी नरेन्द्र मोदीके साथ (११ मार्च २०११)
२००९ के लोकसभा चुनावो में स्वामी ने जनता पार्टी की तरफ से एक भी उम्मीदवार चुनावो में नहीं उतारा। स्वामी ने कहा की २००९ के चुनावो में कांग्रेस बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में गड़बड़ी करके चुनाव जीतने वाली है इसलिए चुनाव लड़ने का कोई फायदा नहीं है। २०१३ के अंत में उन्हें वोटिंग मशीन में गड़बड़ी के मामले में सर्वोच्च न्यायलय में जीत हासिल हुई। सर्वोच्च न्यायलय ने निर्णय दिया की वोटिंग मशीन में रसीद प्रिंट की जाएगी जिसे वल्लेट बॉक्स में दल जायेगा। अगर चुनाव में गड़बड़ी की आशंका होगी तो बैलेट बॉक्स में गिनती की जाएगी।

जनता पार्टी का NDA से जुड़ना

डॉ स्वामी 2G घोटाले में कांग्रेस के खिलाफ अपने प्रदशन के लिए सुर्खियों में रहे। डॉ स्वामी जनता पार्टी को NDA का हिस्सा बनाना चाहते थे। अन्ततः ११ मार्च २०१२ को जनता दल को NDA का घटक दल बना लिया गया। जनता दल के जुड़ने से NDA के घटक दलों की शंख्या बढकर ६ हो गई।

२०१२ का गुजरात विधानसभा चुनाव

२०१२ के गुजरात के विधान सभा चुनावो के लिए सुब्रमनियन स्वामी ने अक्टूबर २०१२ से ३ महीने के लिए नरेंदर मोदी के समथन में चुनावी प्रचार किया। उन्होंने कहा की वर्त्तमान बीजेपी पार्टी में नरेन्द्र मोदी प्रधान मंत्री पद के लिए सबसे ज्यादा योग्य है। स्वामी ने कहा की गुजरात में सबसे न्यूनतम भ्रस्ताचार है। चुँव में नरेंदर मोदी की जीत हुई लेकिन स्वामी का दावा है की मोदी और भी ज्यादा सीटे जीतते अगर कांग्रेस सरकार वोटिंग मशीन में गड़बड़ी नहीं करती। स्वामी ने दावा किया की अगर गुजरात में EVM का बिलकुल प्रयोग नहीं होता तो BJP और 35 सीटे और जीतती।

२०१४ का लोकसभा चुनाव

सुब्रह्मण्यन स्वामी ने २०१४ के चुनावो के लिए बहुत पहले से ही प्रचार अभियान आरंभ कर दिया। चुनाव को दृष्टि में रखते हुए उन्होंने पूरे देश में आम सभाए कीं। इस दौरान उन्होंने २ बार नरेंद्र मोदी से जाकर भेंट की। चुनावी सभाओ में उन्होंने NDA के मुद्दों से जनता को अवगत कराया। जून २०१३ में वो अमेरिका के दौरे पर गए एवं अमेरिका के कई राज्यों में सभाएं कीं। उन्होंने कहा कि कश्मीर-समस्या का हल सबसे महत्वपूर्ण तो है ही साथ में बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकना भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा।

कार्य

  • भारत से सोशलिज्म को हटाना
  • LTTE को भारत से भागना
  • कैलाश मानसरोवर के द्वार भारत के लिए खुलवाना
  • काले धन के विरोध में अभियान

अदालती सक्रियता

  • 2जी घोटाला
  • वोटिंग मशीन में गड़बड़ी
  • ऐयरसेल मैकसिस घोटाला
  • निर्भया दिल्ली गैंग रेप केस
  • हेलीकाप्टर घोटाला
  • नेशनल हेराल्ड घोटाला
  • हाशिमपुरा नरसंहार
  • राम सेतु को टूटने से बचाना
  • अयोध्या राम मंदिर
  • इतालियन नौसैनिक मुद्दा
  • धर्मांतरण पर रोक
  • ताजमहल शिवमंदिर है की जांच
  • भारतीय मीडिया के विदेशी मालिको पर प्रतिबंध
  • मंदिरों पर सरकार के अतिक्रमण का विरोध
  • सोनिया गाँधी के नकली जन्म स्थान, तिथि का मुद्दा
  • सोनिया गाँधी के भारतीय नागरिक न होने का मुद्दा
  • सोनिया गाँधी के गलत शैक्षिनिक जानकारी देने का मामला
  • जयललिता के भ्रस्ताचार के विरुद्ध केस
  • संत आसारामबापू केस

विदेश नीति

पाकिस्तान

डॉ स्वामी का कहना है की पाकिस्तान को भारत में कश्मीर के मामले में दखल नहीं देना चाहिए। वो पाकिस्तान द्वारा चलाये जा रहे आतंकवादी गतिविधियों को बंद करना चाहिए। सुदर्शन न्यूज़ के साथ मार्च २०१३ में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा है की पाकिस्तान पर जल्द ही तालिबान कब्ज़ा करने वाला है और उसके बाद भारत और तालिबान शासित पाकिस्तान के बीच के युद्ध को रोक पाना बहुत ही मुस्किल होगा। डॉ स्वामी पाकिस्तान को पाकिस्तान शाशित कश्मीर का भाग भारत को वापस करना चाहिए। अगर पाकिस्तान पाकिस्तान शाशित कश्मीर में चल रहे ५४ आतंकवादी कैंपो को बंद नहीं करता है तो भारत को इन कैम्पों को नस्ट करना चाहिए।

चीन

डॉ स्वामी ने कहा की चीन और भारत परोशी देश है और दोनों देश के सम्बन्ध कम से कम 3000 सालो से है। जब डॉ सुब्रमनियन स्वामी मोरारजी सरकार में थे तो उन्होंने चीन से कहा की कैलाश मानसरोवर का रास्ता खोले। उस समय भारत से कैलाश मानसरोवर जाने का रास्ता चीन ने बंद कर रखा था। 3 सालो तक चीन के साथ बात करने के बाद और अन्तत: चीन ने कहा की ठीक है रास्ता खोल देंगे अगर डॉ स्वामी खुद कैलाश मानसरोवर जाये। उसके अप्रैल १९८१ में डॉ स्वामी पहले कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले भारतीय बने और उसके बाद चीन ने कैलास मानसरोवर भारत के लिए खोला।

इजराइल

अपने भाषणों और लेखों में डॉ॰ स्वामी ने इसराइल के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की है और एक शत्रुतापूर्ण अरब वातावरण में जीवित रहने की क्षमता के लिए अपने प्रतिकार क्षमता श्रेय दिया है। उन्होंने कहा कि इजराइल के साथ राजनयिक संबंधों की स्थापना में अग्रणी प्रयास किए थे। 1982 में, डॉ॰ स्वामी इजराइल जाने वाले पहले भारतीय राजनितज्ञ बने और वो वहा यित्ज्हक राबिन और मेनाचेम बिगिन जैसे कई महत्वपूर्ण इजराइली नेताओ से मिले। इसराइल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने में उनके प्रयासों का फल तब मिला जब भारत ने 1992 में इसराइल में अपना दूतावास खोलने का निर्णय लिया।

बंगलादेश

डॉ स्वामी का कहना है की बंगलादेश के कुल जनसंख्या का करीब एक तिहाई भाग भारत में अवैध रूप से घुस चूका है। इसलिए बंगलादेश या तो इन सभी अवैध रूप से घुसे हुए अपने नागरिको को वापस बुलाये या अपने देश का एक तिहाई भाग भारत को दे दे। ऐसा होने से भारत का अपने पश्चिमी भागो पर ज्यादा अच्छा नियंत्रण हो सकेगा।

श्रीलंका

डॉ स्वामी का कहना है की श्रीलंका के जो सिनला है वो भी भारत के बिहार, उड़ीसा जैसे राज्यों से श्रीलंका गए थे। उनका कहना है की भारत के रस्त्राहित में आज भारत को श्रीलंका से अच्छे सम्बन्ध बनाने चाहिए। भारत को श्रीलंका में जो २५% तमिल है उनके स्वायत्ता के लिए प्रयास करने चाहिए। उनका कहना है की जो द्रविड़ा आन्दोलन के लोग है वो भारत से अलग होना चाहते है इसलिए उनकी बातो पर भारत को ध्यान नहीं देना चाहिए।

विचार

  • २००२ के गुजरात दंगे
  • नाक्सलवाद का हल
  • द्रविदा आन्दोलन
  • आर्यन द्रविड़ियन सिद्धांत
  • कश्मीर की समस्या का हल
  • बांग्लादेशी घुसपैठियों के संशय का हल
  • भ्रस्ताचार की समस्या का हल
  • श्री लंका की समस्या का हल
  • इंडियन प्रीमियर लीग
  • आईपीएल श्रीनिवासन का मामला
  • जाति व्यवस्था
  • विराट हिंदुस्तानी
  • मुस्लिम आरक्छन
  • भीमराव आंबेडकर
  • मोरारजी देसाई
  • जयप्रकाश नारायण
  • राजीव मल्होत्रा
  • नरेंदर मोदी
  • बाबा रामदेव
  • तपन घोष
  • शाहरुख़ खान
  • संजय दत्त
  • जवाहरलाल नेहरु
  • राहुल गाँधी
  • सोनिया गाँधी
  • इंदिरा गाँधी
  • करूणानिधि

परिवार और व्यक्तिगत जीवन

सुब्रह्मण्यम् स्वामी ने रोक्सना नाम की एक पारसीमहिला से जून 1966 में विवाह किया। रोक्सना से उनकी पहली भेंट हार्वर्ड में हुई थी। रोक्सना स्वामी भी गणित में पीएच०डी० हैं तथा आजकल भारत के सर्वोच्च न्यायालयमें वकील हैं।[3]उनकी दो बेटियाँ है, एक गीतांजलि स्वामी जिसने एम०आई०टी० विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय शर्मा से शादी की है और दूसरी सुहासिनी हैदर जो सीएनएन आईबीएनमें सम्पादक है।

किताबें, शोधपत्र और पत्रिकायें

सुब्रह्मण्यम् स्वामी ने कई किताबें व शोधपत्र लिखे और पत्रिकाओं का सम्पादन किया। नीचे उनकी सूची दी हुई है।

किताबें

  • 1952-70 के बीच चीन और भारत में आर्थिक विकास (प्रकाशक: शिकागो विश्वविद्यालय प्रेस, ISBN 978-0-226-78315-4)
  • भारत में भ्रष्टाचार और निगमित प्रशासन: सत्यम, स्पेक्ट्रम और सुंदरम बीएनपी पारिबा (प्रकाशक: हर आनंद प्रकाशन, ISBN 978-81-241-1486-5)
  • भारत में आतंकवाद: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा (प्रकाशक: हर आनंद प्रकाशन, ISBN 978-81-241-1344-8)
  • के लिए शक्ति संतुलन की एक रणनीति 1952-70 चीन और भारत में
  • भारतीय आर्थिक नियोजन;: एक वैकल्पिक दृष्टिकोण (प्रकाशक: बार्न्स एंड नोबल, ISBN 978-0-389-04202-0)
  • राष्ट्रीय पुनर्जागरण के लिए एक एजेंडा (प्रकाशक: दक्षिण एशिया पुस्तक, ISBN 978-81-85674-21-6)
  • एक नए भारत का निर्माण भारत के श्रम मानकों और विश्व व्यापार संगठन के फ्रेमवर्क (प्रकाशक: कोणार्क पब्लिशर्स, ISBN 978-81-220-0585-1)
  • भारत के आर्थिक प्रदर्शन और सुधारों: नई सहस्राब्दी के लिए एक परिप्रेक्ष्य (प्रकाशक: कोणार्क पब्लिशर्स, ISBN 978-81-220-0594-3)
  • राजीव गांधी की हत्या: अनुत्तरित प्रश्न और आशातीत प्रश्न (प्रकाशक: कोणार्क पब्लिशर्स, ISBN 978-81-220-0591-2)
  • भारत की चीन परिप्रेक्ष्य (प्रकाशक: कोणार्क पब्लिशर्स, ISBN 978-81-220-0606-3)
  • चीन और भारत में वित्तीय वास्तुकला और आर्थिक विकास (प्रकाशक: कोणार्क पब्लिशर्स, ISBN 978-81-220-0718-3)
  • जापान में व्यापार और उद्योग: भारतीय उद्यमियों और व्यवसायियों (प्रकाशक: प्रेंटिस हॉल ऑफ इंडिया, ISBN 978-81-203-0785-8) के लिए एक गाइड
  • संकट में श्रीलंका: भारत का विकल्प (प्रकाशक: हर आनंद प्रकाशन, ISBN 978-81-241-1260-1)
  • शिव के डोमेन में 22 साल के बाद कैलाश और मानसरोवर (प्रकाशक: अलायड प्रकाशक) घेराबंदी के तहत हिन्दुओं (प्रकाशक: हर आनंद प्रकाशन, ISBN 978-81-241-1207-6)
  • राम सेतु: राष्ट्रीय एकता की प्रतीक (प्रकाशक: हर आनंद प्रकाशन, ISBN 978-81-241-1418-6)
  • 2जी स्पेक्ट्रम स्कैम (प्रकाशक: हर आनन्द पब्लिकेशंस, ISBN 978-81-241-1638-8)
  • इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन:अनकांस्टीट्यूशनल एण्ड टेम्परेबुल (प्रकाशक: विजन बुक्स, ISBN 978-81-7094-798-1)

सन्दर्भ



  • "Subramanian Swamy's Janta Party merges with BJP". The Indian Express. 11 अगस्त 2013.

  • "The RSS Game Plan". द हिन्दू. 22 फ़रवरी 2000.

    1. "The well-regarded Supreme Court advocate on her husband : SUNIT ARORA INTERVIEWS ROXNA SWAMY". Outlook (magazine). अभिगमन तिथि: 2012-01-03.

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