Quantcast
Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

दिनेश श्रीवास्तव की कुण्डलियां

$
0
0




विषय-       "वाणी"

                        (१)

वाणी ऐसी बोलिए, प्रथम कीजिए तोल।
शब्द शब्द हो संयमित,फिर मुख निकले बोल।।
फिर मुख निकले बोल, सदा सुखदायी होता।
मन का अंतर खोल,अन्यथा मानव रोता।।
कहता सत्य दिनेश,सुनो!जग के सब प्राणी।
तोल-मोल कर बोल,सदा ही मीठी वाणी।।

                 ( २)

करते मधुर प्रलाप हों,मीठी वाणी बोल।
उर अंतर में हो भरा,विष का केवल घोल।।
विष का केवल घोल,भरे हैं अंदर ऐसे।
वर्जित ऐसे लोग,पयोमुख गागर जैसे।।
अंदर बाहर एक,भाव समदर्शी धरते।
कहता सत्य दिनेश,नहीं वह धोखा करते।।

                     ( ३)

वाणी सच्ची बोलिए, पर इतना हो ध्यान।
सीधे लाठी मारकर,मत करिए अपमान।।
मत करिए अपमान,मधुरता कभी न छोड़ें।
जो करता अपमान,सदा उससे मुख मोड़ें।।
कहता सत्य दिनेश,नहीं अच्छा वह प्राणी।
कहता सच्ची बात,मगर कड़वी हो वाणी।।

                        (४)

वाणी में करतीं सदा,वीणापाणि निवास।
होता वाणी में वहीं,सुंदर सुखद सुवास।।
सुंदर सुखद सुवास,सदा वाणी हो जिसकी।
होती सदा सहाय, शारदा माता उसकी।।
करता विनय दिनेश,मातु!भर दो प्राणी में।
पावनता का अंश,सभी जन के वाणी में।।

              दिनेश श्रीवास्तव

Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>