प्रस्तुति- अनामी शरण बबल
चीन के विश्वविद्यालयों में अलग-अलग भाषाओं को पढ़ने वाले विद्यार्थी उस देश की परंपरा के अनुसार उस भाषा में भी अपना नाम लिखते हैं जिस भाषा को वह पढ़ रहे हैं। यह परंपरा वहां लंबे समय से कायम है।
चीन के अनेक विद्यार्थियों ने समन्वय हिंची पत्रिका में जब आलेख लिखे तो उनके दोनों नाम भारतीय और चीनी नाम पत्रिका में दिए गए। कई मित्रों की जिज्ञासा थी कि इनके दो नाम किस तरह से और क्यों हैं तो यह इसका कारण है कि ये विद्यार्थी क्योंकि हिंदी पढ़ रहे हैं इसलिए एक भारतीय नाम उनको दिया जाता है, जो उनके नाम के अर्थ के अनुरूप बैठता है जो उनका मूल चीनी नाम है।
इसलिए विद्यार्थियों के चीनी नाम और भारतीय नाम दोनों दिए गए हैं,,ताकि उनको उनके नाम से भी पहचाना जाए और जो उन्होंने स्वीकार किया है।
कई मित्रों ने जिज्ञासा प्रकट की थी कि एक व्यक्ति के दो नाम क्यों है और एक भारतीय नाम के साथ चीनी नाम है क्यों है तो यह आप सब मित्रों की जिज्ञासा का उत्तर है और एक तरह से यह सांस्कृतिक समन्वय और प्रेम बढ़ाने का तरीका भी है कि आप अपने मूल नाम के अलावा उस देश की परंपरा से भी जुड़े हैं जिसकी भाषा संस्कृति आप पढ़ने जा रहे हैं।