मॉरिशस के पहले प्रधानमंत्री सर शिवसागर राम गुलाम से जब भी मुलाकात हुई वह वहां के हाई कमिश्नर रवींद्र घरभरण के निवास पर। जब भी मॉरिशस से कोई बड़ा नेता आता वह मुझे बुलाना नहीं भूलते।
एक दिन सुबह उनका फ़ोन आया कि चचा(राम गुलाम को वे लोग चचा कहकर संबोधित करते हैं) शाम को मेरे घर आ रहे हैं समय पर पहुंच जाना, उनसे आप की विशेष मुलाकात तय की गई है। इधर मैं श्री घरभरण के निवास पर पहुंचा उधर चचा पहुंच गये। हमें अलग कमरे1में बिठा दिया गया। औपचारिक दुआ सलाम के बाद उन्होंने बोलना शुरू1कर दिया।कहा कि 'भारत हर मॉरिशस वासी के लिए एक तीर्थस्थान है। इसकी पुण्य भूमि की रज अपने माथे पर लगा कर हम गौरव का अनुभव करते हैं।'
12 मार्च 1968 को मॉरिशस स्वाधीन हुआ था। अपने पैरों पर खड़ा होने में भारत की हर सरकार से हमें पूर्ण सहायत मिली। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि स्वाधीनता के मार्ग में हमारे ही कुछ देशवासियों ने व्यवधान उत्पन्न करने का प्रयास किया लेकिन हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कड़ियां इतनी मजबूत थीं कि विरोधियों के सभी प्रयास विफल हो गये।'बातचीत तो इतनी लंबी हो गयी कि श्री घरभरण को आ कर कहना पड़ा कि चचा से मिलने वालों की कतार बहुत लंबी है। पूरी बातचीत फिर कभी।
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