पत्रकारिता का अर्थ
देवर्षिनारदघूम-घूमकरसंवाद-वहनकरनेवालोंमेंअग्रणीथे।उन्हेंजनसंचारकाआदिआचार्यकहाजातासकताहै। ``बुद्धिमतांवरिष्ठम्´´ हनुमानजनसंचारकेनायकथे।महाभारतकेकुरूक्षेत्रके 18 दिनोंकेमहायुद्धकाआँखोंदेखाहालकोसुनानेवालेसंजयसंचारमाध्यमकेपुरोधामानेजातेहैं।भारतीयसाहित्यमेंमेघ, हंस, तोता, वायुसंचारकेमाध्यमकेरूपमेंविर्णतहै।
बाईबिलमेंस्वर्गकीपुष्पवाटिकामेंबाबाआदमऔरअम्माहौवाकीजोकथाहै, वहएकप्रकारसेसंचारकाप्रारिम्भकस्वरूपहै।अम्माहौवानेकहा, `` क्योंनहमवहफलखाँएजोज्ञानकेवृद्धपरलगताहै, जिसकोखानेसेहमेंपापऔरपुण्यकाज्ञानहोजायेगा।यहफलहमारेलिएवर्जिततोभीहमेंकोईपरवाहनहींकरनीचाहिए।´´ यहीछोटी-सीवार्ताजनसंचारकीएककड़ीबनगयी।
प्राचीनकालमेंपठन-पाठन, मुद्रणकेसाधनकेअभावमेंजनसंचारकेमाध्यमगुरूयापूर्वजथेजोमौखिकरूपसेसूचनाओंकोएकपीढ़ीसेदूसरीपीढ़ीतकपहुँचातेथे।लेखनकेप्रचलनकेबादभीपत्रोंपरसंदेशलिखेजातेथे।मौर्यकालएवंगुप्ताकालमेंशिलालेखोंद्वाराधार्मिकएवंराजनीतिकसूचनाएँजनसामान्यतकपहुँचायीजातीथीं।उसीसमयवाकयानवीस (संवाददाता), खुफियानवीस (गुप्तसमाचारलेखक), सवानहनवीस (जीवनीलेखक) तथाहरकारा (संदेशवाहक) संचारसम्प्रेषणकेक्षेत्रमेंकार्यरतथे।
इसप्रकारमुट्ठीभरलोगोंकेअध्ययन, चिन्तन-मननऔरआत्माभिव्यक्तिकीप्रवृत्तितथा `सबजनहितायसबजनसुखाय´ केप्रतिव्यग्रतानेपत्रकारिताकोजन्मदिया।पत्रकारिताकेप्रकारसांस्कृतिकपत्र-पत्रिकाएँ, शिक्षासम्बन्धीपत्रिकाएँ, धार्मिकपत्र-पत्रिकाएँ, कृषिपत्रिकाएँ, स्वास्थ्यसम्बन्धीपत्रिकाएँ, विज्ञानविषयकपत्रिकाएँ, उद्योगसम्बन्धीपत्रिकाएँ, चलचित्रसम्बन्धीपत्रिकाएँ, महिलसम्बन्धीपत्रिकाएँ, खेलसम्बन्धीपत्रिकाएँ, बालसम्बंधीपत्रिकाएँ
प्रेसऔरपत्र
चीनने 175 ई0 मेंठप्पेसेमुद्रितग्रन्थकुछभागआजभीविद्यमानबतायाजाताहै। 972 ई0 मेंएकलाखतीसहजारपृष्ठोंकात्रिपिटकग्रन्थछपा।परन्तुवर्तमानमुद्रण-पद्धतिकीकहानी 500 वर्षोंसेपीछेनहीजाती।अलग-अलगअक्षरोंकेधातुटाईपसर्वप्रथम 1450 ई0 मेंजर्मनीमेंबनी।तत्पश्चात् 1466 मेंफ्रांस, 1477 मेंइंग्लैण्डऔर 1544 मेंपुर्तगालमेंइसकलाकाप्रचारहुआ।पुर्तगालमेंईसाईधर्मप्रचारकोंद्वारा 1550दमेंदक्षिणभारतकेगोवाशहरमेयहकलाआयी।भारतकीसर्वप्रथमपुस्तकरोमनलिपिऔश्रदेशीभाषामें 1560 ई0 मेंछपीथी।परन्तु 1178 ई. मेंकलकत्तामेंप्रेसखुलनेतककोईगण्यंउन्नतिइसक्षेत्रमेंनहींहुई।आधुनिकवैज्ञानिकप्रेसऔरपत्रसेपर्याप्तभिन्नतारखनेवालेरोमनके `एक्टाडिउना´ दैनिकघटनाएँऔरचीनके `पीकिंगगजट´ सेपत्रकारिताकाप्रारम्भमानागयाहै।बाईबिलकेअधिकाधिकप्रसारकीप्रेरणावशगांटेनबुर्गनामकईसाईनेमध्यजर्मनीकेमायन्सनगरमेंसन् 1440 ई0 मेआधुनिकमुद्रणकलासेसाम्यरखनेवालेप्रेसकीस्थापनकीआजकलकेसमाचारपत्रोंकाप्रारिम्भकरूपनीदरलैंडकेन्यूजाइटुंग (1562 ई0) मेंमिलताहै।सन 1615 ईमेंजर्मनीसे `फ्रैंकफटेZरजर्नल, 1631 ई0 मेंफ्रांससे `गजटदफ्रांस´, 1667 ईमेंबेिल्जयमसे `गजटवैनगट´, 1666 ई0 मेंइंग्लैण्डसे `लन्दनगजट´ और 1690 ई0 मेंसंयुक्तराष्ट्रअमेरिकासे `पब्लिकआकरेंसेज´ काप्रकाशनहुआ।दैनिकपत्रकेरूपमे 6डेलीकरेट´ कानामलियाजाताहै।, जो 11 मार्च 1702 ई0 निकला।
मुगलकालमें
मुगलकालमेंसंवाद-लेखकोंकीनियुक्तिहुईजिन्हें `वाकयानवीस´ कहाजाताथा। `वाकयानवीस´ द्वाराप्रेषितखतोंकेसारांशकोबादशाहोंकोसुनायाजाताथा।अखबाराते-ए-दरबारे-झुपल्ला, पैगामेंहिन्द, पुणेअखबारजैसेहस्तलिखितपत्रोंकोपत्रकारिताकापूर्वजकहाजासकताहै।
छापाखानाऔरमिस्टरबोल्ट
भारतकेगोवामें 1550 ई0 मेंप्रेसकीस्थापनाहुई।बम्बईमें 1662 ई0, मद्रासमें 1722 ई0 तथाकलकत्तामेंसन् 1779 ईमेंप्रेसबैठाएगये। 29 जनवरीसन 1780 ई0 वहस्विर्णमदिवसहैजिसदिनएकगैरभारतीयद्वारापत्रप्रकाशितहुआ। `बंगालगजटएण्डकैलकटाएडवटाZइज´ केसर्वस्वजेम्सअगस्टसहिंकीथे।संक्षेपमेंइसपत्रको `हिकीजगजट´ कहाजाताहैजिसकालक्ष्यथां। ``यहराजनीतिकऔरव्यापारिकपत्रखुलातोसबकेलिएहै, परप्रभावितकिसीसेनहीहै।
`इंडियनगजट´ 1780 ई0, `बंगालजर्नल´ 1784 और `इंडियनबल्र्ड´ 1791 कलकत्तासेहीप्रकाशितहुए।भारतीयपत्रकारिताकेजनकाराजाराममोहनराय (1772-1833) केप्रयाससे 1818 ई0 में `बंगालगजट´, 1821 ई0 में `संवादकौमुदी´ और `मिरातुल-अखबार´ निकले।
`इंडियनगजट´ 1780 ई0, `बंगालजर्नल´ 1784 और `इंडियनबल्र्ड´ 1791 कलकत्तासेहीप्रकाशितहुए।भारतीयपत्रकारिताकेजनकाराजाराममोहनराय (1772-1833) केप्रयाससे 1818 ई0 में `बंगालगजट´, 1821 ई0 में `संवादकौमुदी´ और `मिरातुल-अखबार´ निकले।
उन्नीसवींशताब्दीकेतीसरेदशकमेंमद्रासकेगवर्नरसेसरटॉमसमुनरोंनेप्रेसकीआजादीकोआंग्लसत्तासमाप्तिकापर्यायमाना।उनकेहीशब्दोंमें, ``इनकोप्रेसकीआजादीदेनाहमारेलिएखतरनाकहै।विदेशीशासनऔरसमाचारपत्रोंकीस्वतन्त्रतादोनोंएक-साथनहींचलसकते।स्वतंत्रप्रेसकापहलाकर्तव्यक्यास्वतन्तादोनोंएक-साथनहींचलसकते।स्वतंत्रप्रेसकापहलाकर्तव्यक्याहोगा? यहीन, किदेशकोविदेशीचंगुलसेस्वतंत्रकरायाजाए, इसलिएअगरहिन्दुस्तानमेंप्रेसकोस्वतंत्रतादेदीगयीतोइसकाजोपरिणामहोगा, वहदिखायीदेरहाहै।´´
आजादीपूर्वपत्रकारितामेंप्रवेशकरनेकातत्पर्यआंग्लसत्ताकेफौलादीपंजेसेमुकाबलाकरनाथा, आर्थिकसंकटसेजूझनातथासदैवकंटकाकीर्णपथकाअनुगामीबननाथा।
कालविभाजन
30 मईसन् 1826 ई0 कोहिन्दीकेप्रथमसाप्ताहिक `उदन्तमार्तण्ड´ काप्रकाशनहुआजो `पहलेपहलहिन्दुस्तानियोंकेहितहेतुथा।इसी `उदन्तमार्तण्ड´ सेहिन्दीपत्रकारिताकाप्रादुर्भावमानाजाताहै।उदन्तमार्तण्डसेप्रेरणाप्राप्तकर `बंगदूत- (1829), `बनारसअखबार , सुधाकर(1850), बुद्धिप्रकाश (1852), मजहरूलसरूर (1852), पजामेंआजादी (1857) आदिपत्रप्रकाशितहुएजिनकेद्वारा `तोड़ोंगुलामीकीजंजीरे´, `बरसाओंअंगारा´ और `सत्वनिजभारतगहे´ कानाराबुलंदकियागया।सन 1826 से 1884 ई0 कीअवधिमेंप्रकाशितपत्रोंकीआह्वानमयीप्रवृतिकाआकलनकरइसेउद्बोधनकालकेनामसेपुकारनाउपयुक्तहोगाक्योंकिपत्रकारोंकास्पष्टमतथाकिदासतारूपीराष्टरोगकीऔषधीजनताकीमहाशक्तिकाउद्बोधनहै।
30 मईसन् 1826 ई0 कोहिन्दीकेप्रथमसाप्ताहिक `उदन्तमार्तण्ड´ काप्रकाशनहुआजो `पहलेपहलहिन्दुस्तानियोंकेहितहेतुथा।इसी `उदन्तमार्तण्ड´ सेहिन्दीपत्रकारिताकाप्रादुर्भावमानाजाताहै।उदन्तमार्तण्डसेप्रेरणाप्राप्तकर `बंगदूत- (1829), `बनारसअखबार , सुधाकर(1850), बुद्धिप्रकाश (1852), मजहरूलसरूर (1852), पजामेंआजादी (1857) आदिपत्रप्रकाशितहुएजिनकेद्वारा `तोड़ोंगुलामीकीजंजीरे´, `बरसाओंअंगारा´ और `सत्वनिजभारतगहे´ कानाराबुलंदकियागया।सन 1826 से 1884 ई0 कीअवधिमेंप्रकाशितपत्रोंकीआह्वानमयीप्रवृतिकाआकलनकरइसेउद्बोधनकालकेनामसेपुकारनाउपयुक्तहोगाक्योंकिपत्रकारोंकास्पष्टमतथाकिदासतारूपीराष्टरोगकीऔषधीजनताकीमहाशक्तिकाउद्बोधनहै।
सन 1885 ई0 मेंहीहिन्दुस्तानमेंराष्ट्रीयजागरणकेभैरवीमंत्रकोफूँकनेकेलिएराजारामपालसिंहनेप्रथमहिन्दीदैनिक `हिन्दोस्थान´ काप्रकाशनप्रारम्भकिया।अत: 1885 से 1919 अवधिको `जागरणकाल´ केनामसेअभिहितकरनासुसंगतहोगा।
सन 1885 से 1919 ई0 तककीअवधिकेपत्रोंनेराष्ट्रीयचेतनाकोपल्लवितकियातथा `स्वराज्यहमाराजन्मसिद्धअधिकारहै´ इसनारेकोसार्थककरनेकेलिएजन-जनमेंजागरणकासंचारकिया।एकऔर `भारत´ के `अभ्युदय´ हेतु `हिन्दीकेसरी´ स्वराज´ कामंत्रफँूकताथातोदूसरीऔरभावात्मकएकताकेलिए `देवनागर´ सबसेएकसूत्रमेंबंधजानेकीअपीलकरताथा, जैसाकिस्वतंत्रताकेअक्षय-स्रोतवीरसावरकरकालक्ष्यथा-एकदेव, एकदेश, एकभाषा
एकजाति, एकजीव, एकआशा
एकजाति, एकजीव, एकआशा
सन 1920 से 1947 ई0 तकसंघर्षों, अभावों, अभिशापोंऔरप्रताड़नाओंकेबीचदबेरहकरपत्र-पत्रिकाओंनेआगऔरशोलोंसेभरीउत्तेजककथासुनायी।पत्रकारोंकीहुंकारऔरफुँफकारवालीवाणीनेभारतीयोंकोझकझोरदिया।सामूहिकउत्पीड़न, बेबसी, वेदनाकेकरूण-क्रन्दनकोनसुनाकरपत्र-पत्रिकाओंनेफिरंगियोंकेप्रतिघोरगर्जनकिया।होउथल-पुथलअबदेशबीचखौलेखूनजवानोंका।
बलिवेदीपरबलिचढ़नेकोअबचलेझुंडमर्दानोंका।
क्रान्तिकारीपत्रकारपराड़करजीनेभी 1930 ई0 में `रणभेरी´ मेंलिखा:-
`` ऐसाकोईबड़ाशहरनहींरहगयाहैजहाँसेएकभी `रणभेरी´ जैसापरचाननिकलताहो।अकेलेबम्बईमेंइससमयऐसेकईएकदर्जनपरचेनिकलरहेहै।शुरूमेंवहाँसिर्फ `कांग्रेसबुलेटिन´ निकलतीथी।नयेपरचोंकेनामसमयानुकूलहै।जैसे-`रिवाल्ट´ `रिवोल्यूशन´, `बलवों´, `फितूर´ (द्रोह), `गदर´, `बगावत´, आदि।दमनसेद्रोहबढ़ताहै, इसकायहअच्छासबूतहै।परनौकरशाहीकेगोबर-भरेगन्देदिमागमेंइतनीसमझकहाँ? वहतोशासनकाएकहीशस्त्रजानताहै-बंदूक।´´
स्वतंत्रताआंदोलनकोकुचलनेकेलिएप्रेसआर्डिनेंसद्वारापत्रकारितापरप्रहारकियागया।अधिकांशपत्रोंकाप्रकाशनस्थगितहोगया।ऐसीस्थितिमेंक्रान्तिकारीपत्रकारोेंने `रणभेरी´, `शंखनाद´, `चिनगारी´, बवण्डर, `रणडंका, चण्डिकाऔरतुफाननामधारीपत्रोंकागुप्तप्रकाशनकियाजिससेभारतमेंविप्लवमचगया।अंग्रेजोंकेदाँतखट्टेहोगए, उनकेशासनकाअंतहुआ।भारतीयक्षितिजपरअरूणमुस्कानछागयी।हमअपने-भाग्यनिर्माताबनगए।
गांधीजीनेस्वतंत्रताकाअर्थराजनीतिकआजादीहीनहींबतलायाबल्किाउसकसािाआर्थिक, सामाहिक, संास्कृतिनवनिर्माणपरजोरदिया।उन्होनेंकहा-``स्वराज्यकाअर्थहै-विदेशीशासनसेपूर्णस्वतंत्रताऔरपूर्णआर्थिकस्वतंत्रता।इसप्रकारस्वराज्यकेएकसिरेपरराजनीतिकस्वतंत्रताहैतोदूसरेसिरेपरआर्थिकस्वतंत्रता।उसकेदोसिरेऔरहै।तीसरासिराहै- नैतिकयासामाजिकऔरचौथाहैधर्मका।
इसप्रकारसन 1947 से 1974 ई0 कीअवधिकोनवनिर्माणकालकहनाउपयुक्तहोगाक्योंकितप:पूतसमर्पितसम्पादकोंनेअपनीरचनात्मकमेधाकाप्रयोगस्वतंत्रभारतकेसमग्रविकासकेनिमित्तकिया।सन 1975 सेआजतककीअवधिकोवर्तमानकालकेनामसेअभिहितकियागयाहै।::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::