प्रोफेसर तङ पिङ युन्नान विश्वविद्यालय चीन में हिंदी के आचार्य एवं भाषा विभागों के संकाय अध्यक्ष हैं। उन्होंने चीन के 5 विश्वविद्यालयों में हिंदी अध्यापन किया है जिनमें चार में वह हिंदी विभाग स्थापना से जुड़े रहे । उन्होंने आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखित हिंदी साहित्य के इतिहास एवं प्रसाद के नाटकों सहित अनेक हिंदी की महत्वपूर्ण रचनाओं का चीनी में अनुवाद किया है वह चीन की हिंदी अध्यापन परंपरा में तीसरी पीढ़ी से आते हैं।
उन्होंने चीनी की समकालीन प्रतिनिधि कहानियों का हिंदी में अनुवाद भी किया है।वह चीनी-हिंदी और हिंदी-चीनी शब्दकोश, चीन विश्वविद्यालयों के लिए हिंदी पाठ्यक्रम निर्माण सहित अनेक परियोजनाओं से जुड़े हुए हैं।
वर्तमान में खुनमिंग के यून्नान विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर तङ पिङ बेहद मिलनसार, मृदुभाषी, विनम्र और हिंदी प्रेमी व्यक्ति हैं। उन्होंने भारतीय कोंसलावास शंघाई में हिंदी इन चाइना समूह द्वारा आयोजित संगोष्ठी में द्वितीय सत्र की अध्यक्षता की। हम उनके आभारी हैं उनके महत्वपूर्ण विचारों के लिए। विशेषकर हिंदी के प्रति उनके अंतरराष्ट्रीयकरण और हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने संबंधी विचार हम भारतीयों को भी अवश्य सुनने चाहिए। उनकी बात भी सुनें जो अपनी भाषा के साथ हिंदी के लिए काम कर रहे हैं और विदेशों में भारतीय भाषाओं के प्रमुख लोगों में हैं---